"जगमोहन सिंह": अवतरणों में अंतर

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अपनी शिक्षा के लिए [[काशी]] आने पर उनका परिचय [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र|भारतेंदु]] और उनकी मंडली से हुआ। बनारस के [[क्वींस कालेज]] में अध्ययन के दौरान वे भारतेंदु हरिश्चंद्र के सम्पर्क में आए तथा यह सम्पर्क प्रगाढ़ मैत्री में बदल गया जो की जीवन पर्यन्त बनी रही।
 
१८७८ में शिक्षा समाप्ति के बाद वे राघवगढ़विजयराघवगढ़ आ गए। दो साल पश्चात् १८८० में [[धमतरी]] (छत्तीसगढ़) में तहसीलदार नियुक्त किये गए। बाद में तबादले पर [[शिवरीनारायण]] आये। कहा जाता है कि शिवरीनारायण में विवाहित होते हुए भी इन्हें 'श्यामा' नाम की स्त्री से प्रेम हो गया। शिवरीनारायण में रहते हुए इन्होने श्यामा को केंद्र में रख कर अनेक रचनाओं का सृजन किया जिनमे हिंदी का अत्यंत भौतिक एवं दुर्लभ उपन्यास '''श्याम-स्वप्न''' प्रमुख है।
 
== कृतियाँ ==