"ब्रह्माण्ड किरण": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो HotCat द्वारा श्रेणी:ब्रह्माण्ड किरणें जोड़ी |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
||
पंक्ति 6:
== प्रकार ==
ब्रह्माण्ड किरणे कई तरह की होती है। [[सौर ब्रह्माण्ड किरण]] (solar cosmic ray) सूर्य से निकलती है। इसकी ऊर्जा (१०<sup>७</sup> से १०<sup>१०</sup> eV) अन्य सभी ब्रह्माण्ड किरणो से कम होती है। [[सौर ज्वाला]] व [[सूर्य]] में होने वाले विस्फोट के फलस्वरुप इसकी उत्पत्ती होती है। दूसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण, [[गांगेय ब्रह्माण्ड किरण]] (galactic cosmic ray) है। इसकी ऊर्जा (१०<sup>१०</sup> से १०<sup>१५</sup> eV) सौर ब्रह्माण्ड किरणो से अधिक होती है। खगोलविद समझते है कि इसकी उत्पत्ती [[सुपरनोवा]] विस्फोट, [[श्याम विवर]] और न्यूट्रॉन तारे से होती है जो हमारी ही [[आकाशगंगा]] में मौजुद है। [[परागांगेय ब्रह्माण्ड किरण]] (extragalactic cosmic ray) तीसरे प्रकार की ब्रह्माण्ड किरण है। वैज्ञानिको की धारणा है कि इनका
ब्रह्माण्ड किरणे जब पृथ्वी के वायुमंडल से टकराती है तो वो गैसो के अणुऑ और परमाणुऑ को तोड़् देती है। इस प्रकार यह एक नये ब्रह्माण्ड किरण कण (पॉयन, म्यूऑन) का निर्माण करती है। यह नया कण अन्य नये ब्रह्माण्ड किरण कणो ([[इलेक्ट्रॉन]], [[पॉजीट्रॉन]],[[न्यूट्रीनो]]) को बनाती है और इस तरह ब्रह्माण्ड किरणे चारो ओर फैलती जाती है। निरंतर् नये ब्रह्माण्ड किरण कण बनाने की प्रक्रीया में इनकी ऊर्जा घटती जाती है। वायुमंडल में ब्रह्माण्ड किरणो और गैसो के बीच अनेको बार टक्करे होती रहती है और अंत में लाखो की संख्या में द्वितियक ब्रह्माण्ड किरणो का निर्माण होता है, जिसे " cosmic-ray shower या air shower " कहते है।
ब्रह्माण्ड किरणे एक प्रकार का विकिरण है, जो जीवो और मशीनो को नुक्सान पहुँचा सकते है। हम भाग्यशाली है कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल इन विकिरणो से हमारी रक्षा करती है अन्यथा मनुष्य को प्रत्येक वर्ष औसत २.३ millisievert विकिरणो का सामना करना पड़्ता। millisievert विकिरण मापने की एक इकाई है और इसे mSv से प्रदर्शित किया जाता है। चुंबकीय क्षेत्र और वायुमंडल के कारण केवल ०.२ mSv विकिरण [[पृथ्वी]] तक पहुँच पाती है जो आने वाली [[विकिरण]] की कुल मात्रा से बहुत कम मात्र १० प्रतिशत होती है। अंतरिक्ष यात्रीयों को अधिक मात्रा में, लगभग ९०० mSv विकिरणो का सामना करना पड़्ता है जब वे पृथ्वी से दूर (चंद्रमा या मंगल ग्रह की ओर) यात्रा करते है, जहॉ इन विकिरणो से रक्षा करने पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र या अन्य कोई
पृथ्वी पर सदा समान मात्रा में ब्रह्माण्ड किरणे नहीं आती है। जब सूर्य अधिक सक्रिय होता है तब पृथ्वी की ओर आने वाली इन ब्रह्माण्ड किरणो की मात्रा कम हो जाती है। सूर्य हर ११ वें साल में अधिक सक्रिय होता है। इस समय अधिक सौर ज्वाला उत्पन्न होती है और उसके वातावरण में कई बवंडर उठते है फलस्वरुप अधिक मात्रा में ब्रह्माण्ड किरणे उत्पन्न होती है। फिर भी पृथ्वी पर पहुँचने वाली विकिरण की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि जब सूर्य सक्रिय होता है तो उसका चुंबकीय क्षेत्र या [[हीलीयोस्फेयर]] अधिक सक्रिय हो जाता है जो [[सौरमंडल]] में आने वाली गांगेय तथा परागांगेय विकिरणो को रोक देता है, जिसकी ऊर्जा सौर विकिरणो की अपेक्षा कहीं अधिक होती है। सूर्य के सक्रिय अवस्था में अंतरिक्ष यात्रा करना अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित है।
|