"प्रतिरक्षा प्रणाली": अवतरणों में अंतर

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रोगजनकों की पहचान करना एक जटिल कार्य है क्योंकि रोगजनकों का रूपांतर बहुत तेजी से होता है और यह स्वयं का अनुकूलन इस प्रकार करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली से बचकर सफलतापूर्वक अपने पोषक को संक्रमित कर सकें। शरीर की प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी आने से रोग में प्रवेश कर जाते हैं। प्रतिरक्षा-प्रणाली में खराबी को ''इम्यूनोडेफिशिएंसी'' कहते हैं। इम्यूनोडेफिशिएंसी या तो किसी आनुवांशिक रोग के कारण हो सकता है, या फिर कुछ खास दवाओं या [[संक्रमण]] के कारण भी संभव है। इसी का एक उदाहरण है [[एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम]] (एड्स) जो एचआईवी वायरस के कारण फैलता है। ठीक इसके विपरीत [[स्वप्रतिरक्षित रोग]] (''ऑटोइम्यून डिजीज'') एक उत्तेजित ''ऑटो इम्यून सिस्टम'' के कारण होते हैं जो साधारण ऊतकों पर बाहरी जीव होने का संदेह कर उन पर आक्रमण करता है।
 
प्रतिरक्षा प्रणाली के अध्ययन को [[प्रतिरक्षा विज्ञान]] (इम्म्यूनोलॉजी) का नाम दिया गया है।<ref name = "hindustan"/> इसके अध्ययन में प्रतिरक्षा प्रणाली संबंधी सभी बड़े-छोटे कारणों की जांच की जाती है। इसमें प्रणाली पर आधारित स्वास्थ्य के लाभदायक और हानिकारक कारणों का ज्ञान किया जाता है। प्रतिरक्षा प्रणाली के क्षेत्र में खोज और शोध निरंतर जारी हैं एवं इससे संबंधित ज्ञान में निरंतर बढोत्तरी होती जा रही है। यह प्रणाली लगभग सभी उन्नत जीवों जैसे हरेक पौधे और जानवरों में मिलती मिलती है। प्रतिरक्षा प्रणाली के कई प्रतिरोधक (बैरियर) जीवों को बीमारियों से बचाते हैं, इनमें यांत्रिक, रसायन और जैव प्रतिरोधक होते हैं।arajetहैं। upargat
ANANDILAL JAKHAR sUPPER JAT
 
== प्रतिरक्षा ==
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== सन्दर्भ ==
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docter rajesh dhaka
 
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== इन्हें भी देखें ==