"विलियम जेम्स": अवतरणों में अंतर

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आकर्षक लेखनशैली और अभिव्यक्ति की कुशलता के लिये जेम्स विख्यात हैं।
 
विलियम जेम्स का जन्म ११ जनवरी १८४२ को [[न्यूयॉर्क|न्यूयार्क]] में हुआ। जेम्स ने हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में [[आयुर्विज्ञान|चिकित्साविज्ञान]] का अध्ययन किया और वहीं १८७२ से १९०७ तक क्रमश: शरीरविज्ञान, मनोविज्ञान और दर्शन का प्राध्यापक रहा। १८९९ से १९०१ तक [[एडिनबर्ग विश्वविद्यालय]] में [[प्राकृतिक धर्म]] पर और १९०८ में [[ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय|ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय]] में दर्शन पर व्याख्यान दिए। २६ अगस्त, १९१० को उसकी मृत्यु हो गई।
 
१८९० में उसकी पुस्तक '''प्रिंसिपिल्स ऑव् साइकॉलाजी''' प्रकाशित हुई, जिसने मनोविज्ञान के क्षेत्र में क्रांति सी मचा दी, और जेम्स को उसी एक पुस्तक से जागतिक ख्याति मिल गई। अपनी अन्य रचनाओं में उसने दर्शन तथा धर्म की समस्याओं को सुलझाने में अपनी मनोवैज्ञानिक मान्यताओं का उपयोग किया और उनका समाधान उसने अपने [[फलानुमेयप्रामाणवाद]] (Pragmatism) और [[आधारभूत अनुभववाद]] (Radical Empiricism) में पाया। फलानुमेयप्रामाणवादी जेम्स ने 'ज्ञान' को बृहत्तर व्यावहारिक स्थिति का, जिससे व्यक्ति स्वयं को संसार में प्रतिष्ठित करता है, भाग मानते हुए 'ज्ञाता' और 'ज्ञेय' को जीवी (Organism) और परिवेश (Environment) के रूप में स्थापित किया है। इस प्रकार सत्य कोई पूर्ववृत्त वास्तविकता (Antecedent Reality) नहीं है, अपितु वह प्रत्यय की व्यावहारिक सफलता के अंशों पर आधारित है। सभी बौद्धिक क्रियाओं का महत्व उनकी व्यावहारिक उद्देश्यों की पूर्ति की क्षमता में निहित है।