"महावीर (गणितज्ञ)": अवतरणों में अंतर

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== भिन्नों का वियोजन ==
महावीर ने किसी [[भिन्न]] को इकाई भिन्नों (यूनिट फ्रैक्शन्स) के योग के रूप मे अभिव्यक्त करने की एक विधि दी। इसमें 'भागजाति' नामक विभाग (श्लोक ५५ से ९८ तक) में अनेक नियम दिये गये हैं। उनमें से कुछ ये हैं-
 
* १ को इकाई भिन्नों (unit fractions) के योग के रूप में अभिव्यक्त करने के लिये निम्नलिखित नियम दिया है- ( इसका उदाहरण श्लोक ७६ में दिया है।)
 
 
: ''रूपांशकराशीनां रूपाद्यास त्रिगुणिता हराः क्रमशः।
: ''रूपांशकराशीनां रूपाद्यास्त्रिगुणिता हरः क्रमशः ।
: ''द्विद्वित्रयंशाभ्यस्ताव आदिमचरमौद्विद्धिभ्रंशाभ्यस्तावादिमचरमौ फले रूपे ॥ (गतिणसारसंग्रह कलासवर्ण ७५)
 
: '''अर्थ''' : जब फल (result) १ हो तो १ अंश वाले भिन्न, जिनके हर १ से शुरू होकर क्रमशः ३ से गुणित होते जायेंगे। प्रथम और अन्तिम को (क्रमशः) २ तथा २/३ से गुणा किया जायेगा।
 
:: <math> 1 = \frac1{1 \cdot 2} + \frac1{3} + \frac1{3^2} + \dots + \frac1{3^{n-2}} + \frac1{\frac23 \cdot 3^{n-1}} </math>
 
== उच्च कोटि (order) के समीकरण ==