"ललितविस्तर सूत्र": अवतरणों में अंतर

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ललितविस्तर के दसवें अध्याय का नाम 'लिपिशाला समदर्शन परिवार्ता' है। इसमें उन ६४ लिपियों का उल्लेख है जिन्हें [[सिद्धार्थ]] ने अपने गुरुओं से गुरुकुल में सीखा था। ये ६४ लिपियाँ निम्नलिखित हैं-
 
*# ब्राह्मी
*# खरोष्टी
*# पुष्करसारि
*# अङ्ग-लिपि
*# वङ्ग-लिपि
*# मगध-लिपि
*# मङ्गल्य-लिपि
*# अङ्गुलीय-लिपि
*# शकारि-लिपि
*# ब्रह्मवलि-लिपि
*# पारुष्य-लिपि
*# द्राविड-लिपि
*# किरात-लिपि
*# दाक्षिण्य-लिपि
*# उग्र-लिपि
*# संख्या-लिपि
*# अनुलोम-लिपि
*# अवमूर्ध-लिपि
*# दरद-लिपि
*# खाष्य-लिपि
*# चीन-लिपि
*# लून-लिपि
*# हूण-लिपि
*# मध्याक्षरविस्तर-लिपि
*# पुष्प-लिपि
*# देव-लिपि
*# नाग-लिपि
*# यक्ष-लिपि
*# गन्धर्व-लिपि
*# किन्नर-लिपि
*# महोरग-लिपि
*# असुर-लिपि
*# गरुड-लिपि
*# मृगचक्र-लिपि
*# वायसरुत-लिपि
*# भौमदेव-लिपि
*# अन्तरीक्षदेव-लिपि
*# उत्तरकुरुद्वीप-लिपि
*# अपरगोडानी-लिपि
*# पूर्वविदेह-लिपि
*# उत्क्षेप-लिपि
*# निक्षेप-लिपि
*# विक्षेप-लिपि
*# प्रक्षेप-लिपि
*# सागर-लिपि
*# वज्र-लिपि
*# लेखप्रतिलेख-लिपि
*# अनुद्रुत-लिपि
*# शास्त्रावर्तां
*# गणनावर्त-लिपि
*# उत्क्षेपावर्त-लिपि
*# निक्षेपावर्त-लिपि
*# पादलिखित-लिपि
*# द्विरुत्तरपदसंधि-लिपि
*# यावद्दशोत्तरपदसंधि-लिपि
*# मध्याहारिणी-लिपि
*# सर्वरुतसंग्रहणी-लिपि
*# विद्यानुलोमाविमिश्रित-लिपि
*# ऋषितपस्तप्तांरोचमानां
*# धरणीप्रेक्षिणी-लिपि
*# गगनप्रेक्षिणी-लिपि
*# सर्वौषधिनिष्यन्दा
*# सर्वसारसंग्रहणीं
*# सर्वभूतरुतग्रहणी
 
== इन्हें भी देखें ==