"प्रकाश का वेग": अवतरणों में अंतर
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[[सायण|सायणाचार्य]] ने प्रकाश के वेग का उल्लेख कुछ इस प्रकार किया है-
: ''योजनानां सहस्रे द्वे द्वे शते द्वे च
: ''एकेन निमिषार्धेन क्रममाण नमोऽस्तु ते ॥''
:: '' अर्थात् आधे [[निमेष]] में 2202 [[योजन]] का मार्गक्रमण करने वाले प्रकाश तुम्हें नमस्कार
== सन्दर्भ ==
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