"माधव निदान": अवतरणों में अंतर
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== संरचना ==
हेतुलिङ्गौषध रूपी त्रिस्कन्ध के अन्तर्गत प्रथम दो स्कन्धों - हेतु एवं लिङ्ग का विवेचन ही माधवनिदानम में किया गया है। माधवनिदान के प्रथम अध्याय में पञ्चनिदान (निदान, पूर्वरूप, रूप, उपशय और सम्प्राप्ति) का सामान्य वर्णन करने के पश्चात् द्वितीय अध्याय से उनसठवें (६९) अध्यायों तक [[ज्वर]] आदि तत्कालीन प्रचलित सभी रोगों के निदान का वर्णन किया गया है तथा ग्रन्थ के अन्त में विषयानुक्रमणिका देकर ग्रन्थ को इतिश्री प्रदान की गई है।
== टीकाएँ==
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