"पाउली अपवर्जन नियम": अवतरणों में अंतर

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जो कण इस सिध्दांत का पालन करते है, [[फर्मिऑन]] कहलाते है, जैसे: [[इलेक्ट्रॉन]], [[प्राणु]], [[न्यूट्रॉन]] इत्यादि ; एवं जो कण इस सिध्दांत का पालन नहीं करते है, [[बोसॉन]] कहलाते है, जैसे: [[फोटॉन]], [[ग्लुऑन]], [[गेज बोसान]]।
 
'''सरल भाषा में :-'''
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
पाउली नियमानुसार- : '''"'''किसी भी परमाणु में उपस्थित दो इलेक्ट्रॉन की चारों क्वाण्टम संख्या का मान समान नहीं हो सकता है। अत: किसी भी परमाणु में कोई इलेक्ट्रॉन अपनी एक अद्वितीय पहचान रखता है जो अन्य इलेक्ट्रॉनों से भिन्न होती है।"
 
चूँकि किसी परमाणु में उपस्थित किसी इलेक्ट्रॉन की पहचान उसकी क्वाण्टम संख्याओं के आधार पर की जाती है अर्थात मुख्य क्वाण्टम संख्या (n) , कक्षीय क्वाण्टम संख्या (l) , कक्षीय चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या ('''''m<sub>l</sub>''''') , चक्रण क्वांटम संख्या ('''''m<sub>s</sub>''''') के आधार पर किसी इलेक्ट्रान की पहचान की जाती है।
 
अत: पाउली के अपवर्जन नियम के अनुसार किसी परमाणु में उपस्थित दो इलेक्ट्रान के लिए n , l ,'''''m<sub>l</sub>''''' ,'''''m<sub>s</sub>'''''का मान समान नहीं हो सकता है।
 
अर्थात किसी परमाणु के प्रत्येक इलेक्ट्रान का क्वांटम समुच्चय (n , l ,'''''m<sub>l</sub>''''' ,'''''m<sub>s</sub>''''') उसी परमाणु के अन्य किसी इलेक्ट्रॉन के क्वाण्टम समुच्चय (n , l ,'''''m<sub>l</sub>''''' ,'''''m<sub>s</sub>''''') से भिन्न होता है।
 
यदि दो इलेक्ट्रानों के क्वांटम संख्या के तीन मान समान है तो शत प्रतिशत वे इलेक्ट्रान एक दुसरे के विपरीत दिशा में चक्रण में उपस्थित होंगे , कहने का तात्पर्य है कि दो इलेक्ट्रान का भले ही एक क्वांटम संख्या का मान भिन्न हो लेकिन भिन्न अवश्य होगा। (मयंक पटेल लाइव)
 
किसी कोश में भरे जाने वाले इलेक्ट्रान की अधिकतम संख्या का मान 2n<sup>2</sup> सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है , यहाँ n =  मुख्य क्वाण्टम संख्या होती है।
 
n = 1 अर्थात K कोश में अधिकतम भरे जाने वाले या पाए जाने वाले इलेक्ट्रान की संख्या 2 होगी।
 
n = 2 अर्थात L कोश में अधिकतम पाए जाने वाले इलेक्ट्रान की संख्या 8 होगी।
 
n = 3 अर्थात M कोश में अधिकतम इलेक्ट्रानों की संख्या 18 होगी आदि।
 
पाउली का अपवर्जन का नियम रसायन विज्ञान के ह्रदय की तरह है क्यूंकि इसी के कारण पर किसी परमाणु या अणु में इलेक्ट्रान की व्यवस्था को प्रदर्शित किया जा सकता है और इसका आवर्त सारणी के निर्माण भी बहुत योगदान है।
 
वुल्फगैंग पॉली (पाउली) को अपने इस अहम् नियम के लिए 1945 में भौतिक विज्ञान में नोबल पुरस्कार भी दिया गया था।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
* [http://nobelprize.org/nobel_prizes/physics/laureates/1945/pauli-lecture.html Nobel Lecture: Exclusion Principle and Quantum Mechanics] Pauli's own account of the development of the Exclusion Principle.
* [http://www.energyscience.org.uk/essays/ese06.htm The Exclusion Principle] (1997), Pauli's exclusion rules vs. the Aspden exclusion rules (plus the radiation factor, Larmor radiation formula, elliptical motion, the quantum states, occupancy of electron shells, nature of ferromagnetism, ...).