"खसखस": अवतरणों में अंतर
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अजमेर की जगह भरतपुर और सवाईमाधोपुर में खस पाई जाती है। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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'''खस''' या '''खसखस''' (Khus Khus) एक सुगंधित पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम ''वेटिवीरिआ जिजेनिऑयडीज'' (''Vetiveria'') है जिसकी व्युत्पत्ति [[तमिल]] के शब्द वेटिवर से हुई प्रतीत होती है। यह सुगंधित, पतले एकवर्ध्यक्ष (Racemes) का लंबे पुष्पगुच्छवाला वर्षानुवर्षी पौधा है। इसकी अनुशूकी का जोड़ा सीकुररहित होता है, जिसमें से एक अवृंत और पूर्ण तथा दूसरा वृंतयुक्त और पृंपुष्पी होता है। अवृंत अनुशूकि में बारीक कंटक होते हैं। इसका प्रकंद (rhizoma) बहुत सुगंधित होता है। प्रकंद का उपयोग भारत में इत्र बनाने और ओषधि के रूप में प्राचीन काल से हो रहा है। पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसे ‘खस की टट्टी’ कहते हैं। इसको ग्रीष्म ऋतु में कमरे तथा खिड़कियों पर लगाते हैं और पानी से तर रखते हैं जिससे कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है। प्रकंद के वाष्प आसवन से सुगंधित वाष्पशील तेल प्राप्त होता है जिसका उपयोग [[इत्र]] बनाने में होता है। फूलों की गंध को पकड़ रखने की इसमें क्षमता पर्याप्त होती है।
यह सघन गुच्छेदार घास राजस्थान एवं भारत के अन्य राज्यों में स्वजात उगती पाई जाती है। राजस्थान में [[भरतपुर]] तथा [[
==सन्दर्भ==
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