"अनुयोग (जैन धर्म)": अवतरणों में अंतर

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[[जैनागम]] चार भागों में विभक्त है, जिन्हें चार '''अनुयोग''' कहते हैं - प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग। इन चारों में क्रम से कथाएँ व पुराण, कर्म सिद्धान्त व लोक विभाग, जीव का आचार-विचार और चेतनाचेतन द्रव्यों का स्वरूप व तत्त्वों का निर्देश है। इसके अतिरिक्त वस्तु का कथन करने में जिन अधिकारों की आवश्यकता होती है उन्हें अनुयोगद्वार कहते हैं।
 
==इन्हें भी देखें==
*[[अनुयोग (बौद्ध धर्म)]]
 
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.jainkosh.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%A8%E0%A5%81%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97 अनुयोग]
 
[[श्रेणी:जैन धर्म]]