"संधि (व्याकरण)": अवतरणों में अंतर

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'''संधिसन्धि''' (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। [[संस्कृत]], [[हिन्दी]] एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे - सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।
 
सन्धि के नियम केवल भारोपीय भाषाओं में ही नहीं हैं बल्कि [[कोरियायी भाषा|कोरियायी]] जैसी यूराल-आल्टिक परिवार की भाषाओं में भी हैं। जिस प्रकार [[नीला]] और [[लाल]] मिलकर [[बैगनी]] रंग बन जाता है उसी प्रकार सन्धि एक "प्राकृतिक" या सहज क्रिया है।
 
;संधिसन्धि के भेद
 
संधिसन्धि तीन प्रकार की होती हैं -
# स्वर संधिसन्धि (या अच् सन्धि)
# व्यञ्जन सन्धि
# व्यंजन संधि
# विसर्ग संधिसन्धि
 
== स्वर संधि ==
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=== दीर्घ संधि ===
सूत्र- ''अक: सवर्णे दीर्घ:दीर्घः''
अर्थात् अक् प्रत्याहार के बाद उसका सवर्ण आये तो दोनो मिलकर दीर्घ बन जाते हैं।
ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं। जैसे -