"मार्टिन लुथर": अवतरणों में अंतर

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पाश्चात्य ईसाई धर्म के इतिहास में लूथर का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। रोमन काथलिक चर्च के प्रति उनके विद्रोह के फलस्वरूप यद्यपि पाश्चात्य ईसाई संप्रदाय की एकता शताब्दियों के लिए छिन्न भिन्न हो गई थी और आज तक ऐसी ही है किंतु इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि लूथर असाधारण प्रतिभासंपन्न व्यक्ति थे जिन्होंने सच्चे धार्मिक भावों से प्रेरित होकर विद्रोह की आवाज उठाई थी। भाषा के क्षेत्र में भी लूथर का महत्व अद्वितीय है। उन्होंने जर्मन भाषा में बहुत से भावपूर्ण भजनों की रचना की तथा बाइबिल का जर्मन अनुवाद भी प्रस्तुत किया जिससे आधुनिक जर्मन भाषा पर लूथर की अमिट छाप है।
 
काथलिक चर्च से अलग हो जाने के बाद लूथर ने अपना अधिकांश जीवन विट्टेनवर्ग में बिता दिया जहाँ वह विश्वविद्यालय में अपने व्याख्यान देते रहे और धर्मविज्ञान तथा बाइबिल के विषय में अपनी बहुसंख्यक रचनाओं की सृष्टि करते रहे। सन् 1546 ई. में वह किसी विवाद का समाधान करने के उद्देश्य से मैंसफेल्ड गए थे और वहाँ से लौटते हुए वह अपने जन्मस्थान आइसलेबन में ही चल बसे। उनके देहांत के समय वेस्टफेलिया, राइनलैड और बावेरिया को छोड़कर समस्त जर्मनी लूथरन शासकों के हाथ में थी। इसके अतिरिक्त लूथरवाद जर्मनी के निकटवर्ती देशों में भी फैल गया तथा स्कैनडिनेविया के समस्त ईसाई लूथरन बन गए थे। {very good}
 
== वर्तमान समय का लूथरन धर्म ==