"आयुर्वेद": अवतरणों में अंतर
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== आयु ==
आयुर्वेद का अर्थ प्राचीन आचार्यों की व्याख्या और इसमें आए हुए 'आयु' और 'वेद' इन दो शब्दों के अर्थों के अनुसार बहुत व्यापक है। आयुर्वेद के आचार्यों ने 'शरीर, इंद्रिय, मन तथा आत्मा के संयोग' को '''आयु''' कहा है।<ref>[http://literature.awgp.org/book/aayurved_ka_vyapak_kshetra/v1.2 आयुर्वेद में स्वास्थ्य लक्षण एवं आयु]</ref> संपत्ति (साद्गुण्य) या विपत्ति (वैगुण्य) के अनुसार आयु के अनेक भेद होते हैं, किंतु संक्षेप में प्रभावभेद से इसे चार प्रकार का माना गया है :<ref>[http://ayurgoa.com/article/ayurvedic-concept-of-life Ayurvedic concept of life]</ref>
(१) '''सुखायु''' : किसी प्रकार के शीरीरिक या मानसिक विकास से रहित होते हुए, ज्ञान, विज्ञान, बल, पौरुष, धनृ धान्य, यश, परिजन आदि साधनों से समृद्ध व्यक्ति को "सुखायु' कहते हैं।
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