"भारतीय दण्ड संहिता": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 75:
* '''धारा ५५''' क समुचित सरकार की परिभाषा
* '''धारा ५६''' निरसित
* '''धारा ५७'''
* '''धारा ५८''' निरसित
* '''धारा ५९''' निरसित
पंक्ति 88:
* '''धारा ६८''' जुर्माना देने पर कारावास का पर्यवसान हो जाना
* '''धारा ६९''' जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिये जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान
* '''धारा ७०''' जुर्माने का
* '''धारा ७१''' कई अपराधों से मिलकर बने अपराध के लिये दण्ड की अवधि
* '''धारा ७२''' कई अपराधों में से एक के दोषी व्यक्ति के लिये दण्ड जबकि निर्णय में यह कथित है कि यह संदेह है कि वह किस अपराध का दोषी है
* '''धारा ७३''' एकांत परिरोध
* '''धारा ७४''' एकांत परिरोध की अवधि
* '''धारा ७५''' पूर्व
==अध्याय ४==
पंक्ति 503:
* '''धारा ३८८''' मॄत्यु या आजीवन कारावास, आदि से दंडनीय अपराध का अभियोग लगाने की धमकी देकर उद्दापन
* '''धारा ३८९''' जबरन वसूली करने के लिए किसी व्यक्ति को अपराध का आरोप लगाने के भय में डालना।
* '''धारा ३९०'''
* '''धारा ३९१''' डकैती
* '''धारा ३९२''' लूट के लिए दण्ड
* '''धारा ३९३''' लूट करने का
* '''धारा ३९४''' लूट करने में स्वेच्छापूर्वक किसी को चोट पहुँचाना
* '''धारा ३९५''' डकैती के लिए दण्ड
पंक्ति 619:
* '''धारा ४९२''' दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहां सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है।
;विवाह से सम्बन्धित अपराध
* '''धारा ४९३''' विधिपूर्ण विवाह का धोखे से विश्वास उत्प्रेरित करने वाले पुरुष द्वारा कारित सहवास।
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