"हितोपदेश": अवतरणों में अंतर

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'''हितोपदेश''' भारतीय जन-मानस तथा परिवेश से प्रभावित [[उपदेश|उपदेशात्मक]] कथाएँ हैं। हितोपदेश की कथाएँ अत्यन्त सरल व सुग्राह्य हैं। विभिन्न पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियाँ इसकी खास विशेषता हैं। रचयिता ने इन पशु-पक्षियों के माध्यम से कथाशिल्प की रचना की है जिसकी समाप्ति किसी शिक्षापद बात से ही हुई है। पशुओं को [[नीति]] की बातें करते हुए दिखाया गया है। सभी कथाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई प्रतीत होती हैं।
 
== रचयिता ==
हितोपदेश के रचयिता [[नारायण पण्डित]] हैं। पुस्तक के अंतिम पद्यों के आधार पर इसके रचयिता का नाम "नारायण" ज्ञात होता है।
 
:''' नारायणेन प्रचरतु रचितः संग्रहोsयं कथानाम्'''
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== रचना काल ==
 
नीतिकथाओं में [[पंचतन्त्र]] का पहला स्थान है। विभिन्न उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी के आस-पास निर्धारित की जाती है। हितोपदेश की रचना का आधार पंचतन्त्र ही है।
 
कथाओं से प्राप्त साक्ष्यों के विश्लेषण के आधार पर डा. फ्लीट कर मानना है कि इसकी रचना काल ११ वीं शताब्दी के आस-पास होना चाहिये। हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख १३७३ ई. का प्राप्त है। [[वाचस्पति गैरोला]] जी ने इसका रचनाकाल १४ वीं शती के आसपास माना है।
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[[श्रेणी:कहानी]]
[[श्रेणी:कथा-संग्रह]]
[[श्रेणी:चित्र जोड़ें]]