"विकासात्मक मनोविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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===किशोरावस्था===
[[समाज]] मे बचपन स युवावस्थ का आकंलन एक बहुत बडे समय अतंराम मे किया जाता है। इसकी शुरुआत यौयनारंभ के साथ होही है जिससे [[इंसान]] शारीरिक रुपरूप से यौना संबंध बनाने हेतु और प्रजनन हेतु तैयार हौ जाता है। भावनात्मक परिपक्वता इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्य अपनी पहचान खुद बनाले, आत्म निर्भर हो जाए तथा समाज मे उसकी प्रशंसा हो। परंतु कुछ लोग कभी भी मानसिक रुपरूप से प्रौढ़ नही होते चाहे पेशारीरिक रुपरूप से कितने भी बडे क्यो ना हो जाए। शुसआती वयस्कता बचपन से जवानी की दहलीज पर कदम रखने से शुरु होती है, जहा समाजजिक रुपरूप से भी बडा होता है। वह संभोग एवं प्रजनन तथा अपनी देखभाल करने हो जाता है।
 
यौवन- इसकी शुरुआत तेजी से सेक्स हार्मोन के बनने से होती है। लडकियाँ मे इसके लक्षण है- अंडाशय मे एस्ट्रोजन बढ़ जाती है, जिसकी वजह से महिला जननांगों मे विकास होता है। लड़कों मे इसके लक्षण है- वृषण मे एण्ड्रोजन बढ़ जाती है, विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन,जिसकी वजह से पुरुष गुप्तांग, मांसपेशियों और शरीर के बाल मे विकास होता है।
 
शुरुआती अवस्था- यह करीब दो वर्षों तक चलता है। इसके खत्म होते ही इंसान यौन परिपक्वता करने योग्य हो जाता है। लडकियाँ मे करीब ११-१३ वर्षों की उम्र मे अपने उम्र के लड़कों से उम्रदराज और मोती हौ जाती है। लड़कों मे यह अवस्थ १४-१६ वर्षों मे अती है और इस वर्षों लड़के अपने उम्र की लडकियाँ से लंबे तथा शारीरिक रुपरूप से मजबुत होते है। लडकिया और लड़को अपना सारा विकास १८ वर्षों मे होजाता हे। युवावस्था के प्रारंभिक लक्षण जननांग की शृध्दि तथा संभोग हेतु तैयार होते से जुडी होती है। व्दितिथ लक्षण मानसिक रुपसे संभोग हेतु तैयार होने से है। इस दौरान युवको के गलत रास्ते पर चलने इग्स इत्यादि के सेवन के खतरे बढजाते है।
 
===जवान युवावस्था===
यह [[युवावस्था]] का सही समय होता है। इस समय पे शारीरिक और मानसिक रुपरूप से काफी सबल होने है। शरीर के सारे अंग सही काम कर रहे होते है। मध्यावस्था २०-१५ वर्षों मे, शरीर के आधिकतर अंग पूर्ण से विकसित होते है। २०-४० वर्षों के अंतराल मे नज़र, श्वान, स्पर्श तथा [[कान]](सुनने हेतु) पूर्ण रुपरूप से विकदित होते है। ४५ के बाद कान के सुनने की शक्ति कम होने लगती है, खासकर ज्यादा हेज ध्वनि के प्रति।
 
[[अनुवांशिक]] संक्रमण तथा स्वास्थ्था- बहुत सारी बिमारियँ बहुत सारे तथ्यो पर निर्भर करती है। अनुवांशिक और प्रकृतिक दोनो का मनुष्य के जीवन पर काफी प्रभाव पडता है। 'मोटापा' इसका एक बहुतबड कारण है। इसके अलावा अन्या कारण है, कसरत की कमी, [[धूम्रपान]] और कुपोषण।
 
===माध्यामिक युवावस्था===
उम्र के इस पडाव का कोई सामाजिक तथा जैविक संबंध नही है। स्वास्थ्य मे सुधार तथा आपुमे बटोत्तेरी हेतु यह उम्र का पडाव काफी महत्वपूर्ण है। ४०-६५ आयु अधिकतर लोगो के बीच दुरियँ लाता है। इस उम्र मे मनुष्य पर कफी जिम्मेदारी आ जाती है तथा उसे अनेक भुमिकाएँ निभानि पडती है। मध्यमवायु के अधिकतर लोग अपना स्थान बना चुके होते है तथा पूर्णतः स्वतंत्र रुपरूप से जीवन अतीत फर रहे होते है। सफलता, काम तथा समाजिक जिम्मेदारीयो के बीच समाज का बंधन स्वीकार नही कर पाते।
 
=== वृद्धावस्था===
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* [[सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मनोविज्ञान]] ( [[लिव वाइगोत्सकी]] द्वारा)
 
== सन्दर्भ ==
==संदर्भ==
* मानव विकास
* अंग्रेज़ी विकिपीडिया