"लोहा": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Iron electrolytic and 1cm3 cube.jpg|300px|thumb|right|एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा]]
'''लोहा''' या '''लोह''' (Iron) [[आवर्त सारणी]] के आठवें समूह का पहला [[तत्त्वतत्व]] है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी [[समस्थानिक]] मिलते हैं, जिनकी [[द्रव्यमान]] संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार [[रेडियोसक्रियता|रेडियोऐक्टिव]] समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं।
 
== इतिहास ==
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भारत में इस्पात उद्योग की परंपरा भी बहुत प्राचीन है। ऐतिहासिक लेखों से ज्ञात होता है कि ईसा से 5 शताब्दी पूर्व भारत की इस्पात की तलवारें ईरान आदि देशों में बहुत विख्यात थीं। भारत से लोहा और इस्पात आज से 2,000 वर्ष पूर्व यूरोप तथा ऐबिसिनिया ([[अफ्रीका]]) में भेजा जाता था। सम्राट् अशोक के काल में इस्पात के उपकरण अनेक विशेष कार्यों में प्रयुक्त होते थे। ईरानियों तथा अरबों ने इस्पात पर पानी चढ़ाने (tempering) की कला को भारत से ही सीखा। चरक के समय में लोहे का औषधि के रूप में भी उपयोग होता था। उस समय दो प्रकार के लोहे का वर्णन आया है : कालायस् और तीक्षायस्, अर्थात् लौह चूर्ण तथा मोरचा (rust)। मोरचे का प्रयोग रक्तक्षीणता (anaemia) के उपचार में होता था। अश्म कसीस या फेरस सल्फेट (ferrous sulphate) तथा माक्षिक (pyrites) का उपयोग अनेक रोगों (जैसे-दाद या पामा, कुष्ठ, योनिरोग आदि) में बताया गया है।
 
लोह का उपयोग कुछ अन्य देशों में भी प्राचीन काल से ज्ञात है। प्राचीन मिस्र, ऐसीरिया, यूनान तथा रोम में लोग लोहे का उपयोग करते थे। यूरोप की सर्वप्रथम वात भट्ठी सन् 1350 में जर्मनी में बनी।बनी थी। अठारहवीं शताब्दी में कोक (coke) का उपयोग प्रारंभ होने से लोहे के उद्योग में बहुत वृद्धि हुई। उन्नीसवीं शताब्दी में इस्पात बनाने की दो मुख्य विधियाँ, बेसेमर तथा सीमेंस मार्टिन प्रक्रम, निकाली गई।
 
== उपस्थिति एवं प्राप्ति ==
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== निर्माण ==
लोह [[अयस्क]] को सर्वप्रथम भूनकर (roast) जल वाष्प आदि दूर करते हैं तथा कार्बोनेट एवं सल्फाइड का ऑक्सीकरण कर देते हैं। इस अयस्क का अपचयन कोक द्वारा एक भट्ठी में करते हैं, जिसे वात्य भट्ठी कहते हैं। अयस्क को कैल्सियम कार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम कार्बोनेट, सिलिका तथा कोक के साथ मिलाकर, भट्ठी के ऊपरी छिद्र से, भट्ठी में प्रवेश करते हैं। नीचे के छिद्रों से गरम वायु को ऊपर की ओर प्रवाहित किया जाता है। अंदर की प्रक्रिया द्वारा गैस बाहर निकलती है और द्रव लोह तथा धातुमल (slag) जमा हो जाते हैं, जिन्हें समय समय पर निकाला जा सकता है। भट्ठी में होनेवाली मुख्य प्रक्रियाएँ निम्न समीकरणों द्वारा प्रदर्शित की जा सकती हैं :
 
2 C + O2 = 2 CO
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उच्च ताप का जलवाष्प (570 डिग्री सें.), लोहे द्वारा विघटित होकर, फेरोफेरिक ऑक्साइड, (Fe3 O4), बनाता है और हाइड्रोजन मुक्त होता है। उच्च ताप पर अमोनिया लोहे से अभिक्रिया कर लोह नाइट्राइड, (Fe2 N), बनाता है।
 
लोहा मुख्यत: दो और तीन [[संयोजकता]] के यौगिक बनाता है। दो संयोजकता के फेरस, (Fe++), आयन का विलयन हल्के हरे रंग का है। वायु के ऑक्सीजन द्वारा उसका ऑक्सीकरण हो जाता है। तीन संयोजकता के फेरिक, (Fe+++), आयन का अम्लीय विलयन पीले रंग का रहता है। फेरस तथा फेरिक दोनों आयन अनेक जटिल यौगिक बनाते हैं। इनके अतिरिक्त इनके अनेक कीलेटचिलेट (chelate) यौगिक भी ज्ञात हैं।
 
लोह के चार [[संयोजकता]] के परफैराइट, (Fe O3- -) और छह संयोजकता के फेरेट, (Fe O4- -) यौगिक भी ज्ञात हैं। ये क्षारीय अवस्था में प्रबल ऑक्सीकारकों द्वारा बनते हैं। ये अस्थायी यौगिक हैं और बहुत कम मात्रा में बनाए जा सकते हैं।
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लोहे के तीन ऑक्साइड ज्ञात हैं : फेरस ऑक्साइड लो औ (Fe O), फेरिक ऑक्साइड, लो2 औ3 (Fe2 O3) और फेरोफेरिक ऑक्साइड, (Fe3 O4)। फेरस यौगिक में [[क्षार]] डालने पर फेरस हाइड्रॉक्साइड, [ Fe (OH)2], का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होता है। यह वायु में शीघ्र आक्सीकृत हो भूरे फेरिक ऑक्साइड में परिणत होता है। फेरिक यौगिक में क्षार डालने पर भूरा अवक्षेप प्राप्त होता है, जो जलयोजित (hydrated) फेरिक ऑक्साइड कहलाता है। यदि फेरस विलयन में कार्बोनेट विलयन मिश्रित किया जाए, तो फेरस कार्बोनेट का श्वेत अवक्षेप प्राप्त होता है। वायु में रखने पर यह शीघ्र ही फेरिक अवस्था में परिणत हो जाता है। शुद्ध फेरिक कार्बोनेट ज्ञात नहीं है।
 
लोहे के अनेक नाइट्राइड ज्ञात हैं। लोहे को अमोनिया के साथ उच्च ताप पर रखने से लौह नाइट्राइड, (Fe2 N) बनता है। इसके अतिरिक्त दो और नाइट्राइड, (Fe3 N2) और (Fe N) भी विशेष अभिक्रियाओं द्वारा बनाए गए हैं। "नाइट्रिक अम्ल के साथ दो लवण फेरस नाइट्रेट, Fe (NO3)2. 6H2O] और फेरिक नाइट्रेट, [ Fe (NO3)3. 6 H2 O, and Fe (N O3)3 9 H2O] बनते हैं। फेरस नाइट्रेंटनाइट्रेट अस्थायी यौगिक है।
 
[[फ़ॉस्फ़ोरस]] से अभिक्रिया कराकर लोहे के चार फ़ॉस्फ़ाइड बनाए गए हैं, (Fe3 P), (Fe2 P), (FeP) तथा (Fe2 P3)। इनके अतिरिक्त फेरस फ़ॉस्फेट, Fe3 (PO4)2 8H2.O] और फेरिक फ़ॉस्फ़ेट, (Fe PO4), भी निर्मित हुए हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/लोहा" से प्राप्त