"भाप टरबाइन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Modern Steam Turbine Generator.jpg|350px|right|thumb|right|आधुनिक भाप-टरबाइन और विद्युत-जनित्र प्रणाली]]
 
[[Image:Dampfturbine Laeufer01.jpg|right|thumb|300px|ऊर्जा संयंत्र में प्रयुक्त एक भाप टरबाइन का रोटर]]
[[Image:Turbine generator systems1.png|right|thumb|300px|टरबाइन-जनित्र प्रणाली]]
'''भाप टरबाइन''' (steam turbine) वह यांत्रिक युक्ति है जो दाबित [[भाप]] से [[ऊष्मीय ऊर्जा]] निकालकर इसे यांत्रिक कार्य में बदलती है। आधुनिक रूप में इसका आविष्कार सर चार्ल्स पैर्सन्स ने १८८४ में किया था।
 
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== भाप टरबाइन के प्रकार ==
[[चित्र:Edited comparing efficiencies.png|right|thumb|300px|आवेग टरबाइन तथा प्रतिक्रिया ट्रबाइन की दक्षता की तुलना]]
भाप टरबाइन मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं:
 
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=== टरबाइन फलक ===
[[चित्र:TurbineBlades.jpg|right|thumb|300px|आवेग टरबाइन के फलक]]
भाप टरबाइन में सबसे मुख्य इसके फलक हैं। इस यंत्र के अन्य पुर्जे इन्हीं फलकों के उपयोग के लिए रहते हैं। बिना फलक के शक्ति प्राप्त नहीं हो सकती एवं फलकों में जरा सा भी दोष रहने से टरबाइन की दक्षता में कमी आ जाती है। इसके निर्माण के लिए ऐसे द्रव्यों की आवश्यकता होती है जो उच्चताप के साथ ही उच्च प्रतिबल का भी सामना कर सकें। आधुनिक उच्च ताप और उच्च प्रतिबलवालेप्रतिबल वाले टरबाइनों के फलकों के लिये अलौह वर्ग के द्रव्यों का व्यवहार नहीं किया जा सकता, क्योंकि ताप के साथ इनकी तनाव क्षमता में भी कमी आ जाती है। आजकल इसके लिये [[अविकारी इस्पात]] के विकास की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान केंद्रित है। आदर्श फलक वही है जो उच्चतम दक्षता का होते हुए एक समान प्रतिबलित (stressed) हो। इस तरह की अवस्था खोखले फलकों द्वारा प्राप्त की जा सकती है। इसके सिवाय खोखले फलक परिभ्रमक पर तीव्र प्रतिबल नहीं डालते। इससे उच्च गति की प्राप्ति होती है, तथा अधिक शक्ति की प्राप्ति हो सकती है। टरबाइन में प्रवण फलकों का भी व्यवहार किया जाता है, जिससे इसके ऊपर कम प्रतिबल पड़े।
 
== परिभ्रमक-गति को कम करने के तरीके ==