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[[मध्यमकालंकार]] उनकी ही रचना कही जाती है।
 
 
ये माध्यमिक मत के प्रमुख आचार्यों के रूप में विख्यात थे । तिब्बतीय तत्कालीन राजा के निमन्त्रण पर ये वहाँ पहुँच थे । 749 ई॰ में इन्होंने सम्मेलन नामक विहार की यहाँ स्थापना की । यह तिब्बत का सर्वप्रथम बौद्ध विहार है । इस विहार में इन्होंने 13 वर्ष तक निवास किया । अन्ततः यहाँ ही इन्होंने 762 ई॰ में निर्वाण प्राप्त किया । इनका केवल एक ग्रन्थ ही उपलब्ध है और वह है तत्त्वसंग्रह ।
 
[[चित्र:Shantirakshita - Google Art Project.jpg|300px|thumb|right|शान्तरक्षित]]
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*[http://sarit.indology.info/exist/apps/sarit/works/vadanyayatika.xml_1.4.3.1.html वादन्यायटीका विपंचितार्था : निग्रहस्थानलक्षणम्]
*[http://sarit.indology.info/exist/apps/sarit/works/vadanyayatika.xml_1.4.3.4.html वादन्यायटीका विपंचितार्था : न्यायमतखंडनम्]
 
{{बौद्ध धर्म विषयावली}}
 
[[श्रेणी:भारतीय बौद्ध]]