"राजमहल": अवतरणों में अंतर

No edit summary
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 2:
[[चित्र:UmaidBhawan Exterior 1.jpg|right|thumb|300px|[[जोधपुर]] का [[उम्मेद भवन]]]]
[[Image:Le Palais Royal (Phnom Penh) (6997773481).jpg|right|thumb|300px|[[कम्बोडिया]] का शाही महल]]
'''महल''' या '''प्रासाद''', भव्य गृह को कहते हैं। किन्तु विशेष रूप से [[राजा]] या राज्य के सर्वोच्च सत्ताधीश के गृह को महल कहा जाता है। बहुत से ऐतिहासिक महलों का उपयोग आजकल [[भारतीय संसद|संसद]], [[संग्रहालय]], [[होटल]] या कार्यालय के रूप में किया जा रहा है।
 
[[भारत]] की प्राचीन [[वास्तुशास्त्रवास्तु शास्त्र|वास्तुविद्या]] के अनुसार 'प्रासाद' लंबा, चौड़ा, ऊँचा और कई भूमियों का पक्का या पत्थर का घर को कहते हैं जिसमें अनेक शृंग, शृंखला, अंडकादि हों तथा अनेक द्वारों और गवाक्षों से युक्त त्रिकोश, चतुष्कोण, आयत, वृत्त शालाएँ हों।
 
[[पुराण|पुराणों]] में केवल राजाओं और देवताओं के गृह को प्रासाद कहा है। आकृति के भेद से पुराणों में प्रासाद के पाँच भेद किए गए हैं— चतुरस्र, चतुरायत, वृत्त, पृत्ताय और अष्टास्र। इनका नाम क्रम से वैराज, पुष्पक, कैलास, मालक और त्रिविष्टप है। भूमि, अण्डक, शिखर आदि की न्यूनाधिकता के कारण इन पाँचों के नौ-नौ भेद माने गए हैं। जैसे-