"अनुयोग (जैन धर्म)": अवतरणों में अंतर
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*'''द्रव्यानुयोग''' : इसमें निश्चय कथन की प्रमुखता होती है। यद्यपि इसमें निश्चय व व्यवहार कथन दोनों हैं तथापि इसमें शुद्ध कथन की प्रमुखता होती है। इसका प्रतिपाद्य विषय है सात तत्व, ६ द्रव्य, ९ पदार्थ लेश्या, मार्गणा, गुणस्थान आदि।
चारो ही अनुयोग वीतरागता पोषक तथा मोक्षमार्ग के पथ प्रदर्शक हैं ये भिन्नता सिर्फ कथन पद्धति की अपेक्षा से है, मूल उद्देश्य तो सबका एक ही है। ध्यातव्य है कि अनुयोगों में करणानुयोग के शामिल होने के कारण ही जैन संस्कृति में गणित के अध्ययन की गणित के अध्ययन और अनुशीलन की विशेष प्रवृति देखने को मिलती है।
==इन्हें भी देखें==
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