"हरतालिका व्रत": अवतरणों में अंतर

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'''हरतालिका व्रत ''' को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। यह व्रत [[श्रावण]]<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/religion/hinduism/vrat-katha/hartalika-teej |title=हरतालिका तीज व्रत कथा |author= |date= |work=कथा |publisher= रफ़्तार|accessdate=३ अगस्त २०१६}}</ref> मास के [[शुक्ल पक्ष]] की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियाँ गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। विशेषकर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चांद देखने के बाद व्रत तोड़ दिया जाता है वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।