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==== प्रोटीन ====
शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का सेवन मांसाहारी आहार से केवल जरा-सा ही कम होता है और व्यक्ति की दैनिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। खिलाड़ियों और शरीर को गठीला बनाने वालों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकता है।<ref>{{cite book | last = Peter Emery| first = Tom Sanders| title = Molecular Basis of Human Nutrition| publisher = Taylor & Francis Ltd|year=2002| page = 32| isbn = 978-0748407538}}</ref> हार्वर्ड विश्वविद्यालय और [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिका]], [[संयुक्त राजशाही (ब्रिटेन)|ब्रिटेन]], [[कनाडा]], [[ऑस्ट्रेलिया]], [[न्यूज़ीलैण्ड|न्यूजीलैंड]] तथा विभिन्न यूरोपीय देशों में किये गये अध्ययनों से इसकी पुष्टि होती है कि विभिन्न प्रकार के पौधों के स्रोतों से आहार उपलब्ध होते रहें और उनका उपभोग होता रहे तो शाकाहारी भोजन पर्याप्त प्रोटीन मुहैया करता है।<ref>{{cite book | last = Brenda Davis| first = Vesanto Melina| title = The New Becoming Vegetarian| publisher = Book Publishing Company|year=2003| pages = 57–58| isbn = 978-1570671449}}</ref> प्रोटीन अमीनो एसिड के प्रकृतिस्थ हैं और वनस्पति स्रोतों से प्राप्त प्रोटीन को लेकर एक आम चिंता आवश्यक अमीनो एसिड के सेवन की है, जो मानव शरीर द्वारा संश्लेषित नहीं किया जा सकता है। जबकि डेयरी उत्पाद और अंडे लैक्टो-ओवो शाकाहारियों को सम्पूर्ण स्रोत उपलब्ध कराते हैं; ये एकमात्र वनस्पति स्रोत हैं जिनमें सभी आठ प्रकार के आवश्यक अमीनो एसिड महत्वपूर्ण मात्रा में हुआ करते हैं। ये हैं लुपिन, सोय, हेम्पसीड, चिया सीड, अमरंथ, बक व्हीट और क़ुइनोआ। हालाँकि, आवश्यक अमीनो एसिड विविध प्रकार के पूरक वनस्पति स्रोतों को खाने से प्राप्त किये जा सकते हैं, सभी आठ आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान करने वाले वनस्पतियों के संयोजन से ऐसा हो सकता है (जैसे कि भूरे चावल और बीन्स, या ह्यूमस और गोटे गेहूं का पिटा, हालाँकि उस भोजन में प्रोटीन का संयोजन होना जरुरी नहीं है। 1994 के एक अध्ययन में पाया गया कि ऐसे विविध स्रोतों का सेवन पर्याप्त हो सकता है।<ref name="young">{{cite journal| author=VR Young and PL Pellett| title=Plant proteins in relation to human protein and amino acid nutrition| journal=Am. J. Clinical Nutrition| month=May| year=1994| issue=59| pages=1203S–1212S| pmid=8172124| url=http://www.ajcn.org/cgi/reprint/59/5/1203S.pdf|format=PDF|accessdate=2008-12-30 दिसंबर 2008| volume=59}}</ref>
 
==== लौह ====
शाकाहारी आहार में लौह तत्व आम तौर पर मांसाहारी भोजन के समान स्तर के होते हैं, लेकिन मांस स्रोतों से प्राप्त लौह की तुलना में इसकी बायो-उपलब्धता निम्न होती है और इसके अवशोषण में कभी-कभी आहार के अन्य घटकों द्वारा रुकावट पैदा की जा सकती है। शाकाहारी खाद्य पदार्थ लौह से भरपूर होते है, इनमें काली सेम, काजू, हेम्पसीड, राजमा, मसूर दाल, जौ का आटा, किशमिश व मुनक्का, लोबिया, सोयाबीन, अनेक नाश्ते में खाये जानेवाला अनाज, सूर्यमुखी के बीज, छोले, टमाटर का जूस, टेमपेह, शीरा, अजवायन और गेहूँ के आटे की ब्रेड शामिल हैं।<ref>{{cite web|url=http://goveg.com/essential_nutrients.asp#iron |title=// Health Issues // Optimal Vegan Nutrition |publisher=Goveg.com |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> शाकाहारी भोजन की तुलना में संबंधित वेगन या शुद्ध शाकाहारी भोजन में अक्सर लौह की मात्रा अधिक हो सकती है, क्योंकि डेयरी उत्पादों में लौह कम हुआ करता है।<ref name="Davey" /> मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में लौह भंडार का प्रवृत्त अक्सर कम होता है और कुछ छोटे अध्ययनों में शाकाहारियों में लोहे की कमी की उच्च दर पायी गयी है। हालाँकि, अमेरिकन डाएटिक एसोसिएशन का कहना है कि मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों में लौह कमी अधिक आम नहीं है (वयस्क पुरुषों में कभी-कभार ही लौह कमी पायी जाती है); लौह कमी रक्ताल्पता कदाचित होती है, आहार से कोई संबंध नहीं।<ref>{{cite journal|title=Dietary Iron Intake and Iron Status of German Female Vegans: Results of the German Vegan Study|author=Annika Waldmann, Jochen W. Koschizke, Claus Leitzmann, Andreas Hahn|year=2004|journal=Ann Nutr Metab|pages=103–108|volume=48|doi=10.1159/000077045|pmid=14988640|issue=2}}</ref><ref>{{cite journal|title=Influence of vegetarian and mixed nutrition on selected haematological and biochemical parameters in children|author=Krajcovicova-Kudlackova M, Simoncic R, Bederova A, Grancicova E, Magalova T|year=1997|journal=Nahrung|pages=311–14|volume=41|doi=10.1002/food.19970410513}}</ref><ref>http://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/19562864</ref>
 
==== विटामिन बी<sub>12</sub> ====
पौधे आम तौर पर विटामिन बी<sub>12</sub> के महत्वपूर्ण स्रोत नहीं होते हैं।<ref name="moz">{{Cite news | last= Mozafar| first= A. | year= 1997| title= Is there vitamin B<sub>12</sub> in plants or not? A plant nutritionist's view| periodical= Vegetarian Nutrition: an International Journal| issue= 1/2| pages= 50–52 }}</ref> हालाँकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारी डेयरी उत्पादों और अंडों से बी<sub>12</sub> प्राप्त कर सकते हैं और वेगांस दृढ़ीकृत खाद्य तथा पूरक आहार से प्राप्त कर सकते हैं।<ref>स्टैण्डर्ड टेबल्स ऑफ़ फ़ूड कौम्पोज़िशन इन जापान (STANDARD TABLES OF FOOD COMPOSITION IN JAPAN) से एल्गाए पांचवें संरचना के खाद्य और 2005 के संशोधित संस्करण</ref><ref>वेगंस (शुद्ध शाकाहारी) और विटामिन बी 12 की कमी</ref> चूंकि मानव शरीर बी<sub>12</sub> को सुरक्षित रखता है और इसके सार को नष्ट किये बिना इसका फिर से उपयोग करता है, इसीलिए बी<sub>12</sub> कमी के उदाहरण असामान्य हैं।<ref>{{cite journal|title=Vitamin B-12 status, particularly holotranscobalamin II and methylmalonic acid concentrations, and hyperhomocysteinemia in vegetarians|author=Herrmann W, Schorr H, Obeid R, Geisel J|year=2003|journal=Am J Clin Nutr|pages=131–6|volume=78|pmid=12816782|issue=1}}</ref><ref>{{cite journal|title=Vegetarianism and vitamin B-12 (cobalamin) deficiency|author=Antony AC|year=2003|journal=Am J Clin Nutr|pages=3–6|volume=78|pmid=12816765|issue=1}}</ref> बिना पुनः आपूर्ति के शरीर विटामिन को 30 वर्षों तक सुरक्षित रखे रह सकता है।<ref name="moz" />
 
बी<sub>12</sub> के एकमात्र विश्वसनीय वेगान स्रोत हैं बी<sub>12</sub> के साथ दृढीकृत खाद्य (कुछ सोया उत्पादों और कुछ नाश्ता के अनाज सहित) और बी<sub>12</sub> के पूरक।<ref name="Vegan Society B12 factsheet">{{cite web | title=Vegan Society B12 factsheet | url=http://www.vegansociety.com/food/nutrition/b12/ | last=Walsh | first=Stephen, RD | publisher=Vegan Society | accessdate=2008-01-17 जनवरी 2008}}</ref><ref name="donaldson">{{cite journal |title=Metabolic vitamin B12 status on a mostly raw vegan diet with follow-up using tablets, nutritional yeast, or probiotic supplements | last=Donaldson | first=MS |publisher=Ann Nutr Metab. 2000;44:229-234}}</ref> हाल के वर्षों में विटामिन बी<sub>12</sub> के स्रोतों पर शोधों में वृद्धि हुई है।<ref>{{cite web|url = http://www.unu.edu/unupress/food/8F052e/8F052E05.htm |title = Ch05 |accessdate = 2008-06-23 जून 2008}}</ref>
 
==== फैटी एसिड ====
ओमेगा 3 फैटी एसिड के पौधे-आधारित या शाकाहारी स्रोतों में सोया, अखरोट, कुम्हड़े के बीज, कैनोला तेल (रेपसीड), किवी फल और विशेषकर हेम्पसीड, चिया सीड, अलसी, इचियम बीज और लोनिया या कुलफा शामिल हैं। किसी भी अन्य ज्ञात सागों की अपेक्षा कुलफा में अधिक ओमेगा 3 हुआ करता है। वनस्पति या पेड़-पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थ अल्फा-लिनोलेनिक एसिड प्रदान कर सकते हैं, लेकिन लंबी-श्रृंखला एन-3 फैटी एसिड ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) प्रदान नहीं करते, जिनका स्तर अंडों और डेयरी उत्पादों में कम हुआ करता है। मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारियों और विशेष रूप से वेगांस में ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) का निम्न स्तर होता है। हालाँकि ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) के निम्न स्तर का स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रभाव अज्ञात है, लेकिन इसकी संभावना नहीं है कि अल्फा-लिनोलेनिक एसिड के अनुपूरण से इसके स्तर में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।<ref>{{cite journal|title=Long-chain n-3 polyunsaturated fatty acids in plasma in British meat-eating, vegetarian, and vegan men|author=Rosell MS, Lloyd-Wright Z, Appleby PN, Sanders TA, Allen NE, Key TJ|year=2003|journal=Am J Clin Nutr|pages=327–34|volume=82|pmid=16087975|issue=2}}</ref> हाल ही में, कुछ कंपनियों ने समुद्री शैवाल के सत्त से भरपूर शाकाहारी डीएचए अनुपूरण की बिक्री शुरू कर दी है। ईपीए (EPA) और डीएचए (DHA) दोनों उपलब्ध कराने वाले इसी तरह के अन्य अनुपूरण भी आने शुरू हो चुके हैं।<ref>{{cite web | url = http://www.water4.net/ | title = Water4life: health-giving vegetarian dietary supplements | accessdate = 2008-05-17 मई 2008}}</ref> पूरा समुद्री शैवाल अनुपूरण के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उनके उच्च आयोडीन तत्व सुरक्षित उपभोग की मात्रा को सीमित करते हैं। हालाँकि, स्पाईरुलिना जैसे कुछ शैवाल गामा-लिनोलेनिक एसिड (जीएलए (GLA)), अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए (ALA)), लिनोलेनिक एसिड (एलए (LA)), स्टीयरिड़ोनिक एसिड (एसडीए (SDA)), आइकोसै-पेंटेनोइक एसिड (ईपीए (EPA)), डोकोसा-हेक्सेनोइक एसिड (डीएचए (DHA)) और अरचिड़ोनिक एसिड (एए (AA)) के अच्छे स्रोत होते हैं।<ref name="uzbek">बाबाद्ज्हनोव, ए.एस., एट अल. "केमिकल कॉम्पोजीशन ऑफ़ स्पिरुलिना प्लेटेंसिस कल्टीवेटेड इन उज्बेकिस्तन." कैमेस्ट्री ऑफ़ नैचुरोल कंपाउंड्स. 40, 3, 2004.</ref><ref name="biomass">टोकुसोग्लू, ओ., उनल एम.के."बायोमॉस न्यूट्रीशन प्रोफाइल्स ऑफ़ थ्री माइक्रोलगए: स्पिरुलीना प्लाटेंसिस, ख्लोरेला वौल्गारिस और आइसोक्राइसिस गल्बना." ''जर्नल ऑफ़ फ़ूड साइंस'' 68, 4, 2003.</ref>
 
==== कैल्शियम ====
शाकाहारियों में [[कैल्शियम]] का सेवन मांसाहारियों के ही समान है। वेगांस में अस्थियों की कुछ दुर्बलता पायी गयी है जो हरे-पत्तेदार साग नहीं खाया करते, जिनमें प्रचुर कैल्शियम हुआ करता है।<ref>{{cite web|url=http://www.hsph.harvard.edu/nutritionsource/calcium.html |archiveurl=http://web.archive.org/web/20070825133156/http://www.hsph.harvard.edu/nutritionsource/calcium.html |archivedate=2007-08-25 अगस्त 2007 |title=Calcium and Milk: Nutrition Source, Harvard School of Public Health |publisher=Web.archive.org |date=2007-08-25 अगस्त 2007 |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> हालाँकि, लैक्टो-ओवो शाकाहारियों में यह नहीं पाया जाता।<ref>{{cite journal|title=Comparative fracture risk in vegetarians and nonvegetarians in EPIC-Oxford|author=P Appleby, A Roddam, N Allen, T Key|year=2007|pmid=17299475|journal=European Journal of Clinical Nutrition|doi=10.1038/sj.ejcn.1602659|volume=61|issue=12|page=1400}}</ref> कैल्शियम के कुछ स्रोतों में कोलार्ड साग, बोक चोय, काले (गोभी), शलगम के साग शामिल हैं।<ref>vrg.org</ref> पालक रसपालक और चुक़ंदर साग कैल्शियम से भरपूर हैं, लेकिन कैल्शियम ऑक्‍जेलेट होने के लिए बाध्य है और इसलिए अच्छी तरह से अवशोषित नहीं हो पाता है।<ref>{{cite web|url=http://www.vegansociety.com/food/nutrition/calcium.php|title=Vegan Sources of Calcium|accessdate=Nov 01 2009}}</ref>
 
==== विटामिन डी ====
शाकाहारियों में [[विटामिन डी]] का स्तर कम नहीं होना चाहिए (हालाँकि अध्ययनों के अनुसार आम आबादी के अधिकांश में इसकी कमी है<ref>{{cite web|url=http://www.upi.com/NewsTrack/Health/2008/02/21/many_vitamin_d_deficient_in_winter/5452/|title=Many vitamin D deficient in winter |publisher=United Press International|accessdate=2008-04-23 अप्रैल 2008}}</ref>)। पर्याप्त और संवेदी यूवी (UV) सूर्य धूप सेवन से विटामिन डी की आवश्यकताएं मानव शरीर के खुद के उत्पादन के जरिये पूरी हो सकती हैं। दूध सहित सोया दूध और अनाज के दाने जैसे उत्पाद विटामिन डी प्रदान करने के अच्छे दृढीकृत स्रोत हो सकते है;<ref>{{cite web|url=http://dietary-supplements.info.nih.gov/factsheets/vitamind.asp|title=Dietary Supplement Fact Sheet: Vitamin D|publisher=National Institutes of Health|accessdate=2007-09-10 सितंबर 2007|archiveurl=http://www.webcitation.org/5Rl5u0LB5 |archivedate=2007-09-10 सितंबर 2007}}</ref> और खुमी (मशरूम) 2700 आईयू से अधिक (लगभग 3 आउंस या आधा कप) विटामिन डी<sub>2</sub> प्रदान करता है, अगर एकत्र करने के बाद 5 मिनट यूवी प्रकाश में खुला छोड़ दिया जाय;<ref>{{cite news | first= | last= | coauthors= | title=Bringing Mushrooms Out of the Dark |date=April 18, 2006 | publisher= | url =http://www.msnbc.msn.com/id/12370708 | work =MSNBC | pages = | accessdate = 6 अगस्त 2007-08-06 | language = }}</ref> जो पर्याप्त धूप का सेवन नहीं करते हैं और/या जिन्हें खाद्य पदार्थों से प्राप्त नहीं होता है, उन्हें विटामिन डी के अनुपूरण की जरूरत पड सकती है।
 
=== दीर्घायु ===
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<br />इस लेख पर आधारित समाचार: विज्ञान दैनिक, 25 अप्रैल 2005 "लंबा जीवन के लिए भूमध्य आहार" http://www.sciencedaily.com/releases/2005/04/050425111008.htm</ref>
 
इंस्टीटयूट ऑफ़ प्रिवेंटिव एंड क्लिनिकल मेडिसिन, तथा इंस्टीटयूट ऑफ़ सायक्लोजिक्ल केमिस्ट्री द्वारा किये गये अध्ययन में 19 शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के एक समूह की तुलना उसी क्षेत्र के 19 सर्वभक्षी समूह से की गयी। अध्ययन में पाया गया कि शाकाहारियों (लैक्टो-ओवो) के इस समूह में इस मांसाहारी समूह की तुलना में प्लाज्मा कार्बोक्सीमिथेलीसाइन और उन्नत ग्लिकेशन एंडोप्रोडक्ट्स (AGEs) की मात्रा बहुत अधिक है।<ref>{{cite web | url = http://www.biomed.cas.cz/physiolres/2002/issue3/krajcovic.htm | work = PHYSIOLOGY RESEARCH | title = Advanced Glycation End Products and Nutrition | accessdate = 2008-04-11 अप्रैल 2008 }}</ref> कार्बोक्सीमिथेलीसाइन एक ग्लिकेशन उत्पाद है जो "ओक्सीडेटिव तनाव प्रौढावस्था, धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) और मधुमेह में प्रोटीन की क्षति के एक आम चिह्नक' का प्रतिनिधित्व करता है।" "उन्नत ग्लिकेशन एंड उत्पाद (AGEs) धमनीकलाकाठिन्य, मधुमेह, प्रौढ़ावस्था और जीर्ण गुर्दे की खराबी की प्रक्रिया के मामले में एक महत्वपूर्ण प्रतिकूल भूमिका निभा सकता है।"
 
आहार बनाम दीर्घायु तथा पश्चिमी रोगों के पोषक पर सबसे बड़ा अध्ययन चीनी परियोजना थी; यह एक "2,400 से अधिक काउंटी के उनके 880 मिलियन (96%) नागरिकों पर विभिन्न प्रकार के कैंसर से मृत्यु दर का सर्वेक्षण" था, इसका संयोजन विभिन्न मृत्यु दरों और अनेक प्रकार के आहार, जीवन शैली और पर्यावरणीय विशेषताओं के साथ संबंध के अध्ययन के साथ किया गया, यह अध्ययन चीन के 65 अधिकांशतः ग्रामीण काउंटियों में संयुक्त रूप से कोर्नेल विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और प्रिवेंटिव मेडिसिन की चीनी अकादमी द्वारा 20 वर्षों तक किया गया। चीन अध्ययन में भोजन में मांसाहार की मात्रा तथा पश्चिम में मौत के प्रमुख कारणों के बीच एक मजबूत खुराक-अनुक्रिया संबंध पाया गया है; पश्चिम में मृत्यु के कारण हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर हैं।
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| title = Vegetarianism reduces ''E.&nbsp;coli'' infections
| publisher = USA Today
|date=2006-09-25 सितंबर 2006
| url = http://blogs.usatoday.com/oped/2006/09/veggie_diet_red.html
| accessdate = 2007-04-28 अप्रैल 2007 |archiveurl=http://web.archive.org/web/20061027043124/http://blogs.usatoday.com/oped/2006/09/veggie_diet_red.html|archivedate=2006-10-27 अक्टूबर 2006}}</ref> और [[न्यू यॉर्क टाइम्स|द न्यू यॉर्क टाइम्स]] के एक आलेख में खाद्य में ''ई॰ कोलाइ'' दूषण को औद्योगिक पैमाने के मांस और डेयरी फ़ार्म के साथ जोड़ा।<ref>{{cite news
| last = Sander
| first = Libby
| title = Source of Deadly ''E.&nbsp;Coli'' Is Found
| publisher = New York Times
|date=2006-10-13 अक्टूबर 2006
| url = http://www.nytimes.com/2006/10/13/us/13spinach.html
| accessdate = 2006-10-13 अक्टूबर 2006 }}</ref> 2006 के दौरान अमेरिका में ''ई॰ कोलाइ'' संक्रमण के लिए पालक और प्याज को जिम्मेवार पाया गया।<ref>{{cite news | title = E.&nbsp;Coli Outbreak | pages = | publisher = NBC News |date=2006-09-15 सितंबर 2006 | url = http://www.kpvi.com/index.cfm?page=nbcstories.cfm&ID=3034 | accessdate = 2006-12-13 दिसंबर 2006 }} {{Dead link|date=October 2009}}</ref><ref>टैको बेल रिमूव्स ग्रीन ओनियंस आफ्टर आउटब्रेक 6 दिसम्बर 2006 एम्एसएनबीसी (MSNBC)</ref>
 
रोगजनक ''ई॰ कोलाइ'' का प्रसार मलाशय-मुख संचरण के जरिये हुआ करता है।<ref name="Evans">{{cite web |url=http://www.gsbs.utmb.edu/microbook/ch025.htm |title=Escherichia Coli |accessdate=2 दिसंबर 2007-12-02 |last=Evans Jr. |first=Doyle J. |coauthors=Dolores G. Evans |date= |work=Medical Microbiology, 4th edition |publisher=The University of Texas Medical Branch at Galveston}}</ref><ref name="haccp">{{cite web |url=http://www.cfsan.fda.gov/~dms/hret2-a3.html |title=Retail Establishments; Annex 3 - Hazard Analysis |accessdate=2 दिसंबर 2007-12-02 |last= |first= |coauthors= |month=April | year=2006 |work=Managing Food Safety: A Manual for the Voluntary Use of HACCP Principles for Operators of Food Service and Retail Establishments |publisher=U.S. Department of Health and Human Services Food and Drug Administration Center for Food Safety and Applied Nutrition}}{{Dead link|date=October 2009}}</ref><ref>{{cite journal |last=Gehlbach |first=S.H. |coauthors=J.N. MacCormack, B.M. Drake, W.V. Thompson |year=1973 |month=April |title=Spread of disease by fecal-oral route in day nurseries |journal=Health Service Reports |volume=88 |issue=4 |pages=320–322 |pmid=4574421 |url= |quote= |pmc=1616047 }}</ref> संचरण के आम मार्गों में अस्वास्थ्यकर तरीके से भोजन बनाना<ref name="haccp" /> और फार्म संदूषण शामिल हैं।<ref name="spinach">{{cite news |author=Sabin Russell |coauthors= |title=Spinach E. coli linked to cattle; Manure on pasture had same strain as bacteria in outbreak |url=http://www.sfgate.com/cgi-bin/article.cgi?file=/c/a/2006/10/13/MNG71LOT711.DTL |publisher=San Francisco Chronicle |id= |date= अक्टूबर 13, 2006 |accessdate=2 दिसंबर 2007-12-02 }}</ref><ref>{{cite journal |author=Heaton JC, Jones K |title=Microbial contamination of fruit and vegetables and the behaviour of enteropathogens in the phyllosphere: a review |journal=J. Appl. Microbiol. |volume=104 |issue=3 |pages=613–26 |year=2008 |month=March |pmid=17927745 |doi=10.1111/j.1365-2672.2007.03587.x |url=http://www3.interscience.wiley.com/resolve/openurl?genre=article&sid=nlm:pubmed&issn=1364-5072&date=2008&volume=104&issue=3&spage=613}}</ref><ref name="DeGregori">{{cite web |author=Thomas R. DeGregori |date=2007-08-17 अगस्त 2007|url= http://www.cgfi.org/cgficommentary/maddening-media-misinformation-on-biotech-and-industrial-agriculture-part-5-of-5 |title=CGFI: Maddening Media Misinformation on Biotech and Industrial Agriculture |accessdate=8 दिसंबर 2007-12-08 |work=}}</ref> डेयरी और बीफ मांस पशु मुख्य रूप से ''ई॰ कोलाइ'' प्रजाति ''O157:H7'' के खजाने हैं,<ref name="bach" /> और वे इसे स्पर्शोन्मुख रूप से वहन कर सकते हैं और उनके मल में इसे बहा देते हैं।<ref name="bach">{{cite journal |last=Bach |first=S.J. |coauthors=T.A. McAllister, D.M. Veira, V.P.J. Gannon, and R.A. Holley |year=2002 |month= |title=Transmission and control of ''Escherichia coli'' O157:H7 |journal=Canadian Journal of Animal Science |volume=82 |issue= |pages=475–490 |id= |url=http://pubs.nrc-cnrc.gc.ca/aic-journals/2002ab/cjas02/dec02/cjas02-021.html |accessdate= |quote= }}</ref> ''ई॰ कोलाइ'' प्रकोप के साथ जुड़े खाद्य उत्पादों में जमीन पर पड़ा कच्चा बीफ,<ref>{{cite book |last=Institute of Medicine of the National Academies |first= |authorlink= |coauthors= |editor= |others= |title=''Escherichia coli'' O157:H7 in Ground Beef: Review of a Draft Risk Assessment |url=http://www.nap.edu/catalog.php?record_id=10528 |edition= |series= |year=2002 |publisher=The National Academies Press |location=Washington, D.C. |isbn=0-309-08627-2 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote= }}</ref> कच्चे अंकुरित बीज या पालक,<ref name="spinach" /> कच्चा दूध, बिना पैशच्युरैज्ड जूस और मलाशय-मुख के जरिये संक्रमित खाद्य कर्मियों द्वारा दूषित खाद्य शामिल हैं।<ref name="haccp" /> 2005 में, कुछ लोग जिन्होंने तिहरे-धोये पैक होने से पहले लेटस का सेवन किया था, वे ''ई॰ कोलाइ'' से संक्रमित हो गये थे।<ref>{{cite web|url=http://www.foodnavigator-usa.com/news/ng.asp?n=63793-fda-lettuce-e-coli |title=FDA targets lettuce industry with '&#39;E. coli'&#39; guidance |publisher=Foodnavigator-usa.com |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> 2007 में, पैक लेटस सलाद को वापस ले लिया गया था, जब उन्हें ''ई॰ कोलाइ'' से संदूषित पाया गया।<ref>डोल लेट्स रिकौल्ड इन यु.एस., लिसा लेफ द्वारा कनाडा एसोसिएटेड प्रेस</ref> ''ई॰ कोलाइ'' प्रकोप पैशच्युरैज्ड नहीं किये गये सेब,<ref>ऐपल साइडर और ई. कोलाई खाद्य सुरक्षा अद्यतन 26 जुलाई 2007</ref> संतरे के रस, दूध, रिजका या अल्फाल्फा के अंकुरों,<ref>एफडीए का कहना है कच्चे अंकुरित मुद्रा साल्मोनेला और ई. कोलाई 0157 जोखिम, मेडिकल रिपोर्टर 26 जुलाई 2007</ref> और पानी में पाया गया।<ref>{{cite web|author=health &amp; fitness |url=http://health.msn.com/dietfitness/articlepage.aspx?cp-documentid=100136394&wa=wsignin1.0 |title='&#39;E. coli'&#39;: Dangers of eating raw or undercooked foods |publisher=Health.msn.com |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
साल्मोनेला का प्रकोप मूंगफली के मक्खन, जमे हुए पॉट पाई और कुरमुरे सब्जी अल्पाहार में पाया गया।<ref>{{cite news|url=http://www.cbsnews.com/stories/2008/04/10/health/webmd/main4007944.shtml|title=CDC: U.S. Food Safety Hasn't Improved|publisher=CBS News|date=11 अप्रैल 2008}}</ref>
बीएसई, जिसे गाय रोग के नाम से भी जाना जाता है, को [[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] ने मानव में क्रुत्ज़फेल्ट-जैकोब रोग से जोड़ा है।<ref>डब्ल्यूएचओ (WHO) 2002 "वेरियंट क्रूज़फेल्डट-जैकोब के रोग", तथ्य पत्रक N°180 http://www.who.int/mediacentre/factsheets/fs180/en/</ref>
 
भेड़ों में पाँव-और-मुँह की बीमारी, फ़ार्म की सैमन मछली में पीसीबी, मछली में पारा, पशु उत्पादों में डायोक्सिन की मात्रा, कृत्रिम हारमोन वृद्धि, एंटीबायोटिक, सीसा और पारा,<ref>{{cite book | last = Graham Farrell and John E. Orchard | first = Peter Golob| title = Crop Post-Harvest: Science and Technology: Principles and Practice: v. 1| publisher = Blackwell Science Ltd|year=2002| page = 29| isbn = 978-0632057238}}</ref> सब्जी और फल में कीटनाशकों की मात्रा, फलों को पकाने के लिए प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल की रिपोर्ट आ रही हैं।<ref>संयुक्त राज्य अमेरिका इंक उपभोक्ताओं संघ, क्या तुम जानते हो की तुम क्या खा रहे हो? - खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेषों पर एक अमेरिकी सरकार के आंकड़ों के विश्लेषण, फरवरी 1999. 9 जनवरी 2010 को पुनःप्राप्त.</ref><ref>{{cite web|url = http://www.ndtv.com/convergence/ndtv/story.aspx?id=NEWEN20070013183 |title = NDTV.com: Artificial ripeners used for mangoes |accessdate = 2008-06-23 जून 2008}}</ref><ref>{{cite web|url = http://www.thehindubusinessline.com/2005/05/16/stories/2005051600881500.htm |title = द हिन्दू बिज़नस लाइन : Something is rotten in fruit trade |accessdate = 2008-06-23 जून 2008}}</ref>
 
=== चिकित्सकीय प्रयोग ===
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=== शरीर विज्ञान ===
इंसान सर्वभक्षी होते हैं, मांस और शाकाहारी खाद्य पचाने की मानव क्षमता पर यह आधारित है।<ref>{{cite web|url=http://www.vrg.org/nutshell/omni.htm |title=www.vrg.org |publisher=www.vrg.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.beyondveg.com/billings-t/comp-anat/comp-anat-1a.shtml |title=www.beyondveg.com |publisher=www.beyondveg.com |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> तर्क दिया जाता है कि शरीर रचना की दृष्टि से मनुष्य शाकाहारियों के अधिक समान हैं, क्योंकि इनकी लंबी आंत होती है, जो अन्य सर्वभक्षियों और मांसाहारियों में नहीं होती हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.huffingtonpost.com/kathy-freston/shattering-the-meat-myth_b_214390.html|title=Shattering The Meat Myth: Humans Are Natural Vegetarians| publisher=Huffington Post|date=2009-06-11 जून 2009|accessdate=2010-02-21 फरवरी 2010}}</ref> पोषण संबंधी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक होमिनिड्स ने तीन से चार मिलियन वर्ष पहले भारी जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांस खाने की प्रवृत्ति विकसित की, जब जंगल सूख गये और उनकी जगह खुले घास के मैदानों ने ले लिया, तब शिकार तथा सफाई के अवसर खुल गये।<ref name="milton">मिल्टन, कैथरीन, "एक परिकल्पना मानव विकास में खाने के लिए समझाने के मांस की भूमिका, विकासवादी नृविज्ञान मुद्दे", समाचार और समीक्षाएं खंड 8, अंक 1, 1999, पेज: 11-21</ref><ref>{{cite web|url=http://www.abc.net.au/dimensions/dimensions_health/Transcripts/s792589.htm |title=ABC |publisher=ABC |date=2003-02-25 फरवरी 2003 |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
=== जानवर-से-मानव रोग संक्रमण ===
{{POV-अनुभाग|date= जनवरी 2010}}
मांस का उपभोग पशुओं से मनुष्यों में अनेक रोगों के संक्रमण का कारण हो सकता है।<ref name="hill">{{cite book |title= The case for vegetarianism |last= Hill |first= John Lawrence |authorlink= |coauthors= |year= 1996 |publisher= Rowman & Littlefield |location= |isbn= 0847681386 |page= 89 |pages= |url= http://books.google.com/?id=W-XR1T-pXFwC&printsec=frontcover#PPA89,M1 |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref> साल्मोनेला के मामले में संक्रमित जानवर और मानव बीमारी के बीच संबंध की जानकारी अच्छी तरह स्थापित हो चुकी है; एक अनुमान के अनुसार एक संयुक्त राज्य अमेरिका में बिक रहे मुर्गे की एक तिहाई से आधा तक साल्मोनेला से संदूषित है।<ref name="hill" /> हाल ही में, वैज्ञानिकों ने संदेह करना शुरू किया है कि पशु मांस और मानव कैंसर, जन्म दोष, उत्परिवर्तन तथा मानवों की अनेक बीमारियों के बीच इसी तरह का संबंध है।<ref name="hill" /><ref name="stanley">{{cite book |title= Diet by Design |last= Stanley |first= Tyler |authorlink= |coauthors= |year= 1998|publisher= TEACH Services, Inc. |location= |isbn= 1572580968 |page= 14 |pages= |url= http://books.google.com/?id=MdS3x6Vn2q4C&printsec=frontcover#PPA14,M1 |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref><ref name="trash1">{{cite book |title= Nutrition For Vegetarians |last= Trash |first= Agatha |authorlink= |coauthors= Calvin Trash |year= 1982 |publisher= New Lifestyle Books |location= Seale, Alabama |isbn= |page= |pages= 82–85 |url= |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref><ref name="trash2">{{cite book |title= Nutrition For Vegetarians |last= Trash |first= Agatha |authorlink= |coauthors= Calvin Trash |year= 1982 |publisher= New Lifestyle Books |location= Seale, Alabama |isbn= |page= 84 |pages=|url= |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref><ref name="oski">{{cite book |title= Don't Drink Your Milk |last= Oski |first= Frank |authorlink= |coauthors= |year= 1992 |publisher= TEACH Services Inc. |location= Brushton, New York |isbn= |page= |pages= 48–49 |url= |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref><ref name="shelton">{{cite book |title= The Science and Fine Art of Food and Nutrition |last= Shelton |first= Herbert |authorlink= |coauthors= |year= 1984 |publisher= Natural Hygiene Press |location= Oldsmar, Florida |isbn= |page= 148 |pages= |url= |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref><ref name="aflatoxins">{{cite book |title= Health Protection Branch Issues |last= "Aflatoxins" |first= |authorlink= |coauthors= |year= 1990 |publisher= Health Canada, May |location= Ottawa, Ontario |isbn= |page= |pages= 2–3 |url= |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref> 1975 में, एक अध्ययन में सुपर मार्केट के गाय के दूध के नमूनों में 75 फीसदी और अंडों के नमूनों में 75 फीसदी ल्यूकेमिया (कैंसर) के वायरस पाए गये।<ref name="stanley" /> 1985 तक, जाँच किये गये अंडों का लगभग 100 फीसदी, या जिन मुर्गियों से वे निकले हैं, में कैंसर के वायरस मिले।<ref name="hill" /><ref name="stanley" /> मुर्गे-मुर्गियों में बीमारी की दर इतनी अधिक है कि श्रम विभाग ने पोल्ट्री उद्योग को सबसे अधिक खतरनाक व्यवसायों में एक घोषित कर दिया।<ref name="hill" /> सभी गायों का २० फीसदी गोजातीय ल्यूकेमिया वायरस (BLV) नाम से ज्ञात विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित है।<ref name="hill" /> अध्ययन तेजी से HTLV-1 के साथ BLV को जोड़ रहे हैं, यह खोजा गया पहला मानव रेट्रोवायरस है जिससे कैंसर होता है।<ref name="hill" /> वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक गोजातीय रोगक्षम-अपर्याप्तता वायरस (BIV), जो गायों में एड्स के वायरस के समान है, भी मानव कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं।<ref name="hill" /> यह माना जाता है कि मानव में अनेक घातक और धीमी गति के वायरस के विकास में BIV की भूमिका हो सकती है।<ref name="hill" />
 
औद्योगिक पैमाने के पशु फार्मिंग में पशुओं की निकटता से रोग संक्रमण की दर में वृद्धि हुई है।{{Citation needed|date=April 2010}} मानव में इन्फ्लूएंजा के वायरस के संक्रमण के प्रमाण दर्ज हो चुके हैं, लेकिन ऐसे मामलों में हुई बीमारियों की तुलना अब मानव द्वारा अनुकूलित हो चुके आम पुराने इन्फ्लूएंजा वायरस के साथ कभी-कभार ही होती है,<ref name="brown">{{cite book |others= |title= Emerging diseases of animals |last= Brown |first= Corrie |authorlink= |coauthors= |year= 2000 |publisher= ASM Press |location= |isbn= 1555812015 |page= |pages= 116–117 |url= http://books.google.com/?id=yKgsMbsxtfEC&printsec=frontcover#PPA116,M1 |accessdate= 2009-04-26 अप्रैल 2009}}</ref> जो बीमारी बहुत पहले भूतकाल में पशुओं से मनुष्यों में संक्रमित हुई।{{#tag:ref|Sometimes a virus contains both avian adapted genes and human adapted genes. Both the [[H2N2]] and [[H3N2]] pandemic strains contained avian flu virus [[RNA]] segments. "While the pandemic human influenza viruses of 1957 (H2N2) and 1968 (H3N2) clearly arose through reassortment between human and avian viruses, the influenza virus causing the '[[Spanish flu]]' in 1918 appears to be entirely derived from an avian source (Belshe 2005)."<ref>Timm C. Harder and Ortrud Werner, ''[http://www.influenzareport.com/ir/ai.htm Avian Influenza]'', ''Influenza Report 2006'', 2006: Chapter two.</ref> |group="nb"}}<ref>{{cite journal |author=Taubenberger JK, Reid AH, Lourens RM, Wang R, Jin G, Fanning TG |title=Characterization of the 1918 influenza virus polymerase genes |journal=Nature |volume=437 |issue=7060 |pages=889–93 |year=2005 |month=October |pmid=16208372 |doi=10.1038/nature04230}}</ref><ref>{{cite journal |author=Antonovics J, Hood ME, Baker CH |title=Molecular virology: was the 1918 flu avian in origin? |journal=Nature |volume=440 |issue=7088 |pages=E9; discussion E9–10 |year=2006 |month=April |pmid=16641950 |doi=10.1038/nature04824}}</ref><ref name="pmid18353690">{{cite journal| author = Vana G, Westover KM| title = Origin of the 1918 Spanish influenza virus: a comparative genomic analysis| journal = Molecular Phylogenetics and Evolution| volume = 47| issue = 3| pages = 1100–10| year = 2008| month = June| pmid = 18353690| doi = 10.1016/j.ympev.2008.02.003}}</ref> पहला मामला 1959 में दर्ज किया गया था और 1998 में, H5N1 इन्फ्लूएंजा के 18 नए मामलों का निदान किया गया, जिनमें से छः लोगों की मृत्यु हो गयी। 1997 में हांगकांग में H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा के और अधिक मामले मुर्गियों में पाए गये।<ref name="brown" />
 
तपेदिक की शुरुआत पशुओं में हुई और फिर उसका संक्रमण उनसे मनुष्यों में हुआ, या एक समान पूर्वज से निकली अलग-अलग प्रजातियां संक्रमित हुईं, यह अब तक अस्पष्ट है।<ref name="Pearce-Duvet_2006">{{cite journal |author=Pearce-Duvet J |title=The origin of human pathogens: evaluating the role of agriculture and domestic animals in the evolution of human disease |journal=Biol Rev Camb Philos Soc |volume=81 |issue=3 |pages=369–82 |year=2006 | pmid = 16672105 |doi=10.1017/S1464793106007020}}</ref> खसरा और काली खांसी के मूल में पालतू पशुओं के जिम्मेवार होने के मजबूत साक्ष्य मौजूद हैं, हालाँकि डेटा ने गैर-पालतू मूल को इस दायरे से बाहर नहीं किया है।<ref>पियर्स-डुवेट 2006</ref>
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[[चित्र:Vegetarian Curry.jpeg|thumb|भारतीय खाना : शाकाहारी व्यंजनों की एक विस्तृत शृंखला के कारण हिंदू धर्म शाकाहारी भोजन को प्रोत्साहित करता है। यहाँ शाकाहारी थाली दिखायी गयी है।]]
[[जैन धर्म]] नैतिक आचरण के रूप में शाकाहार होने की शिक्षा देता है, उसी तरह जैसा कि [[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] के कुछ प्रमुख{{Citation needed|date=July 2010}} संप्रदाय करते हैं। सामान्य तौर पर बौद्ध धर्म, मांस खाने का निषेध नहीं करता है, जबकि [[महायान|महायान बौद्ध धर्म]] दया की भावना के लाभप्रद विकास के लिए शाकाहारी होने को प्रोत्साहित करता है। अन्य पंथ जो पूरी तरह शाकाहारी भोजन की वकालत करते हैं उनमें सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट्स, रस्ताफरी आन्दोलन और हरे कृष्णा शामिल हैं।
[[सिख धर्म]]<ref>एच.एस. सिंघ द्वारा जूनियर सिंघा सिख धर्म का विश्वकोश 124 ISBN 10: 070692844X / 0-7069-2844-X</ref><ref>{{cite book|title=Punjab Through the Ages|editor=S.R. Bakshi, Rashmi Pathak,|publisher=Sarup and Sons|location=नई दिल्ली|year=2007|edition=1st|volume=4|page=241|chapter=12|isbn=8176257389 (Set)|url=http://books.google.com/?id=-dHzlfvHvOsC&pg=PA7&dq=Punjab+Through+the+Ages+By+S.R.+Bakshi,+Rashmi+Pathak,+Rashmi+Pathak+volume+4#v=onepage&q=Punjab%20Through%20the%20Ages%20By%20S.R.%20Bakshi%2C%20Rashmi%20Pathak%2C%20Rashmi%20Pathak%20volume%204 | first1=S.R. | last1=Kakshi}}</ref><ref>{{cite web|url=http://sgpc.net/sikhism/sikhism4.asp |title=Shiromani Gurudwara Prabhandhak Committee |publisher=Sgpc.net |date= |accessdate=2009-08-29 अगस्त 2009}}</ref> आध्यात्मिकता के साथ आहार को नहीं जोड़ता और शाकाहारी या मांसाहारी आहार निर्दिष्ट नहीं करता है।<ref>{{cite web|url=http://www.sikhs.org/meat.htm |title=The Sikhism Home Page |publisher=Sikhs.org |date=1980-02-15 फरवरी 1980 |accessdate=2009-08-29 अगस्त 2009}}</ref>
 
==== हिंदू धर्म ====
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[[हिन्दू धर्म|हिंदू धर्म]] के अधिकांश बड़े पंथ शाकाहार को एक आदर्श के रूप में संभाले रखा है। इसके मुख्यतः तीन कारण हैं: पशु-प्राणी के साथ अहिंसा का सिद्धांत;<ref>तःतिनें: अन्टू: अहिंसा.नॉन-वायलेंस इन इन्डियन ट्रेडिशन, लंदन 1976, पृष्ठ 107-109.</ref> आराध्य देव को केवल "शुद्ध" (शाकाहारी) खाद्य प्रस्तुत करने की नीयत और फिर प्रसाद के रूप में उसे वापस प्राप्त करना;<ref>महाभारत 12.257 (नोट के अनुसार महाभारत 12.257 का एक और गिनती 12.265 है); भगवद गीता 9.26, भागवत पुराण 7.15.7.</ref> और यह विश्वास कि मांसाहारी भोजन मस्तिष्क तथा आध्यात्मिक विकास के लिए हानिकारक है। हिंदू शाकाहारी आमतौर पर अंडे से परहेज़ करते हैं लेकिन दूध और डेयरी उत्पादों का उपभोग करते हैं, इसलिए वे लैक्टो-शाकाहारी हैं।
 
हालाँकि, अपने संप्रदाय और क्षेत्रीय परंपराओं के अनुसार हिंदुओं के खानपान की आदतों में भिन्नता होती है। ऐतिहासिक रूप से और वर्तमान में, जो हिंदू मांस खाते हैं वे झटका मांस पसंद करते हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.hinduonnet.com/seta/2004/10/21/stories/2004102100111600.htm |title=द हिन्दू : Sci Tech / Speaking Of Science : Changes in the Indian menu over the ages |publisher=Hinduonnet.com |date=2004-10-21 अक्टूबर 2004 |accessdate=3 फरवरी 2010-02-03}}</ref>
 
==== जैन धर्म ====
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==== सिख धर्म ====
{{Main|सिख धर्म में आहार}}
[[सिख धर्म]] के सिद्धांत शाकाहार या मांसाहार पर अलग से कोई वकालत नहीं करते,<ref name="SHP">द सिखिस्म होम पेज पर "मिस्कंसेप्शन अबाउट इटिंग मीट - कमेंट्स ऑफ़ सिख स्कोलर्स,"</ref><ref>'''सिख और''' ''सिख इतिहास'' '''सिख धर्म द्वारा IJ सिंह, मनोहर''' ''दौरान'' '''ISBN ''9788173040580,'' दिल्ली,''' ''वहाँ शाकाहार समर्थन किया गया है subsects या आंदोलनों की है जो सिख धर्म.'' ''मुझे लगता है कि वहाँ इस तरह के या सिख धर्म में हठधर्मिता अभ्यास के लिए कोई आधार है। '' ''निश्चित रूप से नहीं लगता है कि सिखों में आध्यात्मिकता है कि एक शाकाहारी उपलब्धियों आसान है या अधिक है। '' ''यह आश्चर्य की बात है कि शाकाहार देखने के तथ्य यह है कि पशु बलि उम्र के लिए एक महत्वपूर्ण और अधिक मूल्यवान हिन्दू वैदिक अनुष्ठान किया गया था के प्रकाश में हिंदू अभ्यास के इस तरह के एक महत्वपूर्ण पहलू है। '' ''उनके लेखन में गुरु नानक स्पष्ट तर्क के दोनों पक्षों को अस्वीकार कर दिया - शाकाहार या मांस खाने के गुण पर साधारण रूप में और इतनी बकवास - और न ही उसने विचार है कि एक गाय से अधिक किसी न किसी तरह पवित्र एक घोड़ा या एक चिकन की तुलना में किया गया था स्वीकार करते हैं। '' ''उन्होंने यह भी मांस और साग के बीच मतभेदों पर एक विवाद में तैयार किया जाना मना कर दिया, उदाहरण के लिए. '' ''इतिहास हमें बताता है यह संदेश देने कि, नानक कुरुक्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार पर मांस पकाया. '' ''इसे पकाया वह निश्चित रूप से इसे बर्बाद नहीं किया बीत रहा है, लेकिन शायद यह अपने अनुयायियों के लिए कार्य किया और खुद खा लिया। '' ''इतिहास बिल्कुल स्पष्ट है कि गुरु Hargobind और गुरु गोबिंद सिंह निपुण थे और avid शिकारी है। '' ''खेल और पकाया प्रयोग अच्छा था डाल करने के लिए, इसे दूर फेंक एक भयानक बर्बादी होती है।''</ref><ref>'''गुरु ग्रंथ साहिब, एक विश्लेषणात्मक अध्ययन द्वारा ISBN Surindar सिंह कोहली सिंह Bros. अमृतसर: 8172050607''' ''में वैष्णव भक्ति सेवा की और विचारों ग्रंथ आदि द्वारा स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन शाकाहारी आहार पर वैष्णव के आग्रह को अस्वीकार कर दिया गया है।''</ref><ref name="autogenerated1">'''ISBN 978-81-7023-139-4''' ''हालाँकि'' '''प्रेस, दिल्ली विश्वविद्यालय के एक इतिहास के सिख लोगों द्वारा डॉ॰ गोपाल सिंह ''सिख,'' विश्व,''' ''यह अजीब है कि अब सिख मंदिर के लिए एक दिन संलग्न रसोई में समुदाय और कहा जाता है गुरु रसोई (या, गुरु का लंगर-) मांस व्यंजन सभी सेवा में नहीं हैं।'' ''हो सकता है, यह अपने जा रहा है, शायद, महंगी, या आसान नहीं लंबे समय के लिए रखने के लिए के कारण है। '' ''या, शायद वैष्णव परंपरा भी मजबूत है बंद हो हिल के लिए.''</ref><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh">Randip सिंह, [http://www.sikhphilosophy.net/sikh-sikhi-sikhism/8828-fools-who-wrangle-over-flesh.html ''मूर्ख कौन मांस से अधिक wrangle'' ], ''सिख दार्शनिक नेटवर्क,'' 7 दिसम्बर 2006. पुनःप्राप्त: 15 जनवरी 2010.</ref> बल्कि भोजन का निर्णय व्यक्ति पर छोड़ दिया गया है। तथापि, दसवें गुरु [[गुरु गोबिन्द सिंह|गुरु गोबिंद सिंह]] ने "अमृतधारी" सिखों, या जो सिख रेहत मर्यादा (आधिकारिक सिख नियम संहिता<ref>{{cite web |url=http://www.sgpc.net/sikhism/sikh-dharma-manual.html |title=Sikh Reht Maryada, The Definition of Sikh, Sikh Conduct & Conventions, Sikh Religion Living, भारत |publisher=www.sgpc.net |accessdate=2009-08-29 अगस्त 2009 }}</ref>) का पालन करते हैं, उन्हें कुत्था मांस या वो मांस जो कर्मकांड के तहत पशुओं को मारकर प्राप्त किया गया हो, उसे खाने से मना किया है। तत्कालीन नए मुस्लिम आधिपत्य से स्वतंत्रता के लिए इसे राजनीतिक कारण से प्रेरित माना जाता है, क्योंकि मुस्लिम बड़े पैमाने पर कर्मकांडी हलाल आहार का पालन करते हैं।<ref name="SHP" /><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" />
 
कुछ सिख संप्रदाय से संबंधित "अमृतधारी" (मसलन, अखंड कीर्तनी जत्था, दमदमी टकसाल, नामधारी<ref>जेन श्रीवास्तव [http://www.hinduismtoday.com/modules/smartsection/item.php?itemid=1541 ''शाकाहार और मांस धर्मों 8 भोजन में'' ], [[''हिंदू धर्म आज,'']] वसंत 2007. पुनःप्राप्त: 15 जनवरी 2010.</ref>, रारियनवाले<ref>'''पीएचडी (सिंह शेर दर्शन के द्वारा सिख धर्म ज्ञानी''' '''डी), शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति. ''' '''अमृतसर''' ''के रूप में एक सच Vaisnavite कबीर बनी एक सख्त शाकाहारी.'' ''मांस खाने के रूप में ब्राह्मण परंपरा से दूर धता कबीर, इतना की अनुमति नहीं है, एक (फूल GGS 479 स्नातकोत्तर की तोड़ के रूप में), जबकि नानक ऐसे सभी संदेह समझा अंधविश्वास हो जाएगा, कबीर Ahinsa या सिद्धांत आयोजित गैर जीवन है, जो कि फूलों का भी विस्तार के विनाश. '' ''इसके विपरीत पर सिख गुरुओं और अनुमति भी प्रोत्साहित किया, भोजन के रूप में पशु मांस का उपयोग करें. '' ''नानक आसा की (युद्ध में इस अंधविश्वास Ahinsa GGS 472 pg उजागर किया गया है) और malar Ke युद्ध (GGS स्नातकोत्तर. '' ''1288)''</ref>, आदि) मांस और अंडे के उपभोग का जोरदार विरोध करते हैं (हालाँकि वे दूध, मक्खन और चीज के उपभोग को बढ़ावा देते हैं)।<ref>[http://www.sikhwomen.com/ http://www.sikhwomen.com] पर "लंगर".</ref> यह शाकाहारी रवैया [[ब्रिटिश राज]] के समय से चला आ रहा है, अनेक नए धर्मान्तरित वैष्णवों के आने के बाद से।<ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" /> सिख आबादी के भोजन में भिन्नता की प्रतिक्रिया में, सिख गुरुओं ने आहार पर सिख विचार को स्पष्ट किया, उन्होंने सिर्फ भोजन की सादगी की उनकी प्राथमिकता पर जोर दिया। गुरु नानक ने कहा कि भोजन के अति-उपभोग (लोभ, लालसा) से पृथ्वी के संसाधन समाप्त हो जायेंगे और इस तरह जीवन भी समाप्त हो जायेगा।<ref>{{cite web|url=http://www.sikhs.org/meat_gn.htm |title=The Sikhism Home Page |publisher=Sikhs.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref><ref>{{cite book|last=Singh|first=Prithi Pal |title=The History of Sikh Gurus|publisher=Lotus Press|location=नई दिल्ली|year=2006|page=38|chapter=3 Guru Amar Das|isbn=8183820751|url=http://books.google.com/?id=EhGkVkhUuqoC&printsec=frontcover&dq=The+History+of+Sikh+Gurus+By+Prithi+Pal+Singh#v=onepage&q=}}</ref> [[गुरु ग्रंथ साहिब]] (सिखों की पवित्र पुस्तक, जिसे आदि ग्रंथ भी कहते हैं) में कहा गया है कि प्राणी जगत की श्रेष्ठता के लिए बहस करना "मूर्खता" है, क्योंकि सभी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, सिर्फ मानव जीवन अधिक महत्व रखता है।<blockquote>
"केवल मूर्ख ही यह बहस करते हैं कि मांस खाया जाय या नहीं। कौन परिभाषित कर कर सकता है कि कौन-सी चीज मांस और कौन-सी चीज मांस नहीं है? कौन जानता है, जहाँ पाप किसमें है, शाकाहारी होने में या एक मांसाहारी होने में?"<ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" /></blockquote>
सिख [[लंगर]], या मंदिर का मुफ्त भोजन, मुख्यतः लैक्टो-शाकाहारी होता है, हालाँकि समझा गया है किसी सिद्धांत के बजाय वहाँ खाने वाले सभी व्यक्तियों के लिए आदरणीय आहार को ध्यान में रख कर ही ऐसा किया जाता है।<ref name="autogenerated1" /><ref name="Fools Who Wrangle Over Flesh" />
 
==== यहूदी धर्म ====
॰[[यहूदी धर्म]] के अनेक मध्ययुगीन विद्वानों (मसलन, जोसेफ अल्बो) ने शाकाहार को एक नैतिक आदर्श के रूप में माना, सिर्फ पशुओं के कल्याण के लिए ही नहीं, बल्कि इसलिए भी कि पशुओं की ह्त्या करने से यह कृत्य करने वाले में नकारात्मक चारित्रिक लक्षण विकसित होने लगते हैं। इसलिए, उनकी चिंता पशु कल्याण के बजाय मानवीय चरित्र पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभाव थे। दरअसल, रब्बी जोसेफ अल्बो का कहा कि मांस के उपभोग का त्याग करना इसलिए भी जरुरी है कि यह न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है बल्कि अरुचिकर भी है।<ref name="innernet1">{{cite web|url=http://www.innernet.org.il/article.php?aid=107.html |title=J. David Bleich - Contemporary Halakhic Problems |publisher=Innernet.org.il |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
एक आधुनिक विद्वान, जिनका उल्लेख अक्सर ही शाकाहार के पक्ष किया जाता है, मैंडेट [[फ़िलस्तीन|पैलेस्टाइन]] के प्रमुख रब्बी स्व. रब्बी अब्राहम इस्साक कूक थे। अपने लेखन में, रब्बी कूक ने शाकाहार को एक आदर्श के रूप में बताया है और इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि आदम पशु मांस नहीं खाया करता था। इस सन्दर्भ में, हालाँकि, रब्बी कूक ने परलोक-सिद्धांत-विषयक (मुक्तिदाता संबंधी) युग के बारे में अपने चित्रण में ये टिप्पणियाँ की हैं।
 
कुछ कब्बलावादियों के अनुसार, केवल एक रहस्यवादी ही जो पुनर्जन्म लेने वाली आत्मा और "ईश्वरीय किरण" को समझने तथा उसे उन्नत कर पाने में सक्षम है, उसे ही मांस खाने की अनुमति है, हालाँकि पशु मांस खाने से तब भी आत्मा को आध्यात्मिक क्षति पहुँच सकती है। अनेक यहूदी शाकाहार समूह और कार्यकर्ता ऐसे विचारों के प्रचार में लगे हुए हैं और विश्वास करते हैं कि जो फिलहाल शाकाहार को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं, सिर्फ उनके प्रति ही अस्थायी रूप से ढिलाई बरतने की हलाखिक अनुमति प्रदान है।<ref>{{cite web|url=http://www.jewishveg.com/torah.html |title=Judaism & Vegetarianism |publisher=Jewishveg.com |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
[[यहूदी धर्म]] और [[ईसाई धर्म]] दोनों के साथ संबंध रखने वाले प्राचीन एसेंस धार्मिक समूह ने सख्ती से शाकाहार को चलाया, ठीक उसी तरह जिस तरह हिन्दू/जैनी [[अहिंसा]] या "निष्पाप" विचारों पर यकीन करते हैं।<ref>{{cite web|url=http://www.all-creatures.org/murti/tsnhod-03.html |title="They Shall Not Hurt Or Destroy" and the Essenes |publisher=All-creatures.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
[[तोरा|टोरा]] के टेन कमांडेंटस के अनुवाद में कहा गया है "तू हत्या नहीं करेगा."<ref>{{cite web|url=http://www.jewishveg.com/schwartz/killormurder.html |title=Judaism and Vegetarianism: Schwartz Collection - Thou Shalt Not "Kill" or "Murder"? |publisher=Jewishveg.com |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.mechon-mamre.org/p/pt/pt0220.htm |title=Exodus 20 / Hebrew - English Bible / Mechon-Mamre |publisher=Mechon-mamre.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> कुछ लोगों का तर्क है कि इसका मतलब यह भी निकाला जा सकता है कि किसी हत्या न करो, न पशुओं की और न मनुष्यों की, या कम से कम "कि कोई व्यक्ति बेजरूरत हत्या नहीं करे," यह कुछ वैसी ही बात हुई जैसे कि आधुनिक धर्मशास्त्री गुलामी के अभ्यास पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाइबल के गुलामी पर दुर्वह प्रतिबंधों की व्याख्या करते हैं।<ref>फिलिप एल. पिक द्वारा शाकाहार का दर्शन यहूदी का लेख</ref>
टोरा लोगों को यह भी आदेश देता है कि पशुओं की जब हत्या की जाय तो विधिवत उनका क़त्ल किया जाय और पशु बलि के रिवाज को विस्तार से बताया गया है।
 
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==== ईसाई धर्म ====
{{Main|ईसाई धर्म में शाकाहार}}
मौजूदा [[ईसाई]] संस्कृति सामान्य रूप से शाकाहार नहीं है। हालाँकि, [[सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट]] और पारंपरिक [[मोनैस्टिक]] शाकाहार पर जोर डालते हैं। इसके अलावा ऑर्थोडॉक्स चर्च के सदस्य 'उपवास' के दौरान शाकाहारी आहार का पालन कर सकते हैं,<ref>{{cite web|url=http://www.orthodoxinfo.com/praxis/pr_fasting.aspx |title=Living an Orthodox Life: Fasting |publisher=Orthodoxinfo.com |date=1997-05-27 मई 1997 |accessdate=3 फरवरी 2010-02-03}}</ref> शाकाहार की अवधारणा और चलन को आध्यात्मिक और ऐतिहासिक समर्थन प्राप्त है।{{Citation needed|date=June 2010}}
 
ईसाई धर्म में एक क्वेकर परंपरा जो कि कम से कम 18 वीं सदी से चली आ रही है, के साथ भी शाकाहार का एक मजबूत संबंध रहा है। शराब का सेवन, जीव हत्या और सामाजिक पवित्रता के संबंध में क्वेकर की चिंताएं बढ़ने के साथ 19 वीं शताब्दी के दौरान यह संबंध उल्लेखनीय रूप से फलाफूला है। बहरहाल, 1902 में फ्रेंड्स वेजीटेरियन सोसाइटी की स्थापना मित्रों के सामज में और अधिक सहृदयी जीवनशैली अपनाने के प्रचार के मकसद के साथ शाकाहार और क्वेकर परंपरा के बीच सहयोग और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया।<ref>{{cite web|url=http://www.ivu.org/history/thesis/quakers.html |title=The Great War and the Interwar Period |publisher=ivu.org |date= |accessdate=2009-08-14 अगस्त 2009}}</ref>
 
==== इस्लाम ====
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<ref>बावा मुहैयाडीन से शाकाहारी कोटेशन 16/05/2008 लिया गया</ref>
 
जनवरी 1996 में, द इंटरनेशनल वेजीटेरियन यूनियन ने मुस्लिम वेजीटेरियन/वेगन सोसाइटी की स्थापना की घोषणा की।<ref>{{cite web|url=http://www.ivu.org/news/1-96/muslim.html |title=IVU News - Islam and Vegetarianism |publisher=Ivu.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
कई मांसाहारी मुसलमानों जब गैर-हलाली रेस्त्रां में खाना खाने जाते हैं तब वे शाकाहार (या समुद्री खाद्य) का चयन करेंगे। हालाँकि, सही तरह का मांस न खाने के बजाए पूरी तरह से मांस खाने को प्राथमिकता देने का मामला है।<ref name="Muslims can’t be vegetarian" />
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{{Main|पर्यावरण संबंधी शाकाहार}}
 
पर्यावरण शाकाहार इस विचारधारा पर आधारित है कि जन उपभोग के लिए मांस उत्पाद और पशु उत्पाद विशेष रूप से कारखाने में तैयार खाद्य पर्यावरण की दृष्टि से अरक्षणीय होते हैं। 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से किए गए पहल के अनुसार, दुनिया में पर्यावरण संबंधी की दुर्दशा में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक मवेशी उद्योग है, खाद्य पदार्थों में अंशदान के लिए आधुनिक तरीकों से पशुओं की तादद बढ़ाने से 'बहुत ही बड़े पैमाने पर' वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण, जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के नुकसान हो रहा है। प्रस्ताव ने निष्कर्ष निकाला कि "स्थानीय से लेकर वैश्विक हर स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में मवेशी क्षेत्र का स्थान एकदम से शीर्ष पर दूसरा या तीसरा है।"<ref>{{cite web|url=http://www.fao.org/docrep/010/a0701e/a0701e00.HTM |title=Livestock's long shadow - Environmental issues and options |publisher=Fao.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref>
 
ग्रीनपीस रिपोर्ट में अमाजोन पशु फार्म के कारण हो रहे विनाश का नजारा दिखाए जाने के एक हफ्ते के बाद, जुलाई 2009 में नाइके और टिंबरलैंड ने वन कटाई वाले अमाजोन वर्षावन से चमड़े की खरीददारी बंद कर दी। अर्नोल्ड न्युमैन के अनुसार हर हैंमबर्गर की बिक्री 6.25m2 वर्षावन के विनाश परिणाम है।<ref>{{cite book|url=http://books.google.com/?id=Z0s3X_vh1_EC&pg=PA93&lpg=PA93&dq=one+hamburger+is+50+rain+forrest |title=ei=3ZKbSoyJOIP6_AbH17TGCQ&sa=X&oi=book_result&ct=result&resnum=8#v=onepage&q=&f=false Hamburger per rain forest |publisher=Books.google.com |date= 1999-06-30 जून 1999|accessdate=4 अक्टूबर 2009-10-04 | isbn=9781566397056}}</ref>
 
इसके अलावा, पशु फार्म ग्रीनहाउस गैसों के बड़े स्रोत हैं और दुनिया भर में 18 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जिसे CO<sub>2</sub> के समकक्ष मापा गया है, के लिए जिम्मेवार है, तुलनात्मक रूप से, दुनिया भर के सभी परिवहनों (जहाजों, सभी की गाड़ियों, ट्रकों, बसों, ट्रेनों, जहाजों और हवाई जहाजों समेत) से उत्सर्जित CO<sub>2</sub> का प्रतिशत 13.5 है। पशु फार्म मानव संबंधित नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन 65 प्रतिशत करता है और सभी मानव प्रेरित मीथेन का प्रतिशत 37 है। लगभग 21 गुना अधिक मीथेन गैस के ग्लोबल वार्मिंग पोटेंशियल (GWP) की तुलना में कार्बन डाइ ऑक्साइड और नाइट्रस ऑक्साइड का GWP 296 गुना है।<ref>{{cite web|url=http://www.yogaindailylife.org.au/Articles/Environment/Going-Greenhouse-Gas-Neutral.html |title=Greenhouse gas neutral |publisher=Yogaindailylife.org.au |date= |accessdate=4 अक्टूबर 2009-10-04}}</ref>
 
पशुओं को अनाज खिलाया जाता है और जो चरते हैं उन्हें अनाज की फसल खानेवालों की तुलना में कहीं अधिक पानी की जरूरत पड़ती है।<ref>कर्बी, बीबीसी न्यूज़ 2004 हंगरी वर्ल्ड 'मस्ट ईट लेस मीट' http://news.bbc.co.uk/1/hi/sci/tech/3559542.stm</ref> यूएसडीए (USDA) के अनुसार, फार्म पशुओं को खिलाने के लिए फसलों की पैदावार के लिए पूरे संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग आधी जल आपूर्ति और 80 प्रतिशत कृषि भूमि के पानी की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका में भोजन के लिए पशुओं को बड़ा करने में 90 प्रतिशत सोया की फसल, 80 प्रतिशत मक्के की फसल और 70 प्रतिशत कुल अनाज की खपत हो जाया करती है।<ref>वेस्टरबाई, मार्लो और क्रुपा, केनेथ एस. 2001 मेजर युसेज़ ऑफ़ लैंड इन द युनाइटेड स्टेट्स, 1997 सांख्यिकी बुलेटिन नं. (SB973) सितम्बर 2001</ref>
 
जब खाद्य पदार्थों के लिए पशु उत्पादन को चारा खिलाकर तैयार किया जाता है तब मांस, दूध और अंडे के उत्पादन की अक्षमता से उर्जा निवेश से प्रोटीन उत्पाद का अनुपात 4:1 से लेकर 54:1 हो जाता है। सबसे पहले, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मवेशी द्वारा खाये जाने से पहले चारे का बढ़ना जरूरी है और दूसरा गर्म खूनवाले रीढ़ वाले जीवों (पेड़ों और कीड़े-मकौड़ों के विपरीत) को गर्मी बनाये रखने के लिए बहुत सारी कैलोरी की जरूरत होती है।<ref name="Time" /> एक सूचकांक है, जिसका उपयोग अपच खाद्य पदार्थों का शारीरिक तत्व के रूप में रूपांतरण की क्षमता मापने के लिए किया जा सकता है, जो हमें यह बताता है, उदाहरण के लिए गाय के मांस से शरीर तत्व का रूपांतरण केवल 10%, की तुलना में रेशम कीट से 19-31% और जर्मन तिलचट्टे से 44% होता है।[298]
पारिस्थितिकी के प्रोफेसर डेविड पिमेंटल ने दावा किया है, "अगर मौजूदा समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में मवेशियों को खिलाये जानेवाले सभी अनाज सीधे लोगों द्वारा खा लिया जाए तो जितने लोगों को खिलाया जा सकता है, उनकी तादाद लगभग 800 मिलियन हो सकती है।"<ref>कॉर्नेल विज्ञान समाचार, 7 अगस्त 1997 http://www.news.cornell.edu/releases/Aug97/livestock.hrs.html</ref> इन अध्ययनों के अनुसार, पशु आधारित खाद्य का उत्पादन अनाज, सब्जियों, दलहन, बीज और फलों की फसल की तुलना में आमतौर पर पर बहुत कम होता है। बहरहाल, यह उन जानवरों पर लागू नहीं होता जो चरने के बजाए खिलाये जाते हैं, खासतौर पर उन पर जो ऐसी भूमि में चरते हैं जिसका दूसरा कोई उपयोग नहीं किया जा सकता है। और न खाने के लिए कीड़ों की खेती पर, जो खाद्य पदार्थ खानेवाले मवेशियों की खेती की तुलना में पर्यावरण की दृष्टि से कहीं अधिक दीर्घकालिक होते हैं, पर लागू होती है।<ref name="Time" /> प्रयोगशाला में उत्पादित मांस (जो इन विट्रो मांस कहलाता है) भी पर्यावरण की दृष्टि से नियमित रूप से उत्पादित मांस की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ होता है।<ref>{{Cite news |url=http://www.newscientist.com/article/mg19926635.600-comment-growing-m |title=Comment: Lab-grown meat could ease food shortage |last=Olsson |first=Anna |periodical= New Scientist |publication-date=8 जुलाई 2008-07-08 |accessdate=2008-11-17 नवंबर 2008}}</ref>
 
पोषण संबंधी गतिशीलता के सिद्धांत के अनुसार, मांस के उत्पादन के लिए पशुओं को पालने में 10 गुना फसल की जरूरत चारे के रूप में उपयोग के लिए होती है, इतने ही खाद्य पदार्थों की जरूरत शाकाहारी भोजन करनेवाले लोगों को होगी। वर्तमान समय में उत्पादित मकई, गेहूँ और दूसरे सभी अनाज का 70 प्रतिशत फार्म के पशुओं को खिला दिया जाता है।<ref name="environement">एड आयर्स, "हम क्या अभी भी मीट खा सकते है?"समय, 8 नवम्बर 1999</ref> इससे शाकाहार के बहुत सारे समर्थक यह मानने लगे हैं कि मांस खाना पर्यावरण की दृष्टि से गैर जिम्मेदार होना है।<ref>पारिस्थितिकी भोजन: भोजन के रूप में अगर पृथ्वी मामलों (यह करता है!) http://www.brook.com/veg/</ref> सुरे युनिवसिर्टी के फूड क्लाइमेट रिसर्च नेटवर्क ने पाया कि अपेक्षाकृत कम संख्या में चरनेवाले पशुअओं को पालना अक्सर लाभदायक होता है, इसकी रिपोर्ट कहती है, ''कम संख्या में मवेशियों का उत्पादन पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा है।''<ref>व्हाई इटिंग लेस मीट कुड कट ग्लोबल वॉर्मिंग संरक्षक</ref>
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=== श्रमिकों की स्थिति ===
पेटा (PETA) जैसे कुछ ग्रुप इन दिनों मांस उद्योग में काम करनेवाले मजदूरों की स्थिति और उनके साथ होने वाले व्यवहार को समाप्त करने के लिए शाकाहार को बढ़ावा देते हैं।<ref>{{cite web| url=http://www.goveg.com/workerrights.asp|title=Killing for a Living: How the Meat Industry Exploits Workers|accessdate=2009-07-16 जुलाई 2009}}</ref> ये समूह उन अध्ययनों का उल्लेख करते हुए मांस उद्योग में काम करने से मनोवैज्ञानिक क्षति को दर्शाते हैं, खासकर फैक्ट्री और औद्योगीकृत स्थानों में और शिकायत करते हैं कि बिना पर्याप्त सलाह, प्रशिक्षण और विवरणों की जानकारी दिए कठिन तथा कष्टप्रद कार्य सौंपकर मांस उद्योग श्रमिकों के मानवीय अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।<ref name="labor">{{cite web|url=http://www.hrw.org/reports/2005/usa0105/4.htm |title=Worker Health and Safety in the Meat and Poultry Industry |publisher=Hrw.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref><ref name="labor2">{{cite web|url=http://www.ncrlc.com/academic-SR-webpages/food_safety.html |title=Food Safety, the Slaughterhouse, and Rights |publisher=Ncrlc.com |date=2004-03-30 मार्च 2004 |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref><ref name="labor3">{{PDFlink|http://www.safework.sa.gov.au/contentPages/docs/meatCultureLiteratureReviewV81.pdf|618&nbsp;KB|—Positive Safety
Culture The key to a safer meat industry}}</ref><ref name="labor4">{{cite web|url=http://www.hfa.org/factory/ |title=Factory Farming—Making People Sick |publisher=Hfa.org |date= |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> हालाँकि, तमाम खेत मजदूरों के काम की परिस्थिति, विशेष रूप से अस्थायी श्रमिकों की, खराब ही बनी हुई है और अन्य आर्थिक क्षेत्रों की तुलना में बहुत ही नीचे है।<ref>परिस्थितियों में कृषि कार्य अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन</ref> किसानों और बागान श्रमिकों में दुर्घटनाओं सहित कीटनाशक विषाक्तता से स्वास्थ्य के जोखिम बढ़ गये हैं, जिनमें बढती मृत्यु दर भी शामिल है।<ref>परिस्थितियों में कृषि कार्य बर्न घोषणा</ref> वास्तव में, [[अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ|अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन]] के अनुसार, कृषि दुनिया के तीन सबसे खतरनाक कामों में से एक है।<ref>विश्व विकास रिपोर्ट 2008: विकास के लिए कृषि, विश्व बैंक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पृष्ठ 207</ref>
 
=== आर्थिक ===
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== जनसांख्यिकी ==
=== लिंग ===
अनुसंधान संगठन यंकेलोविच द्वारा 1992 में कराये गए बाजार अनुसंधान अध्ययन द्वारा दावा किया गया‍ कि "12.4 मिलियन लोग [US में], जो खुद को शाकाहारी कहते हैं उनमें से 68 प्रतिशत महिलाएं हैं और 32 प्रतिशत पुरुष हैं।"<ref>{{cite web|url=http://findarticles.com/p/articles/mi_m0820/is_n210/ai_16019829 |title=The gender gap: if you're a vegetarian, odds are you're a woman. Why? |accessdate=2007-10-27 अक्टूबर 2007 |date=1 फरवरी 2005-02-01 |publisher=Vegetarian Times|archiveurl=http://archive.is/GdBX|archivedate=2012-05-26 मई 2012}}</ref>
 
कम से कम एक अध्ययन यह बताता है कि शाकाहारी महिलाओं को बच्चे होने की संभावना कहीं अधिक होती है। 1998 में 6,000 गर्भवती महिलाओं पर किए गए अध्ययन में "पाया गया कि 100 लड़कियों के अनुपात में 106 लड़के पैदा होने का ब्रिटेन का राष्ट्रीय औसत है, जबकि शाकाहारी माताओं से 100 लड़कियों के अनुपात में सिर्फ 85 लड़के पैदा हुए।''<ref name="Babies">{{cite news|url=http://news.bbc.co.uk/1/hi/health/869696.stm |title='More girl babies' for vegetarians |publisher=बीबीसी न्यूज़ |date=7 अगस्त 2000-08-07 |accessdate=9 अगस्त 2009-08-09}}</ref> ब्रिटिश डायडेटिक एसोसिएशन के कैथरीन कोलिंस इसे "अस्थायी सांख्यिकीय" बताते हुए खारिज कर दिया है।<ref name="Babies" />
 
=== देश-विशेष की जानकारी ===
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शाकाहार को दुनिया भर में अलग अलग तरीकों से देखा जाता है। कुछ क्षेत्रों में {{Which?|date=May 2010}} यह वहाँ की संस्कृति है और यहाँ तक कि इसे कानूनी समर्थन भी प्राप्त है, लेकिन अन्य में {{Which?|date=May 2010}} आहार के बारे में समझ बहुत खराब है और यहाँ तक कि इस बारे में नाक-भौं भी सिकोड़ा जाता है।{{Citation needed|date=May 2010}} बहुत सारे देशों में खाद्य का वर्गीकरण किया जाता है जिससे शाकाहारियों के लिए अपने भोजन के साथ खाद्य पदार्थों की अनुकूलता को पहचानना आसान हो जाता है।
 
भारत में, बाकी दुनिया की तुलना में जहाँ ज्यादातर शाकाहारी हैं दोनों को मिलाकर (2006 के अनुसार 399 मिलियन),<ref>{{cite web|url=http://www.raw-food-health.net/NumberOfVegetarians.html |title=The Number of Vegetarians In The World |publisher=Raw-food-health.net |date= |accessdate=3 फरवरी 2010-02-03}}</ref>
न केवल खाद्य पदार्थों की वर्गीकरण होता है, बल्कि बहुत सारे रेस्त्राओं में ''शाकाहारी'' या ''गैर-शाकाहारी'' का निशान भी लगा कर विपणन किया जा रहा है। भारत में जो लोग शाकाहारी हैं आमतौर पर वे दूग्ध-शाकाहारी हैं और इसलिए, इस बाजार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए, भारत में बहुसंख्यक शाकाहारी रेस्त्रां अंडे से संबंधित उत्पादों को छोड़ कर अन्य दुग्ध उत्पाद मुहैया कराते हैं।
इनकी तुलना में, अधिकांश पश्चिमी शाकाहारी रेस्त्रां अंडा और अंडे पर आधारित उत्पाद मुहैया कराते हैं।