"बांग्लादेश मुक्ति युद्ध": अवतरणों में अंतर

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[[Image:BangladeshLiberationWarMontage.jpg|right|thumb|300px|(दाहिने, सबसे नीचे) भारतीय जनरल जगजीत सिंह के सामने पाकिस्तान के जनरल नियाजी आत्मसपर्पण करते हुए]]
16 दिसम्बर सन् १९७१ को [[बांग्लादेश]] बना था। भारत की पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक जीत को [[विजय दिवस]] के रूप में मनाया जाता है। [[पाकिस्तान]] पर यह जीत कई मायनों में ऐतिहासिक थी। भारत ने ९३ हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
 
'''बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम''' १९७१ में हुआ था, इसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहते हैं। यह युद्ध वर्ष १९७१ में २५ मार्च से १६ दिसम्बर तक चला था। इस रक्तरंजित युद्ध के माध्यम सेे बांलादेश ने पाकिस्तान से स्वाधीनता प्राप्त की। 16 दिसम्बर सन् १९७१ को [[बांग्लादेश]] बना था। भारत की पाकिस्तान पर इस ऐतिहासिक जीत को [[विजय दिवस]] के रूप में मनाया जाता है। [[पाकिस्तान]] पर यह जीत कई मायनों में ऐतिहासिक थी। भारत ने ९३ हजार पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था।
कई सालों के संघर्ष और [[पाकिस्तान]] की सेना के अत्याचार और [[बांग्ला]]भाषियों के दमन के विरोध में पूर्वी पाकिस्तान के लोग सड़कों पर उतर आए थे। १९७१ में आज़ादी के आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के विद्रोह पर आमादा लोगों पर जमकर अत्याचार किए। लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और अनगिनत महिलाओं की आबरू लूट ली गई।
 
१९७१ के पहले बांलादेश, पाकिस्तान का एक प्रान्त था जिसका नाम '[[पूर्वी पाकिस्तान]]' था जबकि वर्तमान पाकिस्तान को [[पश्चिमी पाकिस्तान]] कहते थे। कई सालों के संघर्ष और [[पाकिस्तान]] की सेना के अत्याचार और [[बांग्ला]]भाषियों के दमन के विरोध में पूर्वी पाकिस्तान के लोग सड़कों पर उतर आए थे। १९७१ में आज़ादी के आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के विद्रोह पर आमादा लोगों पर जमकर अत्याचार किए। लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और अनगिनत महिलाओं की आबरू लूट ली गई।
 
[[भारत]] ने पड़ोसी के नाते इस जुल्म का विरोध किया और क्रांतिकारियों की मदद की। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी जंग हुई। इस लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिए। इसके साथ ही दक्षिण एशिया में एक नए देश का उदय हुआ।
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१९७१ में तत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में नरसंहारों के बाद कई सामूहिक कब्र बनाई गईं, जिनका पता अब तक चलता रहा है। १९९९ में ढाका में मस्जिद के पास एक विशाल कब्र का पता चला। बंगालियों के खिलाफ किए गए अत्याचार का पता ढाका में मौजूद अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास से भेजे गए टेलीग्राम से लगता है। इस टेलीग्राम के मुताबिक बंगालियों के खिलाफ युद्ध की पहली ही रात को ढाका यूनिवर्सिटी में छात्रों और आम लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया गया। उन सभी इलाकों मे नरसंहार किये गये जहां से विरोध की आशंका थी| यंहां तक कि लोगों को घरों से बाहर निकाल कर के गोलियों से भून दिया गया|
 
== लाखों महिलाओं के साथ ज़्यादतीबलात्कार ==
{{main|बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय महिलाओं के साथ बलात्कार}}
 
१९७१ में पूर्वी पाकिस्तान में लाखों महिलाओं के साथ बलात्कार, अत्याचार किया गया और हत्या की गईं। एक अनुमान के मुताबिक ऐसी करीब चार लाख महिलाओं के साथ ऐसी ज्यादतियां की गईं जिनमे उनके साथ बलात् यौन संबंधों को बनाना, सैनिक कैण्ट मे महिलाओं को सेक्स वर्कर के रूप मे रखना आदि एवं सामूहिक बलात्कार जैसी हरकतें थीं। ५६३ बंगाली महिलाओं को कैंट इलाके में कर रखा था कैदलड़ाई के पहले ही दिन से ५६३ बंगाली महिलाओं को ढाका के डिंगी मिलिट्री कैंट में कैद कर दिया गया था। इन महिलाओं के साथ पाकिस्तानी सेना के जवान ज्यादतियां करते थे। अतयाचारों से परेशान होकर के लगभग१० लाख लोग भारत चले गए एक दूसरे अनुमान के मुताबिक पूर्वी पाकिस्तान में अत्याचार से तंग आकर करीब ८० लाख लोग भारत की सीमा में प्रवेश कर गए थे। भारत के इस लड़ाई में दखल देने के पीछे इन शरणार्थियों के भारत में प्रवेश एवं इस वजस से भारत के ऊपर पड़ने वाले आरथिक दबाव को भी एक वजह माना जाता है।