"पारसी रंगमंच": अवतरणों में अंतर

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पारसी रंगमंच शुरूआत में साधन-विहीन थे लेकिन धीरे-धीरे रंगमंच के संबंध में सभी उपकरण खरीद लिए। इन कंपनियों के पास विशेष प्रकार के यंत्र होते थे जिनके द्वारा [[देवता|देवों]] को हवा में उड़ता हुआ दिखाया जाता था, [[नायक]] को महल की दिवार से नदी में छलांग लगाते हुए दिखाया जाता था, [[परी|परियों]] को आकाश से उतरते हुए दिखाया जाता था। चमत्कारिक दृश्य दिखाकर दर्शको को मनोरंजन पैदा करते थे। इस तरह का यंत्र का निर्माण उन्नीसवीं शताब्दी के लंदन 'डूरीलेन थियेटर' में दिखाया जाता था। इसका ही अनुकरण पारसी थियेटर ने किया है।
 
पारसी थिएतर कंपनियों के पास स्वतंत्र नाटककार और रंग-निर्देशक थे। स्त्री पात्र का अभिनय पुरुष पात्र ही करते थे कुछ दिनों के बाद नर्तकियाँ और [[वेश्या]]एँ भी सहभाग लेने लगी। पहले इस कंपनियों ने [[शेक्सपीयर]] के नाटक [[अंग्रेजी]] एवं [[गुजराती]] में प्रस्तुत किए। ईरानी नाटकों के फारसी गीतों को [[मराठी]] के लय या शैली में प्रस्तुत किए गए। पारसी थियेटर में क्रांति लाने वाले [[दादाभाई पटेल]] ने सन् 1870 ई. में फारसी गानों को हिंदी राग-रागिनियों में पेश किया। इस कंपनियों की नाटकों की भाषा साहित्यिक दृष्टि से परिनिष्ठित नहीं थी क्योंकि उसमें [[हिंदी]], [[उर्दू]] एवं [[फारसी]] का मिश्रण रहता था। शैली सशक्त, कार्य-व्यापार प्रभावशाली एवं तीव्र था, संवाद चुस्त रहते थे। नाटकों में हास्य अभिनय का प्रयोग अधिक मात्रा में रहता और नाटकों का विभाजन तीन-चार अंकों में होता था।
 
पारसी कंपनियों के नाटक रात के 10 बजे से सुबह 3-4 बजे तक चलते थे। नाटक की शुरूआत सामूहिक [[मंगलाचरण]] से होती थी। इन नाटकों में सुख-दुख का समन्वय रहता था। नाटकों में संगीत के लिए [[तबला]], [[हारमोनियम]], [[वायलिन]] का भी प्रयोग होता था। मार-पीट, हत्या, प्रेम-प्रसंग, युद्ध का वर्णन अत्यन्त मार्मिक ढंग से किया जाता था। नाटक देखने वाले दर्शक पहले से ही अभिनेता के बारे में जान लेते थे, तभी दर्शक भीड़ जमा करते थे। सफल नाटक एक-एक महीनों तक चलता था।
 
===आलोचना===
व्यावसायिक रंगमंच होने के कारण, जनसमुदाय अधिक आकर्षित करने के लिए, मनोरंजन के नाम पर पारसी रंगमंच अधिकाधिक तड़कीला-भड़कीला और फूहड़ दृश्य दिखाते गए। इसके कारण सभ्य, सुसंस्कृत समाज उससे कटता गया। कुछ विद्वानों ने उसे घटिया, बाजारू
और [[अश्लील]] भी कहा गया है।
 
==प्रमुख मण्डलियाँ==