"ध्यान (योग)": अवतरणों में अंतर

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'''ध्यान''' [[हिन्दू धर्म]], भारत की प्राचीन शैली और विद्या के सन्दर्भ में [[पतंजलि|महर्षि पतंजलि]] द्वारा विरचित [[योगसूत्र]] में वर्णित अष्टांगयोग का एक अंग है<ref>[http://www.vivekananda.net/PDFBooks/Yoga_Sastra.pdf&sa=U&ved=0ahUKEwiXpJPS0OXMAhWBLI8KHdzTCkQQFggdMAY&usg=AFQjCNHBtzV10TrhaDYkL7tbkeklSNsHzQ पतंजलि योग सूत्र] प्राप्त:- १९ मई २०१६</ref>। ये आठ अंग [[यम]], [[नियम]], [[आसन]], [[प्राणायाम]], [[प्रत्याहार]], [[धारणा]], ध्यान तथा [[समाधि]] है। ध्यान का अर्थ कीसीकिसी भी एक विषय की धारण करके उसमेउसमें मन को एकाग्र करना होता है। मानसिक शांति, एकाग्रता, द्रढदृढ़ मनोबल, ईश्वर का अनुसंधान, मन को निर्विचार करना, मनपेमाँ पर काबू पाना जैसे कई उद्देशोउद्दयेशों के साथ ध्यान किया जाता है। ध्यान का प्रयोग [[भारत]] में प्राचीनकाल से किया जाता है।
 
==ध्यान की पद्धति==
ध्यान करने के लिए व्यक्ति की रुचि के अनुसार अनेक प्रकार की पद्धति है जिसमें से कुछ पद्धतियाँ निम्न प्रकार की है:-