"ध्यान": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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[[ध्यान (क्रिया)|योगसम्मत ध्यान]] से इस सामान्य ध्यान में बड़ा अंतर है। पहला दीर्घकालिक अभ्यास की शक्ति के उपयोग द्वारा आध्यात्मिक लक्ष्य की ओर प्रेरित होता है, जबकि दूसरे का लक्ष्य भौतिक होता है और साधारण दैनंदिनी शक्ति ही एतदर्थ काम आती है। [[संपूर्णानंद]] आदि कुछ भारतीय विद्वान् योगसम्मत ध्यान को सामान्य ध्यान की ही एक चरम विकसित अवस्था मानते हैं।
'''== परिचय ==किसी भी मनुषय का सभी बाहरी कारयों से विरकत होकर किसी एक कारय में लीन हो जाना ही धयान है |आशय यह है कि किसी एक कारय में किसी का इतना लिपत होना कि उसे समय,मौसम,एवं अनय शारीरिक जरूरतों का बोध न रहे इसे ही धयान कहते हैं |
ध्यान तीन प्रकार के स्वभावोंवाला होता है-
*(क) सहज (यथा धमाके की आवाज पर)
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