"भारतीय गिद्ध": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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यह जाति आज से कुछ साल पहले अपने पूरे क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में पायी जाती थी। १९९० के दशक में इस जाति का ९७% से ९९% पतन हो गया है। इसका मूलतः कारण पशु दवाई डाइक्लोफिनॅक (diclofenac) है जो कि पशुओं के जोड़ों के दर्द को मिटाने में मदद करती है। जब यह दवाई खाया हुआ पशु मर जाता है और उसको मरने से थोड़ा पहले यह दवाई दी गई होती है और उसको भारतीय गिद्ध खाता है तो उसके गुर्दे बंद हो जाते हैं और वह मर जाता है। अब नई दवाई मॅलॉक्सिकॅम [[:en:meloxicam|meloxicam]] आ गई है और यह हमारे गिद्धों के लिये हानिकारक भी नहीं हैं। जब इस दवाई का उत्पादन बढ़ जायेगा तो सारे पशु-पालक इसका इस्तेमाल करेंगे और शायद हमारे गिद्ध बच जायें।
== संरक्षण ==
आज भारतीय गिद्धों का प्रजनन बंदी हालत में किया जा रहा है। इसका कारण यह है कि खुले में यह विलुप्ति की
== इन्हें भी देखें==
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