"लीलावती": अवतरणों में अंतर
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: '''अये बाले लीलावति मतिमति ब्रूहि सहितान्'''
: '''द्विपंचद्वात्रिंशत्त्रिनवतिशताष्टादश दश।'''
: '''शतोपेतानेतानयुतवियुतांश्चापि वद मे'''
: '''यदि व्यक्ते युक्तिव्यवकलनमार्गेऽसि कुशला ॥''' (लीलावती, परिकर्माष्टक, १३)
: '''('''अये बाले लीलावति! यदि तुम जोड़ और घटाने की क्रिया में दक्ष हो गयी हो तो (यदि व्यक्ते युक्तिव्यवकलनमार्गेऽसि कुशला) (इनका) योगफल (सहितान् ) बताओ- द्वि
== वर्ण्यविषय ==
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१४. [[कुट्टक]]
१५.
लीलावती के क्षेत्रव्यवहार प्रकरण में भास्कराचार्य ने [[त्रिकोणमिति]] पर प्रश्न, त्रिभुजों तथा चतुर्भुजों के क्षेत्रफल, [[पाई]] का मान और [[गोला|गोलों]] के तल के [[क्षेत्रफल]] तथा [[आयतन]] के बारे में जानकारी दी है-
पंक्ति 53:
:अर्थात पाई का सूक्ष्म मान = ३९२७/१२५० , और
: पाई का स्थूल मान = २२/७ है। <ref>[https://books.google.co.in/books?id=kzHyr5yd7hAC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false संसार के महान गणितज्ञ, पृष्ट ९१]] (गूगल पुस्तक ; गुणाकर मूले)</ref>
: [ भनन्दाग्नि = भ + नन्द + अग्नि ---> भम् (नक्षत्र) - २७, नन्द (नन्द राजाओं की संख्या) - ९, अग्नि - ३ (जठराग्नि, बड़वाग्नि, तथा दावाग्नि) , भनन्दाग्नि - ३९२७ (ध्यान रखे,
निम्नलिखित प्रश्न, गायत्री [[छन्द]] से सम्बन्धित क्रमचय के बारे में है-
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