"आल्हा": अवतरणों में अंतर
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→अल्हाडिट की उत्पत्ति: मैंने इसमे दी हुई अशुद्धियों का विश्लेषण किया और एक प्रमाणित इतिहास की किताब की मदद से उन अशुद्धियों के स्थान पर दी हुयी शुद्ध जानकारी को लिखा|इसमे आल्हा ऊदल की जाति की जानकारी सही नहीं दी थी|इतिहास के अनुसार आल्हा ऊदल बनाफर अर्थात वन में रहने वाले एक समुदाय से थे|कई इतिहास की किताबों में खोज की तो उन किताबों में आल्हा और ऊदल को बनाफर ही बताया गया है| टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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==अल्हाडिट की उत्पत्ति==
आल्हा और ऊदल चंदेल राजा परमाल की सेना के एक सफल सेनापति दासराज के बच्चे थे। वे
भाव पुराण के अनुसार, कई प्रक्षेपित खंडों वाला एक पाठ, जो निश्चित रूप से दिनांकित नहीं किया जा सकता है, आल्हा की माता, देवकी,बनाफर
भाव पुराण में आगे कहा गया है कि यह न केवल आल्हा और उदल की माताएँ हैं
आल्हा भारत के बुंदेलखंड क्षेत्र में लोकप्रिय आल्हा-खंड कविता के नायकों में से एक है। यह एक कार्य महोबा खण्ड पर आधारित हो सकता है जिसे परमाल रासो शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। [उद्धरण वांछित]
आल्हा एक मौखिक महाकाव्य है, यह कहानी पृथ्वीराज रासो और भाव पुराण की कई मध्यकालीन पांडुलिपियों में भी पाई जाती है। एक धारणा यह भी है कि कहानी मूल रूप से महोबा के बर्ग के जगनिक द्वारा लिखी गई थी, लेकिन अभी तक कोई पांडुलिपि नहीं मिली है। [६]
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