"नाट्य शास्त्र": अवतरणों में अंतर
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==टीकाएँ==
नाट्यशास्त्र पर अनेक व्याख्याएँ लिखी गईं और भरतसूत्रों के व्याख्याता अपने अपने सिद्धान्त के प्रतिष्ठापक आचार्य माने गए जिनके मत काव्यशास्त्र
नाट्यशास्त्र में प्रतिपादित संगीताध्याय के व्याख्याता अनेक हो गए हैं। जिनमें प्रमुख भट्ट सुमनस्, भट्टवृद्धि, भट्टयंत्र और भट्ट गोपाल हैं। इनके अतिरिक्त भरतमुनि के प्रधान शिष्य [[मातंग]], दत्तिल एवं कोहल नाट्यशास्त्र के आधार पर संगीतपरक स्वतंत्र ग्रंथ, सदाशिव और [[रंदिकेश्वर]] ने [[नृत्य]] पर तथा भट्ट तौत प्रभृति ने [[रस]]मीमांसा पर रचे हैं। भरत नाट्यशास्त्र का रस भावाध्याय [[भारतीय मनोविज्ञान]] का आधार ग्रंथ माना जाता है। == सन्दर्भ ==
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