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== इतिहास ==
{{main|श्रीलंका का इतिहास}}
श्री लंका का पिछले ३००० वर्ष का लिखित इतिहास उपलब्ध है। 125,000 वर्ष पूर्व यहाँ मानव बस्तियाँ होने के प्रमाण मिले हैं।<ref>Roberts, Brian (2006). "Sri Lanka: Introduction". Urbanization and sustainability in Asia: case studies of good practice. ISBN 978-971-561-607-2.</ref> श्री लंका की संस्कृति अत्यन्त सम्पन्न है और यहाँ से २९ ईसापूर्व में [[चतुर्थ बौद्ध संगीति]] के समय रचित बौद्ध ग्रन्थ प्राप्त हुए हैं। <ref>Jack Maguire (2001). Essential Buddhism: A Complete Guide to Beliefs and Practices. Simon and Schuster. p. 69. ISBN 978-0-671-04188-5. "... the Pali Canon of Theravada is the first known collection of Buddhist writings ..."</ref><ref>"Religions – Buddhism: Theravada Buddhism". BBC. 2 October 2002.</ref>
भारतीय पौराणिक काव्यों में इस स्थान का वर्णन लंका के रूप में किया गया है। इस जगह पर सर्वप्रथम बाबा भोले (शिवजी) ने अपने परिवार के लिए स्वर्णमहल बनाया था, इस राज्य की गृह प्रवेश करने के लिए उस समय के महान पंडित अति ज्ञनी भोले नाथ के परम भक़्त महान ब्राह्मण [[विश्रवा]] को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने दछिना में पूरे लंका को ही मांग लिया। बाद में जब रावण मिथिला कुमारी, प्रभु श्री राम जी की अर्धांग्नी जानकी माता सीता को हर लाये थे, तादौप्रान्त श्री हनुमान जी माता के पास सन्देश लेके आये, जब रावण को ये बात पता चली तो उन्होंने हनुमान जी की पूछ को बड़ा करबा कर उसमें आग लगा दिये, तो हनुमान जी ने गुस्से से पूरी सोने की लंका को जला दिए थे, जिसका प्रमाण अभी भी वहाँ के समुंद्री इलाकों में पाया जाता है। इतिहासकारों में इस बात की आम धारणा थी कि श्रीलंका के आदिम निवासी और [[दक्षिण भारत]] के आदि मानव एक ही थे। पर अभी ताजा खुदाई से पता चला है कि श्रीलंका के शुरुआती मानव का संबंध उत्तर भारत के लोगों से था। भाषिक विश्लेषणों से पता चलता है कि सिंहली भाषा, [[गुजराती भाषा]] और [[सिंधी भाषा]] से जुड़ी है।
 
प्राचीन काल से ही श्रीलंका पर शाही सिंहल वंश का शासन रहा है। समय-समय पर दक्षिण भारतीय राजवंशों का भी आक्रमण भी इस पर होता रहा है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में [[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के पुत्र [[महेन्द्र]] के यहां आने पर [[बौद्ध धर्म]] का आगमन हुआ।