"शीतनिष्क्रियता": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 9:
अकशेरुकी प्राणियों में से अनेक, निष्क्रिय अथवा पुटीभूत अवस्था में, शीतकाल बिताते हैं। तितलियाँ तथा मक्खियाँ यही करती हैं। साधारण घोंघा निरापद स्थान में जाकर, अपने कवच के मुँह को कैल्सियमी प्रच्छद से ढँक लेता है और अवसन्न हो पड़ा रहता है।
 
निम्न वर्ग के अन्य अनियततापी प्राणियों की तथा अकशेरुकों की शीतनिष्क्रियता में अधिक भेद नहीं होता। अनेक मछलियाँ और [[मेंढक|मेढ़क]] मिट्टी, कीचड़ आदि में घुसकर बैठ जाते हैं। साँप, छिपकली आदि पत्थरों या लकड़ी के कुंदों आदि के नीचे शीतकाल में निष्क्रिय पड़े रहते हैं। इनके शरीर का ताप वातावरण के ताप से केवल एक या दो डिग्री अधिक बना रहता है। पाले से जमा देनेवाले शीत में मेढ़क तथा इन अन्य जीवों की मृत्यु हो जाती है।
 
== शारीरिकी ==