"राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा": अवतरणों में अंतर

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भारत के संविधान भाग 17 के अध्याय 4 के अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा के विकास के लिए दिया गया विशेष निर्देश इस प्रकार है :- "संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों के का माध्यम बन सकें तथा उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी के और आठवी अनुसूची में विनिर्दिष्‍ट भारत की अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयुक्‍त रूप, शैली और पदो को आत्मसात् करते हुए तथा जहाँ आवश्यक या वाँछनीय हो वहाँ उसके शब्द-भंडार के लिए मुख्यत: संस्कृत से तथा गौणत: अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी करे ।
== स्थापना ==
'''राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, [[वर्धा]]''' की स्थापना सन् १९३६ ई. में हुई। इसके संस्थापकों में राष्ट्रपिता [[महात्मा गाँधी]], [[डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद]], राजर्षि [[पुरुषोत्तमदास टंडन]], पं॰ [[जवाहरलाल नेहरू]], श्री [[सुभाषचन्द्र बोस]], [[आचार्य नरेन्द्र देव]], आचार्य [[काका कालेलकर]], सेठ [[जमनालाल बजाज]], [[बाबा राघवदास]], श्री शंकरदेव, पं॰ [[माखनलाल चतुर्वेदी]], श्री हरिहर शर्मा, पं॰ [[वियोगी हरि]], श्री नाथसिंह, श्री श्रीमन्नारायण अग्रवाल, बृजलाल बियाणी एवं श्री नर्मदाप्रसाद सिंह प्रमुख थे।
 
संविधान की इसी भावना के अनुपालन की दिशा में 1 मार्च, 1960 को शिक्षा मंत्रालय (अब उच्‍चतर शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय) के अधीन केंद्रीय हिंदी निदेशालय की स्थापना हुई । इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो चेन्‍नै, हैदराबाद, गुवाहाटी और कोलकाता में स्थित हैं । हिंदी को अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान करने, हिंदी भाषा के माध्यम से जन-जन को जोड़ने और हिंदी को वैश्‍विक धरातल पर करने के लिए निरंतर प्रयास रत हिंदी की यह शीर्षस्थ सरकारी संस्था निम्‍नलिखित महत्वपूर्ण योजनाओं को कार्यान्वित कर रही है -
== परिचय ==
[[राष्ट्रभाषा प्रचार समिति]] की स्थापना सन्‌ 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने एक स्वयं संचालित [[राष्ट्रभाषा]] संस्था के रूप में की थी। वर्तमान में इस बहुद्देशीय संस्था में 22 प्रांतीय समितियाँ (क्षेत्रीय केंद्र) 987 शिक्षा केंद्र (अध्ययन केंद्र) और 7629 परीक्षा केंद्र है। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का मुख्‌यालय [[वर्धा]] में स्थित है, जिसका प्रमुख उद्देश्य “एक दिव्य हो भारत जननी” के ध्येय के साथ संपूर्ण देशभर में हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी में गुणवत्ता शिक्षा को प्रस्तावित कर समाज में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्थान करना है।
 
एक राष्ट्र और एक राष्ट्रभाषा का पवित्र संकल्प लेकर गाँधीजी ने इस समिति की प्राण प्रतिष्‍ठा की और उनकी परिकल्पनाओं को मूर्त रूप देने में [[डॉ राजेन्द्र प्रसाद]], [[जवाहरलाल नेहरू]], नेताजी [[सुभाषचन्द्र बोस]], [[वल्लभ भाई पटेल]], [[जमनालाल बजाज]], [[चक्रवर्ती राजगोपालाचारी]], [[पुरुषोत्तम दास टंडन]], [[काकासाहब कालेलकर]], [[माखनलाल चतुर्वेदी]], [[आचार्य नरेन्द्र देव]] आदि महापुरुषों ने जो अथक परिश्रम किया, वह इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है।
 
निदेशालय का मुख्यालय नई दिल्ली में है । इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं, जिनके पते इस प्रकार है -
उस समिति का कार्यक्षेत्र प्रमुख रूप से [[गुजरात]], [[मुम्बई]], [[विदर्भ]], [[मराठवाडा]], [[मध्यप्रदेश]], [[छत्तीसगढ]], [[झारखंड]], [[राजस्थान]], [[दिल्ली]], [[असम]], [[अरूणाचल प्रदेश]], [[नागालैण्ड]], [[मेघालय]], [[मिजोरम]], [[मणिपुर]], [[त्रिपुरा]], [[सिक्किम]], [[बंगाल]], [[उत्कल]], [[जम्मू और कश्मीर]], [[अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह|अन्दमान-निकोबार]], [[गोवा]], [[हरियाणा]] आदि प्रदेश। उसी तरह विदेश में जैसे दक्षिण अफ्रीका, पूर्व अफ्रीका, अमेरिका, सुरीनाम, अरब, सुडान, इटली, मॉरिशस, जपान, म्यॉमा (बर्मा), नीदरलैण्ड, फीजी द्वीप, युनाइटेड किंग्डम, जर्मनी, थाईलैण्ड, बेहरीन, मस्कत, जावा, श्रीलंका आदि भी है।
1.
उपनिदेशक (दक्षिण)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
(मानव संसाधन विकास मंत्रालय)
शास्त्री भवन, प्रथम तल, खंड – 5,
26, हेडोज रोड, चेन्‍नै – 600006, (तमिलनाडु)
2.
उपनिदेशक
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
(मानव संसाधन विकास मंत्रालय)
केंद्रीय सदन, ब्लॉक – ए, सुल्तान बाजार,
हैदराबाद – 500009 (आंध्र प्रदेश)
3.
उपनिदेशक (उत्‍तर-पूर्व)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
(मानव संसाधन विकास मंत्रालय)
दास एंटरप्राइज, जय नगर,
पो. खानापारा, गुवाहाटी – 781019 (असम)
4.
उपनिदेशक (पूर्व)
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
(मानव संसाधन विकास मंत्रालय)
1–कौंसिल हाउस स्ट्रीट, प्रथम तल,
कोलकाता – 700001 (प. बंगाल)
 
:
विश्वभर हिन्दी का प्रचार एवं प्रसार हो इस लक्ष्य के साथ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति एक स्वंय संचालित संस्था के रूप में प्रतिस्थापित हुई, जिसका नाम 'राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञान मंडल' है। इस मंडल द्वारा दूररवर्त शिक्षा के अन्तर्गत विभिन्न शैक्षिक कार्यक्रम को प्रस्तावित करता है।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय में पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग की स्थापना भारत के हिंदीतर-भाषी राज्यों के लोगों, विदेशों में बसे भारतीयों तथा हिंदी सीखने के इच्छुक विदेशियों को पत्राचार हिंदी सिखाने के से सन् 1968 में की गई थी ।
 
== संस्था के प्रमुख उद्देश्य ==
* संपूर्ण भारत में, आवश्यकतानुसार विदेश में [http://www.rashtrabhasha.org.in राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार] - प्रसार करना और देशव्यापी व्यवहारों और कार्यों के लिए सुविधा प्रदान करना. राष्ट्रभाषा की परीक्षाओं का संचालन. पाठ्यपुस्तकें आदि का निर्माण व प्रकाशन. भावत्मक एकता के लिए भाषाई सहयोग द्वारा अनुकूल वातावरण तैयार कर भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना.
उपलब्ध पाठ्यक्रम :
केंद्रीय हिंदी निदेशालय के पत्राचार पाठ्यक्रम विभाग ने सन् 1968 में एक प्रारंभिक पाठ्यक्रम 'प्रवेश' केवल 1008 छात्रों के नामांकन से आरंभ किया था । यह योजना बहुत लोकप्रिय हुई और छात्रों की माँग पर सन् 1973 से 'प्रवेश' से उच्‍च स्तर का एक पाठ्यक्रम 'परिचय' आरंभ किया गया । इन भाषा-शिक्षण पाठ्यक्रमों के अतिरिक्‍त केंद्र सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों तथा स्‍वायत्‍त संस्थाओं आदि में कार्यरत कर्मचारियों को भी पत्राचार हिंदी सिखाने के से कार्यालयी हिंदी से संबंधित तीन अन्य पाठ्यक्रम 'प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ' क्रमश: सन् 1969, 1970 तथा 1972 में आरंभ किए गए । दो-दो वर्षों की अवधि के 'प्रवेश' और 'परिचय' पाठ्यक्रमों के स्थान पर अब एक-एक वर्ष के क्रमश: 'सर्टिफिकेट' और 'डिप्लोमा' पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
 
देश के उत्‍तर-पूर्वी राज्यों के वे परीक्षार्थी जो स्‍नातक परीक्षा उत्‍तीर्ण कर चुके हैं और जो सिविल सेवा परीक्षा में अनिवार्य भारतीय भाषा प्रश्‍नपत्र के रूप में हिंदी भाषा लेना चाहते हैं तथा जिनकी मातृभाषा संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं है, उन्हें हिंदी सिखाने के लिए एक अन्य पाठ्यक्रम "सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम" आरंभ किया गया । वर्ष 2003-04 से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा पाठ्यक्रम के अतिरिक्‍त दो और नए पाठ्यक्रम : एडवांस हिंदी डिप्लोमा और बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम आरंभ किए गए । एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम को हिंदी भाषा एवं साहित्य की समुचित जानकारी उपलब्ध कराता है तथा बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम अनिवासी भारतीयों को तथा भारत में रहने वाले विदेशियों को अल्पावधि में हिंदी सिखाने के से प्रारंभ किया गया है ।
* [[भारतीय संविधान]] की धारा ३४३ और ३५१ के अनुसार भारत गणराज्य द्वारा स्वीकृत राष्ट्रलिपि [[देवनागरी]] में लिखी जानेवाली राष्ट्रभाषा हिन्दी का संपूर्ण भारत में प्रचार प्रसार तथा विकास करना और देशव्यापी व्यवहार और कार्यों के लिए सुविधा प्रदान करना.
 
निदेशालय के पाठ्यक्रमों में छात्रों की संख्या कई गुणा बढ़ गई है । पत्राचार पाठ्यक्रम योजना के तहत संचालित पाठ्यक्रमों में प्रतिवर्ष लगभग 10,000 छात्रों को दाखिला दिया जाता है । इन पाठ्यक्रमों से अब तक लाभान्वित छात्रों की संख्या 4.18 लाख से भी अधिक है ।
* हिन्दी भाषा एवं साहित्य की अभिवृद्धि के लिए उपयोगी पुस्तकें लिखवाना, अनुवाद करना और उन्हें प्रकाशित करना.
माध्यम :
हिंदी सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम और हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम अंग्रेजी, तमिल, मलयालम तथा बंगला माध्यम से चलाए जाते हैं । प्रबोध, प्रवीण, प्राज्ञ, बेसिक कोर्स इन हिंदी तथा सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम केवल अंग्रेजी माध्यम के हैं । एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम हिंदी माध्यम से संचालित किया जाता है ।
TOP
सत्र :
हिंदी सर्टिफिकेट, हिंदी डिप्लोमा, एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम एक-एक वर्ष की अवधि के हैं और सत्र प्रतिवर्ष जुलाई से आरंभ होता है ।
प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ पाठ्यक्रमों का शिक्षा-सत्र एक-एक वर्ष का है जो प्रतिवर्ष जनवरी से आरंभ होता हैं ।
सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम भी एक वर्ष की अवधि का है जो प्रतिवर्ष दिसंबर से आरंभ होता है ।
बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम की अवधि 60 घंटे है । कक्षाएँ सप्‍ताह में तीन दिन सायं 6.00 से 8.00 बजे तक निदेशालय परिसर में चलाई जाती हैं ।
 
* राष्ट्रभाषा हिन्दी की शिक्षा का प्रबंध करना तथा परीक्षाएँ चलाना.
 
* हिन्दी प्रचारकों, केन्द्र व्यवस्थापकों तथा हिन्दी प्रेमियों को राष्ट्रभाषा प्रचार की गतिविधियों की जानकारी देने के लिए मासिक पत्रिका का प्रकाशन करना.
 
* भारतीय संविधान की धारा ३५१ के अनुसार भारत की सामासिक संस्कृति की वाहक राष्ट्रभाषा को संस्कृत तथा भारत की अन्य समृद्ध भाषाओं के सहयोग से इसकी शब्दसमृद्धि करते हुए भारत की राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने के लिए प्राणवान भाषा बनाना.
दाखिले के लिए पात्रता :
क हिंदी सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम
1
भारत या विदेशों में रहने वाले ऐसे भारतीय तथा विदेशी, जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक है ।
2
विदेश में रहने वाले ऐसे भारतीय नागरिकों के बच्चे जिनकी उम्र कम से कम 10 वर्ष है । मातृभाषा का कोई बंधन नहीं है ।
ख हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम
उपर्युक्‍त हिंदी सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम में उल्लिखित पात्रता के अतिरिक्‍त छात्र ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय की हिंदी सर्टिफिकेट परीक्षा या गृह मंत्रालय की प्रवीण परीक्षा उत्‍तीर्ण की हो या उसे अपेक्षित भाषा-कौशलों का ज्ञान हो ।
ग प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ पाठ्यक्रम
ये पाठ्यक्रम केवल केंद्र सरकार के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों तथा स्वायत्‍त निकायों आदि के कर्मचारियों के लिए है । केंद्रीय हिंदी निदेशालय इन पाठ्यक्रमों के लिए केवल शिक्षण अभिकरण के रूप में कार्य करता है । इन पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) ली जाती है ।
घ सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम
1
यह पाठ्यक्रम उत्‍तर-पूर्वी राज्यों के स्‍नातक या स्‍नातक पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष में पढ़ रहे उन छात्रों के लिए है जिनकी मातृभाषा भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं है तथा जो सिविल सेवा परीक्षा में “अनिवार्य भारतीय भाषा प्रश्‍नपत्र” के रूप में हिंदी भाषा लेना चाहते हैं ।
2
छात्र अनिवार्य रूप से निम्‍नलिखित राज्यों में से किसी राज्य का निवासी हो - अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड तथा सिक्किम ।
 
ङ एड्वांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम
* हिन्दी [[साहित्य]] तथा ज्ञान विज्ञान की अभिवृद्धि के लिए उपयोगी मौलिक [[पुस्तकें]] लिखवाना तथा अन्य भारतीय भाषा के उत्कृष्ट साहित्य का हिन्दी में अनुवाद करना तथा उसे प्रकाशित करना.
1
यह पाठ्यक्रम भारत और विदेशों में रहने वाले ऐसे भारतीयों तथा विदेशियों के लिए है जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है और जिनकी उम्र 17 वर्ष से अधिक है ।
2
छात्र ने केंद्रीय हिंदी निदेशालय की हिंदी डिप्लोमा परीक्षा अथवा हाईस्कूल हिंदी विषय के साथ उत्‍तीर्ण की हो ।
 
च बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम
* [[देवनागरी लिपि]] का प्रचार करना और टंकण, कंप्यूटर तथा [[शीघ्रलिपि]] के प्रशिक्षण और प्रसार के लिए आवश्यक कार्य करना.
वैध वीज़ा प्राप्‍त कर भारत में रहने वाले विदेशी तथा अनिवासी भारतीय इस पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं ।
 
== संस्था का कार्यक्षेत्र ==
समिति का कार्यक्षेत्र प्रमुख रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, मुम्बई, विदर्भ, मराठवाडा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, झारखंड, राजस्थान, दिल्‌ली, असम, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, मिजारम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, बंगाल, उत्कल, जम्मु-कश्मीर, अन्दमान-निकोबार, गोवा, हरियाणा आदि प्रदेश। उसी तरह विदेश में जैसे दक्षिण अफ्रीका, पूर्व अफ्रीका, अमेरिका, सुरीनाम, अरब, सुदान, इटली, मॉरिशस, जपान, म्यॉमा (बर्मा), नीदरलैण्ड, फीजी द्वीप, युनाइटेड किंग्डम, जर्मनी, थाईलैण्ड, बेहरीन, मस्कत, जावा, श्रीलंका आदि भी है।
 
== संस्था द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों का संक्षिप्त विववरण ==
शुल्क :
* राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सुझाव के आधार पर ही १४ सितम्बर को [[हिन्दी दिवस]] के रूप में मनाया जाता है।
पाठ्यक्रम भारतीय छात्रों के लिए विदेशी छात्रों के लिए
हिंदी सर्टिफिकेट तथा हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम रु. 50.00 प्रति छात्र प्रति सत्र US $ 50.00 अथवा £ 30.00 प्रति छात्र प्रति सत्र अथवा विदेशी विनिमय प्रतिबंध की स्थिति में US $ के बराबर स्थानीय मुद्रा की राशि
एडवांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम रु. 200.00 प्रति छात्र प्रति सत्र US $ 200.00 अथवा £ 120.00 प्रति छात्र प्रति सत्र अथवा विदेशी विनिमय प्रतिबंध की स्थिति में US $ के बराबर स्थानीय मुद्रा की राशि
ग सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम
नि:शुल्क
 
* प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन [[नागपुर]] एवं तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन का नई दिल्ली में आयोजन किया गया।
प्रबोध, प्रवीण और प्राज्ञ
1
दाखिले के समय रुपए 50.00 प्रति छात्र प्रति सत्र
2
परीक्षा फार्म के साथ शुल्क
प्रबोध
रुपए 40.00
प्रवीण
रुपए 40.00
प्रज्ञा
रुपए 50.00
-
ङ बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम
अनिवासी भारतीयों तथा विदेशियों के लिए
 
रुपए 6000.00 प्रति छात्र प्रति सत्र
* देश के विभिन्न प्रदेशों के अलावा दक्षिण अफ्रीका, पूर्व अफ्रीका, श्रीलंका, बर्मा, मारीशस, फिजी, थाईलैण्ड, सूरीनाम, नीदरलैंड, त्रिनिनाड, इंग्लेण्ड, अमेरिका आदि देशा में विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन किया गया।
 
* संस्था का एक विशाल पुस्तकालय है, जिसमें २० हजार से अधिक विविध विषयों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। *संस्था की स्वयं की प्रेस है।
भुगतान की :
शुल्क का भुगतान निदेशक, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, रामकृष्ण पुरम, नई दिल्ली-110066 के पक्ष में रेखांकित इंडियन पोस्टल आर्डर या बैंक ड्राफ्ट करें जिनका भुगतान नई दिल्ली स्थित डाकघर/ बैंक में देय हो । बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम के अलावा अन्य पाठ्यक्रमों के विदेशी छात्र अपना शुल्क ब्रिटिश पोस्टल आर्डर से भेज सकते हैं । जिन देशों में डॉलर या पौंड की मुद्रा का चलन नहीं है या जहाँ पर स्थानीय रूप से विदेशी विनिमय का प्रतिबंध है वहाँ छात्र शुल्क के बराबर की राशि स्थानीय मुद्रा में उस देश में स्थित भारतीय मिशन/ दूतावास में जमा करा सकते हैं । ऐसी स्थिति में आवेदन फार्म के साथ मूल रसीद इस निदेशालय को रजिस्टर्ड डाक भेजी जानी अनिवार्य है ।
 
* संस्था द्वारा '''हम चालीस''' अभियान का संचालन एवं राष्ट्रभाषा पत्रिका का प्रकाशन १९४२ से अब तक हो रहा है।
 
* इसके अतिरिक्त संस्था ने राष्ट्रभाषा कोश एवं कई ग्रंथमालाओं का प्रकाशन किया है।
शिक्षण :
सभी पाठ्यक्रमों की शिक्षण सामग्री, जिसमें पाठ और उत्‍तर-पत्र होते हैं, पूर्व निर्धारित अनुसूची के अनुसार भेजी जाती है । छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे जल्दी से जल्दी उत्‍तर-पत्र भरकर मूल्यांकन के लिए भेज दें । उत्‍तर-पत्र मूल्यांकन के बाद आवश्यक व्याकरणिक निर्देशों के साथ उन्हें लौटा दिए जाते हैं । सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं एड्वांस डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के उत्‍तर-पत्र जमा करने की अंतिम तिथि प्रतिवर्ष 31 मई तथा प्रबोध, प्रवीण एवं प्राज्ञ पाठ्यक्रमों के उत्‍तर-पत्रों के लिए अंतिम तिथि 15 नवंबर है ।
 
== राष्ट्रभाषा पुस्तकालय ==
 
शिक्षकों, विद्यार्थियों, प्रचारकों और समिति कार्यालय को भी सन्दर्भ के लिए पुस्तकों की आवश्यकता अनुभव की गाइयौर सन १९३७ में ही 'राष्ट्रभाषा पुस्तकालय' का श्रीगणेश हुआ। प्रारंभ में मात्र ३९ पुस्तकों से आज ३०,००० के आसपास तक पुस्तकों का संग्रह का यह सफ़र चल रहा है। करीब ५८ पत्रिकाएँ, १८ दैनिक समाचार पत्र भी नियमित रूप से पुस्तकालय में आते रहते हैं। विद्यार्थी, शोधार्थी, अध्यापक तथा साहित्यकार, साहित्यप्रेमी इस पुस्तकालय का पूरा लाभ उठाते हैं।
 
== राष्ट्रभाषा प्रेस ==
संपर्क कार्यक्रम :
समिति का सारा प्रकाशन, परीक्षा में लगनेवाली विभिन्न परिपत्रों की छपाई समिति के अपने प्रेस में होता है। इस प्रेस में सारा कार्य कंप्यूटर से संचालित होता है। चार रंगों की छपाई भी यहाँ होती हैऽअधुनिक मशीनों के कारण यह विदर्भ में कुछ इने गिने प्रेसों में गिना जाता है।
कक्षा-शिक्षण की कमी को पूरा करने तथा छात्रों से प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित करने के लिए छात्रों के संकेंद्रण के आधार पर विभिन्‍न स्थानों पर लगभग पाँच से आठ दिन की अवधि के संपर्क कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं । इन कार्यक्रमों में कक्षा व्याख्यान की व्यवस्था की जाती है और छात्रों को दृश्य-श्रव्य सामग्री की सहायता से संभाषण, उच्‍चारण और वार्तालाप का प्रशिक्षण दिया जाता है ।
स्थापना के दिन से आज तक समिति की विभिन्न परीक्षाओं की पुस्तकें, सहायक पुस्तकें तथा अन्य हिन्दी से संबंधित पुस्तकें समिति द्वारा समय समय पर प्रकाशित की जाती है।
 
== प्रकाशन ==
 
स्थापना के दिन से आज तक समिति की विभिन्न परीक्षाओं की पुस्तकें, सहायक पुस्तकें तथा अन्य [[हिन्दी]] से संबंधित पुस्तकें समिति द्वारा समय समय पर प्रकाशित की जाती है।
 
'''भारत भारती पुस्तक माला'''
मूल्यांकन/ परीक्षा :
प्रत्येक पाठ्यक्रम की पर देश तथा विदेश में विभिन्‍न केंद्रों पर परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं । छात्रों को उनके उत्‍तर-पत्रों में किए गए प्रयासों के आधार पर आंतरिक मूल्यांकन के अंक दिए जाते हैं और उन अंकों को छात्र दी गई वार्षिक परीक्षा में प्राप्‍त अंकों में सम्मिलित किया जाता है ।
सिविल सेवा हिंदी पाठ्यक्रम एवं बेसिक हिंदी पाठ्यक्रम के छात्रों की कोई परीक्षा नहीं ली जाती ।
TOP
 
राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार संपूर्ण भारत में होना तो आवश्यक है ही, ताकि प्रत्येक भारतीय दूसरे प्रदेशों के निवासियों के साथ संपर्क स्थापित कर सकें तथा एक दूसरे के साथ सामान्य व्यवहार कर सकें. [[भाषा व्यवहार]] सरल होना भी आवश्यक है, अपितु हर प्रदेश के नागरिक दूसरे प्रदेश की भाषाओं का भी ज्ञान प्राप्त कर लें. [[भारतीय भाषा]] में शब्द साम्य बहुत बड़ी मात्रा में है। इस लिए इन भाषाओं का सीखना उतना कठिन नहीं है, किंतु दूसरे प्रदेश की भाषा सीखने में [[लिपि]] की भिन्नता एक बड़ी बाधा है।
पुरस्कार प्रोत्साहन आदि :
 
परीक्षा परिणाम के आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा एड्वांस हिंदी डिप्लोमा पाठ्यक्रम के प्रतिभाशाली छात्रों को नकद एवं पुस्तक पुरस्कार दिए जाते हैं । प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ के छात्र भी अपने संबंधित विभाग/ मंत्रालय से प्रोत्साहन स्वरूप वेतन- एवं नकद राशि पाने के पात्र हैं । इसके अतिरिक्‍त सभी छात्रों को पाठ्यक्रम की अवधि में नि:शुल्क मुद्रित प्रतिपूरक अध्ययन सामग्री भी भेजी जाती है ।
समिति ने चाहा कि भारत का प्रत्येक व्यक्ति दूसरे प्रदेश की भाषाओं से परिचित हों. इसी उद्देश्य से समिति ने [[भारत भारती]] नामक तेरह भाषाओं की तेरह छोटी - छोटी पुस्तकें प्रकाशित की है। सभी भाषाओं को देवनागरी में प्रस्तुत किया गया है। इन पुस्तकों के द्वारा इन तेरह भाषाओं में से किसी भी भाषा का [[सामान्य ज्ञान]] आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तथा सामान्य व्यवहार की कठिनाई दूर हो सकती है। इसि तरह [[कवि श्री माला]] भी विशेष उल्लेखनीय है।
 
== प्रकाशित पत्रिका ==
'''राष्ट्रभाषा पत्रिका (मासिक):'''
 
जुलाई १९४३ में राष्ट्रभाषा के प्रचार कार्य को गति देने तथा प्रचारकों से निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए "राष्ट्रभाषा" पत्रिका निकली और उसे नियमित रूप से प्रकाशित किया जाने लगा. सन १९४२-४३ में स्वतंत्रता आंदोलन के कारण देश में उथल- पुथल के दिन थे। समाचार पत्र के प्रकाशन में विभिन्न प्रकार की कठिनाईयाँ आ रही थीं, जिसमें कागज की कमी सबसे अधिक थी। सभी कठिनाई पार करते हुए इस पत्रिका का प्रकाशन जारी है।
 
प्रधान संपादक : प्रा. अनन्तराम त्रिपाठी
 
पता : राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ४४२००३ (महाराष्ट्र)
 
==इन्हें भी देखें==
*[[हिन्दी साहित्य सम्मेलन]]
*[[दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://rashtrabhasha.org.in/ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा]
* [http://rbsgm.com/index.php?option=com_content&view=article&id=22&Itemid=68 राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ज्ञानमंडल, वर्धा का जालघर] (SHREE-DEV7-0714 फॉण्ट में)
* [http://education.rashtrabhasha.org.in/ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का अन्य जालघर]
* [http://gm.4mg.com/AboutWardha/rashtrabhasha_p_s.htm Rashtrabhasha Prachar Samiti, Wardha]
* [[Web Hindi Resources|इण्टरनेट पर हिन्दी के साधन]]
* [http://patrika.rashtrabhasha.org.in/ बहुद्देशीय संस्था]
* [http://iecit.in/?page_id=432 राष्ट्रभाषा प्रचार समिति]
* [http://madhyapradeshrashtrabhasha.com/about.php '''मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा''' का जालघर]
 
{{हिन्दी सेवी संस्थाएं}}
 
[[श्रेणी:हिन्दी]]