"अन्तरराष्ट्रीय विधि": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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अंतर्राष्ट्रीय विधि की मान्यता सदैव राज्यों की स्वेच्छा पर निर्भर रही है। कोई ऐसी व्यवस्था या शक्ति नहीं थी जो राज्यों को अंतर्राष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिए बाध्य कर सके अथवा नियमभंजन के लिए दंड दे सके। [[राष्ट्रसंघ]] की असफलता का प्रमुख कारण यही था। संसार के राजनीतिज्ञ इसके प्रति पूर्णतया सजग थे। अतः [[संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र|संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र]] में इस प्रकार की व्यवस्था की गई है कि कालांतर में अंतर्राष्ट्रीय कानून को राज्यों की ओर से ठीक वैसा ही सम्मान प्राप्त हो जैसा किसी देश की विधि प्रणाली को अपने देश में शासन वर्ग अथवा न्यायालयों से प्राप्त है। संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने समस्त सहायक अंगों के साथ इस प्रकार का वातावरण उत्पन्न करने में प्रयत्नशील है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा समिति को कार्यपालिका शक्ति भी दी गई है।
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
== इन्हें भी देखें==
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* [[युद्ध विधि]] (ला ऑफ वार)
* [[तुलनात्मक विधि]] (Comparative law)
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://books.google.co.in/books?id=ehe6PahCtbYC&printsec=frontcover#v=onepage&q&f=false अन्तरराष्ट्रीय विधि, अन्तरराष्ट्रीय संस्थाएं एवं मानवाधिकार] (गूगल पुस्तक ; लेखक- अभिनव मिश्र)
[[श्रेणी:विधि|विधि, अन्तरराष्ट्रीय]]
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