"फफूंद": अवतरणों में अंतर

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कुछ लोगों का मत है कि कवक की उत्पत्ति [[शैवाल]] (algae) में पर्णहरिम की हानि होने से हुई है। यदि वास्तव में ऐसा हुआ है तो कवक को पादप सृष्टि (Plant kingdom) में रखना उचित ही है। दूसरे लोगों का विश्वास है कि इनकी उत्पत्ति रंगहीन कशाभ (flagellata) या प्रजीवा (protozoa) से हुई है जो सदा से ही पर्णहरिम रहित थे। इस विचारधारा के अनुसार इन्हें वानस्पतिक सृष्टि में न रखकर एक पृथक सृष्टि में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
 
वास्तविक कवक के अंतर्गत कुछ ऐसी परिचित वस्तुएँ आती हैं, जैसे गुँधे हुए आटे (dough) से [[पावरोटी]] बनाने में सहायक एककोशीय [[खमीर]] (yeast), बासी रोटियों पर रूई की भाँति उगा फफूँद, [[चर्म]] को मलिन करनेवाले [[दाद]] के कीटाणु, फसल के नाशकारी रतुआ तथा कंडुवा (rust and smut) और खाने योग्य एव विषैली [[कुकुरमुत्ता (कवक)|कुकुरमुत्ते]] या खुंभियाँ (mushrooms)।खाद्य कवक
कुछ कवक स्वाद में अच्छे होते हैं और इनका प्रयोग प्राय: भोजन को स्वादिष्ट और आकर्षक बनाने में होता है। भारतवर्ष में वर्षा के दिनों में पहाड़ अथवा पहाड़ के नीचे जंगलों में सड़ी और मृत वनस्पतियों के ढेरों पर अथवा जंतुओं के मृत अवशेषों पर कुछ खाद्य कवकों की जातियाँ उगी हुई पाई गई हैं। कुछ खाद्य कवक भारत के पहाड़ी और उत्तर तथा पूर्वी भारत के मैदानों में भी उगते हैं। इनका वृंत सफ़ेद, चिकना और किंचित्‌ छोटा होता है, जिसके मध्य या शीर्ष के पास एक पतला वलय होता है। इन खाद्य कवकों में से खुंबी के कृत्रिम संवर्धन के लिए उपर्युक्त समय मैदानों में अगस्त से मार्च तक और पहाड़ों पर मार्च से अक्टूबर तक माना गया है। खुंबी ताजी अथवा सुखाकर दोनों तरह से पकाई जाती है। डंठल सहित छत्रकों को प्रौढ़ होने के पूर्व ही तोड़ लिया जाता है, पानी से अच्छी तरह धोकर इनके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर धूप में सुखा लिए जाते हैं। संपूरकों के साथ प्रोटीन स्रोत के रूप में खुंबी का उपयोग कभी-कभी किया जाता है।
 
== रहन-सहन और वितरण ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/फफूंद" से प्राप्त