"सिद्ध": अवतरणों में अंतर

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'''सिद्ध''', [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है जिसने [[सिद्धि]] प्राप्त कर ली हो। सिद्धि का अर्थ महान शारीरिक तथा आध्यात्मिक उपलब्धि से है या ज्ञान की प्राप्ति से है। [[जैन दर्शन]] में [[सिद्ध (जैन धर्म)|सिद्ध]] शब्द का प्रयोग उन आत्माओं के लिए किया जाता है जो संसार चक्र से मुक्त हो गयी हो।
 
==जैन धर्म==
{{मुख्य|सिद्ध (जैन धर्म)}}
[[File:Siddha-Tropenmuseum.jpg|thumb|यद्यपि सिद्ध निराकार और बिना शरीर के होते है,वे अक्सर जैन मंदिरों में इस तरह दर्शाए जाते हैं।]]
[[File:Souls.jpeg|thumb|[[सिद्धशिला]] (मुक्त जीवो का क्षेत्र) [[ब्रह्माण्ड (जैन धर्म)|जैन ब्रह्माण्ड विज्ञान]] के अनुसार]]
[[जैन धर्म]] में ''सिद्ध'' शब्द का इस्तमाल मुक्त आत्मा, जिन्होंने अपने सारे कर्मो का नाश कर मोक्ष प्राप्त किया है उन्हें संबोधित करने के लिए किया जाता हैं।
 
==वर्णरत्नाकर में वर्णित ८४ सिद्ध==
[[ज्योतीरीश्वर ठाकुर]] द्वारा सन १५०६ में [[मैथिली भाषा|मैथिली]] में रचित वर्णरत्नाकर में ८४ सिद्धों के नामों का उल्लेख है। इसकी विशेष बात यह है कि इस सूची में सर्वाधिक पूज्य [[नाथ सम्प्रदाय|नाथों]] और बौद्ध सिद्धाचार्यों के नाम में सम्मिलित किए गये हैं। चौरासी सिद्धों के नाम निम्नलिखित हैं:<ref name=dasgupta>Dasgupta, Sashibhusan (1995). ''Obscure Religious Cults'', Firma K.L.M., Calcutta, {{ISBN|81-7102-020-8}}, pp.203ff, 204</ref><ref>Shastri Haraprasad (ed.) (1916, 3rd edition 2006). ''Hajar Bacharer Purano Bangala Bhasay Bauddhagan O Doha'' (in Bengali), Kolkata: Vangiya Sahitya Parishad, pp.xxxv-vi</ref>
{{columns-list|colwidth=18em|
# मीननाथ
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}}
 
इन नामों के अन्त में ''''पा'''' जो प्रत्यय लगा है, वह [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] 'पाद' शब्द का लघुरूप है।
 
==सन्दर्भ==
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==इन्हें भी देखें==
* [[महासिद्ध]]
* [[नाथ सम्प्रदाय|नाथपंथ]]
* [[सिद्धि]]
* [[सिद्ध (बौद्ध-धर्म)]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/सिद्ध" से प्राप्त