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{{ज्ञानसन्दूक भाषा|
name=सिन्धी
|nativename = سنڌي सिन्धी Sindhī
|states= [[सिन्ध]] ([[पाकिस्तान]]), [[कच्छ]] ([[भारत]])
|speakers=२.५ करोड़
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|script=[[नस्तालिक]], [[देवनागरी]], [[खुदाबादी लिपि|खुदाबादी]]
|nation=[[पाकिस्तान]], [[भारत]]
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'''सिंधी''' [[भारत]] के पश्चिमी हिस्से और मुख्य रूप से [[गुजरात]] और [[पाकिस्तान]] के [[सिंध]] प्रान्त में बोली जाने वाली एक प्रमुख [[भाषा]] है। इसका संबंध [[भाषाई परिवार]] के स्तर पर [[आर्य भाषा]] परिवार से है जिसमें [[संस्कृत]] समेत [[हिन्दी]], [[पंजाबी]] और [[गुजराती]] भाषाएँ शामिल हैं। अनेक मान्य विद्वानों के मतानुसार, आधुनिक भारतीय भाषाओं में, सिन्धी, बोली के रूप में [[संस्कृत]] के सर्वाधिक निकट है। सिन्धी के लगभग ७० प्रतिशत शब्द संस्कृत मूल के हैं।
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== व्याकरण ==
=== सिन्धी शब्द ===
सिंधी के सब शब्द स्वरांत होते हैं। इसकी ध्वनियों में''' ग॒ , ॼ , ॾ , और , ॿ '''अतिरिक्त और विशिष्ट ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में सवर्ण ध्वनियों के साथ ही स्वर तंत्र को नीचा करके काकल को बंद कर देना होता है जिससे द्वित्व का सा प्रभाव मिलता है। ये भेदक [[स्वनग्राम]] है। संस्कृत के त वर्ग + र के साथ मूर्धन्य ध्वनि आ गई है, जैसे पुट्ट, या पुट्टु (पुत्र), मंड (मंत्र), निंड (निंद्रा), डोह (द्रोह)। संस्कृत का संयुक्त व्यंजन और प्राकृत का द्वित्व रूप सिंधी में समान हो गया है किंतु उससे पहले का ह्रस्व स्वर दीर्घ नहीं होता जैसे धातु (हिन्दी, भात), जिभ (जिह्वा), खट (खट्वा, हिन्दी, खाट), सुठो (सुष्ठु)। प्राय: ऐसी स्थिति में दीर्घ स्वर भी ह्रस्व हो जाता है, जैसे डिघो (दीर्घ), सिसी (शीर्ष), तिको (तीक्ष्ण)। जैसे संस्कृत दत्तः और सुप्तः से दतो, सुतो बनते हैं, ऐसे ही सादृश्य के नियम के अनुसार कृतः से कीतो, पीतः से पीतो आदि रूप बन गए हैं यद्यपि मध्यम-त-का लोप हो चुका था। पश्चिमी भारतीय आर्य भाषाओं की तरह सिंधी में भी महाप्राणत्व को संयत करने की प्रवृत्ति है जैसे साडा (सार्ध, हिन्दी, साढे), कानो (हिन्दी, खाना), कुलण (हिन्दी, खुलना), पुचा (संस्कृत, पृच्छा)।
 
=== संज्ञा ===
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| कीयं आहियो / कीयं आहीं? || आप कैसे हैं/तुम कैसे हो?
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| आउं / मां ठीक आहियां || मैं ठीक हूँ।
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| तवाहिन्जी महेरबानी || धन्यवाद
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| हा || हां
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| न || नहीं
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| तवाहिन्जो / तुहिन्जो नालो छा आहे? || आपका/तुमारा नाम क्या है?
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| मुहिन्जो नालो _____ आहे। || मेरा नाम _____ है।
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| हीअ मुंहिंजी माउ आहे || ये मेरी माँ हैं।
पंक्ति 108:
| हीउ मुंहिंजो पीउ आहे || ये मेरे पिताजी हैं।
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| हीउ असांजे घर जो वडो॒ आहे || वे हमारे घर के मुखिया हैं।
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| हीअ नंढ्ड़ी बा॒र आहे || वह छोटी बच्ची है।
पंक्ति 114:
| हीउ नंढ्ड़ो ॿारु आहे || वह छोटा बच्चा है।
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| ही घणा आहिन्? || ये कितने हैं?
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| मां सम्झां नथो (पुल्लिंग) / नथी (स्त्री.) || मैं नहीं समझा/समझी।
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| तूं वरी चवंदें? || फिर से कहो (पुल्लिंग)
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| तूं वरी चवंडीअं? || फिर से कहोगी?
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| महिर्बानी करे वरी चौ || कृपया फिर से कहिये।
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| मूंखे चांहिं जो हिकु प्यालो खपे || मुझे एक प्याली चाय चाहिये।
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| तुंहिंजो मोबिले नुम्बेर छा आहे? || तुम्हारा मोबाइल नम्बर क्या है?
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| मूंखे ख़बर कोन्हे. || मुझे नहीं पता।
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| मान वेश्नू आह्यां || मैं शाकाहारी हूँ।
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| टुंहिंजो जनम ॾींहु कॾहिं आहे? || तुम्हारा जन्मदिन कब है?
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| ॾ्यारी कॾहिं आहे? || दिवाली कब है?
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| मूंखे खीर जो हिकु ग्लस्स ॾे. || मुझे एक गिलास दूध दो।
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| तोखे कहिड़ो रंगु वणंदो आहे? || तुम्हे कौन सा रंग पसन्द है?
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| प्यालो मैज़ ते रखु || प्याली मेज पर रखो।
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| खादे में मसाल घणा आहिन् || खाने में मसाला बहुत है।
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| हीउ हाल ॾाढो वॾो आहे. || यह हाल बहुत बड़ा है।
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| तो अॼु देरि कई आहे. || तुम आज देर से आये हो।
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| सभिनी खे प्यार ॾे (एकबचन) / ॾियो (बहुबचन) || सभी को प्यार दो/दें।
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| सारी काय्नाति हिकु कुटुंबु आहे || सारी सृष्टि एक परिवार है।
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| सदा मुश्कन्दा रहो || सदा मुस्कराते रहो।
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| प्रभू नज़्दीक आहे || प्रभु पास हैं।
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| छो डिॼिजे? || डरना क्यों?
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| प्रभूअ में ईमान रखो || भगवान में विश्वास रखो।
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| पंहिंजन माइटन खे इज़त ॾियो || माता-पिता का आदर करो।
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| ग़रीबन जी शेवा आहे प्रभूअ जी पूॼा || गरीबों की सेवा प्रभु की पूजा है।
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| हिक्क || एक
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| ब॒ || दो
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| ट्रे || तीन
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| चारु || चार
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| पंज || पांच
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| छः || छे
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| सत्त || सात
|-
| अट्ठ || आठ
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| नवं || नौ
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| ड॒ह || दस
|}