"विष्णु विनायक सरवटे": अवतरणों में अंतर
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संतान -- 2 पुत्रियां
==सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन==
सन् 1939 से 1965 तक [[
==सन्दर्भ==
▲सन् 1939 से 1965 तक [[इन्दौर]] नगर म्युनिसिपल कौंसिल के सदस्य रहे तथा इन 16 वर्षों में 5 बार स्टेंडिंग के सभापति तथा चार बार म्युनिसिपल कौंसिल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए तथा अंतिम 7 वर्ष नगरपालिका निगम में कांग्रेस पक्ष के नेता रहे. इन्दौर राज्य धार सभा के सदस्य एवं कांग्रेस पक्ष के मंत्री (1944), इन्दौर राज्य विधान सभा के सदस्य एवं सेक्रेटरी व मध्यभारत निर्माण (1948) से विधान सभा के सदस्य एवं कांग्रेस पक्ष के मंत्री, मध्यभारत देशी राज्य लोक परिषद के इलेक्शन ट्रिब्यूनल के संयोजक रहे. आल इंडिया लोकल अथारिटीज फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी (1951-54) रहे. सन् 1952 में मध्यभारत विधान सभा के उपाध्यक्ष एवं प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष बने. दिनांक 01.11.56 को नवीन मध्यप्रदेश के निर्माण के पश्चात् दिनांक 24.12.56 को [[मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष]] निर्वाचित हुए तथा 5.3.57 तक उक्त पद को सुशोभित करते रहे. सन् 1958 से 1964 तक भारतीय पार्लियामेंट की राज्यसभा के सदस्य रहे. महाराष्ट्र साहित्य सभा इन्दौर के अध्यक्ष रहे।
{{टिप्पणीसूची}}
==बाहरी कड़ियाँ==
[[श्रेणी:भारतीय राजनेता]]
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