"पृथ्वी नारायण शाह": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Prithvinarayanshah.jpg|right|thumb|300px|पृथ्वी नारायण शाह]]
[[चित्र:Kings Palace Gorkha Nepal.jpg|right|thumb|300px|गोरखा दरबार]]
'''पृथ्वी नारायण शाह''' (1722 - 1775) एक औपनिवेशिक शासक थे। उसने नेपाल राज्यको कब्जा किया। उसके साथ और बहुता राज्योंको कब्जा करके आपने गोर्खा राज्यको बडा बनाया। उसको 'पिरपिरे नारांचा' भी बोला जाता है।
'''पृथ्वी नारायण शाह''' (1722 - 1775) [[नेपाल]] के राजा थे जिन्होने [[काठमाण्डू उपत्यका]] के छोटे से गोरखा राज्य का विस्तार किया। [[मल्ल राजवंश]] के अन्दर कई भागों में बिखरे नेपाल को उन्होने एकत्रित किया और मल्ल राजवंश का शासन समाप्त हुआ। पृथ्वी नारायण शाह को आधुनिक नेपाल का जनक माना जाता है। उन्होने ही नेपाल के एकीकरण अभियान की शुरूआत की थी।
 
== परिचय ==
पृथ्वीनारायण शाह, राजा [[नरभूपाल शाह]] व रानी कौसल्यावती के बेटे थे जो '''गोरखा''' नामक एक छोटे से राज्य के शासक थे। उनका जन्म बि सं १७७९ मे हुआ था, उन्हे बीस वर्ष की उम्र में बि सं १७९९ मे गोरखा का राजा बनाया गया था।
 
पृथ्वी नरायण शाह से पहले भी इतिहास के विभिन्न कालखण्डों मे नेपाल के एकीकरण हुए थे। जैसे [[यक्ष मल्ल]], मणी मुकुन्द सेन, व जुम्ला के जितरी मल्ल राजा के समय। लेकिन तब इन राजाओ ने एकीकरण के बाद नेपाल को कई हिस्सों में करके अपने बेटों के बीच बाँट दिया था। लेकिन पृथ्वी नारायण शाह ने नेपाल को फिर से बँटने नही दिया। नेपाल को एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में बचाए रखा और उसकी सीमाओं का विस्तार करते रहे। परन्तु सन १७७५ में ५२ वर्ष के आयु में इनका निधन हो जाने के कारण नेपाल का एकीकरण अभियान रुक गया। बाद में इनके पुत्र बाहदुर शाह और बहू राजेन्द्र लक्ष्मी ने एकीकरण अभियान को निरन्तरता प्रदान की। लेकिन इनके परपोते गिर्वाण विक्रम शाह के समय में हुए [[नेपाल-अंग्रेज युद्ध]] में नेपाल ने अपनी सार्भभौमिकता की रक्षा तो कर ली परन्तु नेपाल के एक बड़े भाग को [[ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] को देना पड़ा।
 
1816 से पहले का [[बिशाल नेपाल]] में वर्तमान काल के [[उत्तराखण्ड]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[पंजाब]], [[सिक्किम]] और [[दार्जिलिंग]] के भाग भी सम्मिलित थे। इसका क्षेत्रफल लगभग ३,३४२५० वर्ग कि॰मी॰ था। अंग्रेजों के साथ हुए [[सुगौली सन्धि]] के बाद नेपाल पूर्व मे [[मेची नदी]] से लेकर पश्चिम में [[काली नदी]] (शारदा नदी) तक मे सिमट कर रह गया। उस सन्धि में अंग्रेजो ने नेपाल का [[तराई]] भू-भाग भी ले लिया था जो १८२२ और १८६० में दो किश्तों में नेपाल को पुन: लौटा दिया।
 
पृथ्वीनारायण शाह [[नाथ संप्रदाय]] के उन्नायक, हिन्दी के सुपरिचित कवि, उत्तर भारत में हिन्दू संस्कृति एवं धर्म के महान् रक्षक योगी [[गोरखनाथ]] के बड़े भक्त ही नहीं, वरन् स्वयं हिन्दी के अच्छे [[कवि]] भी थे। उनके [[भजन]] अभी भी [[रेडियो नेपाल]] से प्राय: सुनाई पड़ते हैं। उदाहरण के लिए उनका एक भजन यहाँ प्रस्तुत है-