"पोषण": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 18:
शरीर के पोषण के लिये दो तत्वों की नितांत आवश्यकता (essential) है। ईधन तत्व और दूसरा शारीरिक बनावट के पदार्थ उत्पादक, तंतुवर्धक और ह्रास पूरक तत्व। शरीर में शक्ति उत्पन्न करने के लिये ईंधन तत्व की आवश्यकता होती है। कार्बोहाइड्रेट, वसा ओर प्रोटीन के कुछ भाग ईंधन तत्व हैं। ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ ये सभी ईंधन ऊष्मा भी पैदा करते हैं। ऊष्मा और ऊर्जा पोषण के चिह्न हैं। जीवधारियों का शरीररूपी यंत्र के अवयव सामान्य यंत्रों की भाँति घिसते हैं, पर साथ-साथ इनकी मरम्मत भी होती रहती है, यदि मरम्मत करने की सामग्री खाद्य में विद्यमान हो। जिन तत्वों से शरीर के अवयव 18 से 20 वर्ष की आयु तक बनते हैं, उन्हीं तत्वों के शरीर के ह्रास की पूर्ति होती है और साथ-साथ शरीर की वृद्धि भी होती है। यह काम विशेषत: प्रोटीनों के द्वारा होता है।
 
'''ईंधन तत्व''' से कैलोरी प्राप्त होती है। यद्यपि वर्तमान काल में विटामिन और खनिज तत्वों का विशेष मह्रतव है, तथापि पोषण के लिये कैलोरी का महत्व भी अपनेiअपने स्थान पर है। ईंधन तत्वों का कार्य अवयवों में ऊष्मा पैदा करना, पेशियों को क्रियावान् रखना तथा शरीर के उच्चतर काम (जैसे मस्तिष्क, यकृत्, अंत: स्त्राव, ग्रंथि, गुर्दा, इत्यादि के कार्य) में भाग लेना है।
 
शरीर में कुछ क्रियाएँ ऐसी हैं जो शिथिल और सुषुप्त अवस्था में भी होती रहती हैं। इनमें से कुछ कार्य अनैच्छिक रूप से होते रहते हैं, जैसे हृदय की गति आंतों में रस का पैदा होना, पाचन और उसमें गति रहना इत्यादि। कुछ कार्य ऐच्छिक रूप से होते रहते हैं, जैसे नि:श्वास क्रिया इत्यादि। इन सब कामों के लिये ईंधन तत्वों से ऊष्मा और ऊर्जा मिलती रहती है, जो कैलोरी में मापी जा सकती है। शांत और शिथिल अवस्था में जो शारीरिक प्रक्रियाएँ होती रहती हैं, उनको ""आधार उपापचय"" (basal metabolism) कहते हैं। इसके अपने कई तरीके हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पोषण" से प्राप्त