"भारतीय गणित": अवतरणों में अंतर

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धार्मिक अनुष्ठानों में वेदियों की रचना के लिए [[ज्यामिति]] का आविष्कार हुआ। [[शतपथ ब्राह्मण]] एवं तैत्तरीय संहिता में ज्यामिति की संकल्पना प्रस्तुत है। पर सामान्यतयाः ऐसा विचार है कि वेदांग ज्योतिष के [[शुल्वसूत्र]] से आधुनिक ज्यामिति की नींव पड़ी। वेदांग ज्योतिष के अनुसार सूर्य की संक्रांति एवं विषुव की स्थितियां [[कृतिका|कृतिका नक्षत्र]] के [[वसंत विषुव]] के आस-पास हैं।
 
यह स्थिति ईसा पूर्व 1370 वर्ष के लगभग की है। अतः वेदांग ज्योतिष की रचना संभवतः ईसा पूर्व वर्ष 1300 के आस-पास हुई होगी। इस युग के महान गणितज्ञ [[लगध]],[[बौधायन]], [[मानव]], [[आपस्तम्ब]], [[कात्यायन]] रहे हैं। इन सभी ने अलग-अलग सूल्व सूत्र की रचना की। बोधायन का सूल्व सूत्र इस प्रकार है-
 
: ''दीर्घ चतुरस स्याक्ष्व्या रज्जुः पार्श्वमानी,''