"भारतेन्दु हरिश्चंद्र": अवतरणों में अंतर

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== भाषा ==
भारतेन्दु की रचनाधर्मिता में दोहरापन दिखता है। कविता जहां वे [[ब्रज भाषा]] में लिखते रहे, वहीं उन्होंने बाकी विधाओं में सफल हाथ [[खड़ी बोली]] में आजमाया। सही मायने में कहें तो भारतेंदु आधुनिक खड़ी बोली गद्य के उन्नायक हैं।
 
भारतेन्दु जी के काव्य की भाषा प्रधानतः [[ब्रज भाषा]] है। उन्होंने ब्रज भाषा के अप्रचलित शब्दों को छोड़ कर उसके परिकृष्ट रूप को अपनाया। उनकी भाषा में जहां-तहां [[उर्दू]] और [[अंग्रेज़ी]] के प्रचलित शब्द भी जाते हैं।
 
भारतेंदु जी की भाषा में कहीं-कहीं व्याकरण संबंधी अशुध्दियां भी देखने को मिल जाती हैं। [[मुहावरा|मुहावरों]] का प्रयोग कुशलतापूर्वक हुआ है। भारतेंदु जी की भाषा सरल और व्यवहारिक है।
उनके गद्य की भाषा सरल और व्यवहारिक है। [[मुहावरा|मुहावरों]] का प्रयोग कुशलतापूर्वक हुआ है।
 
=== शैली ===