"कुंडलिनी योग": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
Sanjeev bot (वार्ता | योगदान) छो बॉट: वर्तनी एकरूपता। |
||
पंक्ति 4:
चित्त का अपने स्वरूप विलीन होना या चित्त की निरूद्ध अवस्था लययोग के अन्तर्गत आता है। साधक के चित्त में जब चलते, बैठते, सोते और भोजन करते समय हर समय ब्रहम का ध्यान रहे - इसी को लययोग कहते हैं। [[योगत्वोपनिषद]] में इस प्रकार वर्णन है-
:
==इन्हें भी देखें==
|