छो 2409:4052:78B:CFE:1F6:7BE:C7A8:CAF0 (Talk) के संपादनों को हटाकर Sficbot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 50:
;मनोज कुमार की जुबानी
[[मनोज कुमार]] किशोर कुमार को लेकर एक यादगार किस्सा सुनाते हैं।{{citation needed}} एक बार उनकी फ़िल्म ' उपकार ' के लिए किशोर कुमार को गाना गाने के लिए आमंत्रित किया तो वह यह कहकर भाग खड़े हुए कि वे तो फ़िल्म के हीरो के लिए ही गाने गाते हैं, किसी खलनायक पर फ़िल्माया जाने वाला गाना नहीं गा सकते। लेकिन ' उपकार ' का यह गीत ' कसमे वादे प्यार वफ़ा ...' जब हिट हुआ तो किशोर कुमार मनोज कुमार के पास गए और कहने लगे इतने अच्छे गाने का मौका उन्होने छोड़ दिया। इसके साथ ही उन्होंने यह स्वीकार करने में भी देर नहीं की कि मन्ना डे ने जिस खूबसूरती से इस गाने को गाया है ऐसा तो मैं कई जन्मों तक नहीं गा सकूंगा। अच्छा ही हुआ कि मैने इस गाने को नहीं गाया नहीं तो लोग इतने अच्छे गीत में मन्ना डे की इस खूबसूरत आवाज से वंचित रह जाते।
 
== दिलचस्प किस्से ==
अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहना किशोर कुमार का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएँ से बाएँ गाने में उन्होंने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर कहते थे- रशोकि रमाकु।
 
किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा के तीन नायकों को महानायक का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनकी आवाज के जादू से देवआनंद सदाबहार हीरो कहलाए। राजेश खन्ना को सुपर सितारा कहा जाने लगा और अमिताभ बच्चन महानायक हो गए।
 
एक बार बी.आर.चोपड़ा अशोक कुमार के पास गए और बोले कि वो किशोर को अपनी फिल्म में लेने चाहते हैं लेकिन किशोर ने एक शर्त रख दी है। इस पर अशोक ने शर्त पूछने के तुरंत बाद किशोर को फोन लगाया और कहा, "तुझे चोपड़ा जी की फिल्म में काम नहीं करना है क्या।" इस पर किशोर का जवाब था, "मैंने मना नहीं किया, लेकिन बस वो मेरी शर्त मान लें।" दरअसल, अशोक कुमार और बीआर चोपड़ा शुरू से ही दोस्त थे। लेकिन जब पारिवारिक रिश्ते के चलते किशोर चोपड़ा के पास काम मांगने गए तो उन्होंने कुछ शर्तें रख दी। इसके बाद किशोर ने कहा कि आज मेरा बुरा वक्त है तो आप शर्त रख रहे हैं, जब मेरा वक्त आएगा तो मैं शर्त रखूंगा। इस बात को बाकी सब तो भूल गए थे, लेकिन किशोर दा नहीं। किशोर की शर्त थी कि आप धोती पहनने के साथ ही अपने पैरों में मोजे और जूते डालकर आएं! मुझे साइन करने के लिए पान खाकर आइए। वह भी ऐसे कि लार टपकी हुई हो, जिससे आपका मुंह लाल-लाल नज़र आए। गौरतलब है कि चोपड़ा न तो पान खाते थे और न ही धोती पहनते थे।
 
बात उन दिनों की है जब बिमल राय के निर्देशन में परिणिता (1953) बन रही थी, जिसके निर्माता अभिनेता अशोक कुमार थे. वह फिल्म के हीरो थे और हीरोइन थीं मीना कुमारी. फिल्म के एक गाने, ऐ बांदी तुम बेगम बनो गाने की रिकॉर्डिंग चल रही थी. किशोर कुमार और आशा भोंसले आ चुके थे. फिल्म के लिए मशहूर नर्तक गोपीकृष्ण को भी बुलाया गया था. गाने में रोशन कुमारी के साथ उनका डांस भी था, लिहाजा गोपीकृष्ण को घुंघरू बजाने के लिए बुलाया गया। रिकॉर्डिंग पूरी हो गई और आशा भोंसले चली गईं । फिर रिकॉर्डिंग में उपस्थित वादकों को पैसा दिया जाने लगा । अचानक किशोर कुमार उछल कर सामने आए और कहा कि हमारा पइसा कहां है? प्रोडक्शन के लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की मगर किशोर कुमार अपना मेहनताना लेने के लिए अड़ गए । बात अशोक कुमार को पता चली, तो आते ही उन्होंने किशोर कुमार को डांटना शुरू कर दिया । कहा, चुप रह, क्या तू मेरी ही फिल्म के लिए मुझसे पैसा मांगेगा । मसखरी छोड़ दे और सीधे घर जा । लोगों को लगा कि किशोर कुमार चुपचाप वहां से चले जाएंगे । मगर किशोर कुमार लगातार कहते रहे कि मेरा पइसा किधर है । स्थिति इतनी बुरी हो गई कि सबके सामने किशोर कुमार की मसखरी के कारण अपने समय के सुपर स्टार अशोक कुमार झेंपने लगे । दबाव बढ़ाते हुए अब किशोर कुमार ने हाथ-पांव पटक कर लगातार अपने पैसे मांगने शुरू कर दिए । आखिर अशोक को उन्हें एक हजार रुपए देने ही पड़े । अपने करियर में मेहनताना पाने का किशोर कुमार ने यह तरीका खूब अपनाया । इसके ढेरों किस्से हैं । अशोक कुमार भी किशोर कुमार के इस तरीके को जानते थे और कई दफा इसका सामना भी उन्हें करना पड़ा ।
 
किशोर कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो अपने उसूलों के बेहद पक्के थे । जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल जाते थे, तब तक वो काम नहीं करते थे । अगर उन्हें आधे पैसे मिलते थे तो वो काम भी आधा ही करते थे ।कहते हैं कि एक फिल्म के दौरान जब डायरेक्टर ने उन्हें आधे पैसे दिए, तब उसके बदले में किशोर कुमार आधा मेकअप करके सेट पर पहुंच गए ।किशोर कुमार को जब डायरेक्टर ने पूरा मेकअप करके आने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि आधे पैसे मिले हैं तो काम भी आधा ही करूंगा ।
 
किशोर कुमार के तमाम किस्से हैं। रिकॉर्डिंग पर वो तब तक नहीं जाते थे, जब तक उनका सेक्रेटरी अब्दुल पैसे मिलने की पुष्टि न कर दे। एक बार किशोर सिग्नल के इंतजार कर रहे थे। अब्दुल की तरफ से कोई इशारा नहीं आ रहा था। किशोर ने कई बार देखा। उसके बाद वो अब्दुल के पास चले गए कि माजरा क्या है। अब्दुल ने कहा कि हुजूर ये फिल्म आप ही बना रहे हैं। इसमें आपको गाने के कौन पैसे देगा ?
 
 
1956 की भाई भाई के समय भी कुछ ऐसा ही हुआ । फिल्म के निर्देशक एमवी रमन से शूटिंग के दौरान किशोर कुमार अपने पांच हजार रुपए की मांग करने लगे । पैसे नहीं मिले तो किशोर कुमार ने शूटिंग करने से इनकार कर दिया । आखिर फिल्म के हीरो अशोक कुमार को हस्तक्षेप कर कहना पड़ा कि पैसे मिल जाएंगे, तुम शूटिंग करो । बड़े भाई के कहने पर किशोर कुमार शूटिंग करने जा पहुंचे । सेट तैयार था। शूटिंग शुरू हुई। किशोर फर्श पर चलने लगे। फिर जोर से चिल्लाए पांच हजार रुपैया...इसके बाद उन्होंने कलाबाजी खाई। ऐसा करते-करते वो दूसरे छोर पर पहुंचे और स्टूडियो से बाहर निकल गए। फिर वे धीरे-धीरे खिड़की की ओर बढ़े और कूद कर बाहर निकल गए ।
 
ऐसे ही निर्माता आरसी तलवार ने उनके पैसे नहीं दिए, तो वो उनके घर पर पहुंच गए। घर के बाहर पहुंचकर उन्होंने चिल्लाना शुरू किया – हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार। ये हर सुबह होता रहा, जब तक उन्हें पैसे नहीं मिल गए।
 
कहा जाता है कि ऋषिकेश मुखर्जी ने पहले आनंद फिल्म के लिए किशोर कुमार को लेने की योजना बनाई थी। एक बार वो प्रोजेक्ट पर बातचीत के लिए घर गए। लेकिन वहां घर के बाहर गेटकीपर ने उन्हें भगा दिया। हुआ यह था कि किसी ‘बंगाली’ व्यक्ति ने स्टेज शो के पैसे नहीं दिए थे। किशोर कुमार ने गेटकीपर को बोला था कि कोई बंगाली आए, तो उसे भगा देना। गेटकीपर ने ऋषिकेश मुखर्जी को वही ‘बंगाली’ समझ कर भगा दिया। बाद में फिल्म में राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन को लिया गया।
हालांकि किशोर के व्यक्तित्व का दूसरा पहलू भी था। उन्होंने कई लोगों की मदद की। इनमें से एक अरुण कुमार मुखर्जी थे। मुखर्जी की मौत के बाद किशोर कुमार उनके परिवार को लगातार पैसे भेजते रहे। उन्होंने कुछ फिल्मकारों की भी मदद की।
 
 
किशोर जी कैंटीन से उधार में खाना खाया करते थे और अपने दोस्तों को भी खिलाया करते थे । एक बार कैंटीन वाले ने उनसे अपने बकाया 5 रुपये 12 आने मांग लिए तो वे 5 रुपये 12 आना गाना गाते और कैंटीन वाले कि बात नही सुनते । आगे जाकर यह गाना भी बहुत मशहूर हुआ था ।
 
किशोर कुमार जिंदगीभर कस्बाई चरित्र के भोले मानस बने रहे। मुंबई की भीड़-भाड़, पार्टियाँ और ग्लैमर के चेहरों में वे कभी शामिल नहीं हो पाए। इसलिए उनकी आखिरी इच्छा थी कि खंडवा में ही उनका अंतिम संस्कार किया जाए। इस इच्छा को पूरा किया गया, वे कहा करते थे-'फिल्मों से संन्यास लेने के बाद वे खंडवा में ही बस जाएँगे और रोजाना दूध-जलेबी खाएँगे।
 
फिल्म 'प्यार किए जा' में कॉमेडियन मेहमूद ने किशोर कुमार, शशि कपूर और ओमप्रकाश से ज्यादा पैसे वसूले थे। किशोर को यह बात अखर गई। इसका बदला उन्होंने मेहमूद से फिल्म 'पड़ोसन' में लिया- डबल पैसा लेकर।
 
किशोर कुमार ने जब-जब स्टेज-शो किए, हमेशा हाथ जोड़कर सबसे पहले संबोधन करते थे-'मेरे दादा-दादियों।' मेरे नाना-नानियों। मेरे भाई-बहनों, तुम सबको खंडवे वाले किशोर कुमार का राम-राम। नमस्कार।
 
'''<big>किशोर कुमार की जगह लेने के लिए किसी के लिए असंभव: आशा भोसले</big>'''