"बलोच लोग": अवतरणों में अंतर
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'''बलोच''', '''बलौच''' या '''बलूच''' दक्षिणपश्चिमी [[पाकिस्तान]] के [[बलूचिस्तान (पाकिस्तान)|बलोचिस्तान]] प्रान्त और [[ईरान]] के [[सिस्तान व बलूचेस्तान]] प्रान्त में बसने वाली एक जाति है। यह [[बलोच भाषा और साहित्य|बलोच भाषा]] बोलते हैं, जो [[ईरानी भाषा परिवार]] की एक सदस्य है और जिसमें अति-प्राचीन [[अवस्ताई भाषा]] की झलक मिलती है (जो स्वयं [[वैदिक संस्कृत]] की बड़ी क़रीबी भाषा मानी जाती है। बलोच लोग क़बीलों में संगठित हैं। वे पहाड़ी और [[रेगिस्तान|रेगिस्तानी]] क्षेत्रों में रहते हैं और आसपास के समुदायों से बिलकुल भिन्न पहचान बनाए हुए हैं। एक ब्राहुई नामक समुदाय भी बलोच माना जाता है, हालांकि यह एक [[द्रविड़ भाषा परिवार]] की ब्राहुई नाम की भाषा बोलते हैं।
सन् २००९ में बलोच लोगों की कुल जनसंख्या ९० लाख पर अनुमानित की गई थी।
शब्द-साधन
'बलूच' शब्द की सही उत्पत्ति स्पष्ट नहीं है। रॉलिंसन (1873) का मानना था कि यह बेबीलोन के राजा और भगवान बेलस के नाम से लिया गया है। डेम्स (1904) का मानना था कि यह 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में बलूच सैनिकों के हेलमेट पर एक शिखा के रूप में इस्तेमाल किया गया था, जिसे कॉक्सकॉम्ब के लिए फारसी शब्द से लिया गया है। हर्ज़फेल्ड (1968) ने प्रस्ताव किया कि यह मेडियन शब्द ब्रेज़ा-वेया से लिया गया है, जिसमें बोलने का एक ज़ोरदार या आक्रामक तरीका है। नसीर दशती (2012) एक और संभावना प्रस्तुत करती है, जो कि वर्तमान में तुर्की और अजरबैजान के कैस्पियन सागर और लेक वान के बीच बालाशगन में रहने वाले जातीय समूह 'बालासिक' के नाम से ली जा रही है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे बलूचिस्तान में चले गए थे। ससनीद काल मूल नाम जैसे 'बलूचुक' और 'बलूचिकी' के अवशेष आज भी बलूचिस्तान में जातीय नामों के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।
कुछ लेखकों ने संस्कृत के शब्द बल से एक व्युत्पत्ति का सुझाव दिया है, जिसका अर्थ है ताकत, और ऊच का अर्थ उच्च या शानदार है।
बलूच का प्रारंभिक संस्कृत संदर्भ -डा.भंडारकर के अनुसार भारत में बलूच शब्द का सबसे पहले लिखित प्रमाण गुर्जर-प्रतिहार शासक मिहिरा भोज(836–885) का ग्वालियर शिलालेख हो सकता है, जो कहता है कि राजवंश के संस्थापक नागभट्ट प्रथम ने अफ़ग़ानिस्तान की एक शक्तिशाली सेना को "बलूच विदेशियों" के रूप में अनुवादित किया है।
== मुख्य क़बीले ==
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