[[चित्र:Mathematics lecture at the Helsinki University of Technology.jpg|thumb|200x200px|गणित की कक्षा में कुछ विद्यार्थी पढ़ते हुए।]]
'''विद्यार्थी''' वह व्यक्ति होता है जो कोई चीज सीख रहा होता है। विद्यार्थी दो शब्दों से बना होता है - "विद्या" + "अर्थी" जिसका अर्थ होता है 'विद्या चाहने वाला'।
'''विद्यार्थी''' वह व्यक्ति होता है जो कोई चीज सीख रहा होता है। विद्यार्थी दो शब्दों से बना होता है -"विद्या"+"अर्थी"जिसका अर्थ होता है विद्या ग्रहण करने वाला।विद्यार्थी किसी भी आयुवर्ग का हो सकता है बालक, किशोर, युवा, या वयस्क। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि वह कुछ सीख रहा होना चाहिए जिसे किसी विद्यालय या संस्थान से सीखना पड़े। विद्यार्थी वह होता है। जो दुसरे से ज्ञान प्राप्त करता है। विद्यार्थी का अर्थ यह होता है कि अपने से बरो का कैसे आदर करना चाहिए। यह नहीं कि मैं पढ लिख कर बड़ा हो जाता है। तो बरो का सम्मान नहीं करना चाहिए। विद्यार्थी जीवन बहुत ही महत्वपुर्ण होता है। आज के समय में विद्यार्थी का बहुत बड़ा देश के लिए अपना योगदान दे रहा है। विद्यार्थी को शिक्षा सही तरह से लेना चाहिए क्योंकि विद्यार्थी का काम है शिक्षा ग्रहण करना होता है। जो भी विद्यार्थी चाहता है कि अच्छी शिक्षा के द्वारा ही अपनी भविष्य में आगे बढ सकता है। शुरु आती दौर से ही विद्यार्थी का शिक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए। विद्यार्थी का सबसे पहले अपने अधिकार होता है कि शिक्षा को प्राथमिकता देना है। किसी भी अधिकार होता है तो पहले विद्यार्थी का शिक्षा का होता है। और विद्यार्थी अपने आने वाले भविष्य में शिक्षा को अच्छी तरह से जानना चाहिए। विद्यार्थी अपना नामांकन जैसे- प्राथमिक विद्यालय, मध्य विद्यालय, उच्च विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि से शिक्षा देते हैं। विद्यार्थी का अर्थ होता है कि किसी भी संस्था के द्वारा अपना शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। विद्यार्थी का काम है। पढना और पढ लिख कर नौकरी करना है। और देश की सेवा करना है। हरेक विद्यार्थी को होता है कि मैं अच्छी शिक्षा लेकर अच्छा बनने के लिए सोचता रहता है। विद्यार्थी का काम हि पढ लिख कर अपने गाँव समाज का नाम ऊँचा करना हि नहीं बल्कि अपने परिवार से साथ अच्छा से जीवन बिताना होता है। विद्यार्थी का कष्ट मैं जीवन होता है। लेकिन आगे चल कर वही अच्छा भी होता है। अपने परिवार के साथ कही पर सुखमय जीवन बिता सकते हैं। और अपनी मेहनत के द्वारा हि विद्यार्थी मंजिल तक पहुँचता है। विद्यार्थी वह होता है जो अपने सभी प्रयास करते रहते हैं कि अपनी लक्ष्य की प्राप्ति कर सकुँ। और विद्यार्थी अपने प्रयास के बल पर आगे बढता रहता है। विद्यार्थी को अपने आप में गर्व होता रहता है कि मैं पढ लिख कर अच्छा करुंगा। अपने गाँव समाज जिला राज्य और देश के लिए। मैं सेवा कर सकुँ
विद्यार्थी किसी भी आयुवर्ग का हो सकता है बालक, किशोर, युवा, या वयस्क। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि वह कुछ सीख रहा होना चाहिए।
संस्कृत सुभाषितों में विद्या और विद्यार्थी के बारे बहुत अच्छी-अच्छी बातें कहीं गयीं हैं-
: ''काकचेष्टा बकोध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च।
: ''अल्पहारी गृहत्यागी विद्यार्थी पंचलक्षणम्॥
: (विद्यार्थी के पाँच लक्षण हैं- कौए की तरह चेष्टा (सब ओर दृष्टि, त्वरित निरीक्षण क्षमता), बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की तरह नींद (अल्प व्यवधान पर नींद छोड़कर उट जाय), अल्पहारी (कम भोजन करने वाला), गृहत्यागी (अपने घर और माता-पिता का अधिक मोह न रखने वाला)।
: ''सुखार्थी वा त्यजेत विद्या विद्यार्थी वा त्यजेत सुखम्'
: ''सुखार्थिनः कुतो विद्या विद्यार्थिन्ः कुतो सुखम्॥
: (सुख चाहने वाले को विद्या छोड़ देनी चाहिए और विद्या चाहने वाले को सुख छोड़ देना चाहिए। क्योंकि सुख चाहने वाले को विद्या नहीं आ सकती और विद्या चाहने वाले को सुख कहाँ?)
: ''आचार्यात् पादमादत्ते पादं शिष्यः स्वमेधया ।
: ''पादं सब्रह्मचारिभ्यः पादं कालक्रमेण च ॥
: ( विद्यार्थी अपना एक-चौथाई ज्ञान अपने गुरु से प्राप्त करता है, एक चौथाई अपनी बुद्धि से प्राप्त करता है, एक-चौथाई अपने सहपाठियों से और एक-चौथाई समय के साथ (कालक्रम से, अनुभव से) प्राप्त करता है।
==इन्हें भी देखें==
*[[विद्या]]
*[[शिक्षा]]
*[[गुरु]]
*[[शिष्य]]
*[[अधिगम]] (सीखना)
{{आधार}}
[[श्रेणी:विद्यार्थी|*]]
[[he:תלמיד]]
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