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इस प्रकार, 'लीला' शब्द से ग्रन्थ आराम्भ हुआ है। इसके बाद स्थान-स्थान पर 'लीला' या 'लीलावती' शब्द प्रयुक्त हुआ है।
 
लीलावती ग्रन्थ का अन्तिम श्लोक इस बादबात का प्रमाण है कि लीलावती, भास्कराचार्य की पत्नी का नाम है।
:'' येषां सुजातिगुणवर्गविभूषिताङ्गी शुद्धाखिल व्यवहृति खलु कण्ठासक्ता।
: ''लीलावतीह सरसोक्तिमुदाहरन्ती तेषां सदैव सुखसम्पदुपैति वृद्धिम्॥