"लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर": अवतरणों में अंतर

No edit summary
Rescuing 7 sources and tagging 2 as dead.) #IABot (v2.0.1
पंक्ति 1:
[[चित्र:LHC 02.svg|right|thumb|300px|एल एच सी का योजनामूलक चित्र जिसमें इसके प्रमुख अवयव दिखाए गए हैं।]]
'''लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर''' या '''वृहद हैड्रॉन संघट्टक''' ({{lang-en|Large Hadron Collider}}; संक्षेप में LHC) [[जिनेवा]] में स्थित एक [[कण त्वरक]] है जो विश्व का सबसे विशाल और शक्तिशाली [[कोलाइडर (त्वरक)|कोलाइडर त्वरक]] है। इसका निर्माण १९९८ से लेकर २००८ के बीच में हुआ।<ref name="TGPngm">{{cite journal | last = Achenbach | first = जोएल | second = आशेनबाख़ | date = २००८-०३-०१ | title = द गौड पार्टिकल | journal = नेशनल जियोग्रोफ़िकल मैगज़ीन | volume = | issue = | pages = | publisher = [[National Geographic Society]] | issn = ००२७-९३५८ | url = http://ngm.nationalgeographic.com/2008/03/god-particle/achenbach-text | accessdate = २००८-०२-२५ | archive-url = https://web.archive.org/web/20180331075715/http://ngm.nationalgeographic.com/2008/03/god-particle/achenbach-text | archive-date = 31 मार्च 2018 | url-status = live }}</ref> यह [[यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन]] ([[सर्न]]/CERN) की महत्वाकांक्षी परियोजना है जो [[जेनेवा]] के समीप [[फ़्रान्स]] और [[स्विट्ज़रलैण्ड]] की सीमा पर भूमि की सतह से लगभग १०० मीटर नीचे स्थित है। इसकी रचना २७ किलोमीटर परिधि वाली एक वृत्ताकार सुरंग के रूप में हुई है।<ref>{{cite web|url= http://www.dw-world.de/dw/article/0, 4913618,00.html
|title=ब्रह्मांड को समझने का महाप्रयोग फिर शुरू|access-date=[[२२ नवंबर]] [[२००९]]|format=|publisher=Deutsche जर्मनी की प्रसारण सेवा|language=}}</ref> इसी सुरंग में इस त्वरक के [[विद्युत चुम्बक|चुम्बक]], [[संसूचक]] (डिटेक्टर), बीम-लाइनें एवं अन्य उपकरण लगे हैं।
 
इसमें सबसे पहला कणॉं का [[संघट्ट]] सन २०१० में किया गया था जो ३.५ TeV ऊर्जा वाले दो [[कण पुंज|कण पुंजों]] (बीमों) का संघट्ट था। कुछ और परिवर्तन-परिवर्धन करने के बाद ६.५ TeV ऊर्जा वाली बीमों का संघट्ट कराया गया, जो अभी विश्व रिकॉर्ड है। २०१८ के बाद, इसे कुछ और परिवर्तन-परिवर्धन के लिए दो वर्ष के लिए अभी बन्द रखा गया है।
 
सुरंग के अन्दर दो बीम पाइपों में दो विपरीत दिशाओं से आ रही ७ TeV (टेरा एले़ट्रान वोल्ट्) की प्रोट्रॉन किरण-पुंजों (बीम) को आपस में संघट्ट (टक्कर) कराने का उद्देश्य यह था कि इससे वही स्थिति उत्पन्न की जाय जो [[ब्रह्माण्ड]] की उत्पत्ति के समय [[बिग बैंग]] के रूप में हुई थी। ज्ञातव्य है कि ७ TeV उर्जा वाले [[प्रोटॉन]] का वेग प्रकाश के वेग के लगभग बराबर होता है। एल एच सी की सहायता से किये जाने वाले प्रयोगों का मुख्य उद्देश्य ''स्टैन्डर्ड मॉडेल'' की सीमाओं एवं वैधता की जाँच करना है। ''स्टैन्डर्ड मॉडेल'' इस समय कण-भौतिकी का सबसे आधुनिक सैद्धान्तिक व्याख्या या मॉडल है। [[१० सितंबर]] [[२००८]] को पहली बार इसमें सफलता पूर्वक [[प्रोटान]] धारा प्रवाहित की गई।<ref>{{cite web |url=http://press.web.cern.ch/press/PressReleases/Releases2008/PR08.08E.html |title=First beam in the LHC - accelerating science |date=10 सितंबर 2008 |publisher=CERN Press Office |accessdate=9 अक्टूबर 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20090106223640/http://press.web.cern.ch/Press/PressReleases/Releases2008/PR08.08E.html |archive-date=6 जनवरी 2009 |url-status=live }} सीईआरएन प्रेस विज्ञप्ति, 10 अगस्त २००८]</ref> इस परियोजना में विश्व के ८५ से अधिक देशों नें अपना योगदान किया है। परियोजना में ८००० [[भौतिक]] वैज्ञानिक कार्य कर रहे हैं जो विभिन्न देशों, या विश्वविद्यालयों से आए हैं। प्रोटॉन बीम को त्वरित (accelerate) करने के लिये इसके कुछ अवयवों (जैसे द्विध्रुव (डाइपोल) चुम्बक, चतुर्ध्रुव (quadrupole) चुमबक आदि) का [[तापमान]] लगभग 1.9<sup>0</sup>केल्विन या -२७१.२५<sup>0</sup>सेन्टीग्रेड तक ठंडा करना आवश्यक होता है ताकि जिन चालकों (conductors) में धारा बहती है वे अतिचालकता (superconductivity) की अवस्था में आ जांय और ये चुम्बक आवश्यक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकें।<ref name="CERNbulletin2008/08/11">"[http://cdsweb.cern.ch/journal/popup?name=CERNBulletin&type=breaking_news&record=1119756&ln=en LHC synchronization test successful] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20110427145713/http://cdsweb.cern.ch/journal/popup?name=CERNBulletin&type=breaking_news&record=1119756&ln=en |date=27 अप्रैल 2011 }}". ''सीईआरएन बुलेटिन''।</ref><ref name="NYT2008/07/29">Overbye, Dennis (29 जुलाई 2008). "[http://www.nytimes.com/2008/07/29/science/29cernrap.html लेट द प्रोटॉन स्मैशिंग बिगिन। (द रैप इज़ आलरेडी रिटेन)] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20171201082456/http://www.nytimes.com/2008/07/29/science/29cernrap.html |date=1 दिसंबर 2017 }}". ''दि न्यू यॉर्क टाइम्स''.</ref> इस प्रयोग में [[बोसोन कण]] के के प्रकट होने तथा पहचाने जाने की उम्मीद है जिसके अस्तित्व की कल्पना अब तक सिर्फ गणनाओं द्वारा ही की जाती रही है।<ref>{{Cite web |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/7604293.stm |title=संग्रहीत प्रति |access-date=9 सितंबर 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20080910064333/http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/7604293.stm |archive-date=10 सितंबर 2008 |url-status=live }}</ref> इसके द्वारा [[द्रव्य]] एंव [[उर्जा]] के संबधों को जानने की कोशिश का जा रही है। इससे [[ब्रह्मांड]] के उत्पत्ति से जुड़े कई रहस्यो पर से भी पर्दा उठने की आशा है।
<!--[[चित्र:LHC.svg|thumb|right|270px|LHC को प्रोटॉन बीम की आपूर्ति करने वाले त्वरक (इन्जेक्टर) तथा एलएचसी में लगे डिटेक्टर]]-->
 
पंक्ति 18:
== वर्तमान स्थिति ==
[[चित्र:LHC quadrupole magnets.jpg|right|thumb| '''एलएचसी की सुरंग के अन्दर के एक छोटे से भाग का दृश्य''' सामने दिख रहा अवयव क्वाड्रूपोल चुम्बक है जो अमेरिका के फर्मीलैब द्वारा निर्मित है।]]
सभी [[अतिचालक]] चुम्बकों की जाँच हो चुकी थी। १.९ केल्विन के अतिनिम्न ताप पर इन्हें जाँचा जा चुका था। सितम्बर २००८ में इसमें प्रोटॉन किरण पुंज (बीम) डालकर उसकी उर्जा बढाई गई और उसके बाद [[१० सितंबर]] [[२००८]] को पहली बार इसमें सफलता पूर्वक [[प्रोटान]] धारा प्रवाहित की गई। हालाँकि कुछ व्यक्तियों एंव वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग से पूरे विश्व के नष्ट हो जाने की सम्भावना और डर व्यक्त किया तथा इस परियोजना के सुरक्षा से जुड़े पहलुओं पर न्यायालय के माध्यम से सवाल उठाए। परंतु वैज्ञानिक समुदाय ने इनको बेबुनियाद करार दिया। न्यायालय ने भी इस परियोजना पर रोक लगाए जाने की याचिका को नामंजूर कर दिया। १९ सितंबर २००८ को दो अतिचालक चुम्बकों में खराबी आ जाने के कारण इस प्रयोग को रोक देना पड़ा।<ref>{{cite web |url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/7632408.stm |title=Collider halted until next year |date=23 सितंबर 2008 |publisher=बीबीसी न्यूज़ |accessdate=9 अक्टूबर 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20170619235045/http://news.bbc.co.uk/2/hi/science/nature/7632408.stm |archive-date=19 जून 2017 |url-status=live }}</ref> इस क्षति के कारण जुलाई 2009 के पहले इसके शूरू न हो पाने की सम्भावना व्यक्त की गई।<ref name="TimesSummer">{{cite web|url=http://www.timesonline.co.uk/tol/news/uk/science/article5174917.ece|title=Large Hadron Collider to remain shut until middle of next year|date=17 नवम्बर 2008|publisher=Times Online|accessdate=2008-18-11}}</ref><ref name="cnet">{{cite web| url=http://news.cnet.com/8301-11386_3-10109941-76.html?part=rss| title=A longer delay for the Large Hadron Collider| date=30 november 2008| publisher= CNET news| author=Tom Espiner}}</ref><ref name="CERNsummer">{{cite web|url=http://press.web.cern.ch/press/PressReleases/Releases2008/PR17.08E.html|title=LHC to restart in 2009|date= 5 दिसम्बर 2008|publisher=CERN Press Office|accessdate=8 दिसंबर 2008|archive-url=https://web.archive.org/web/20090201095204/http://press.web.cern.ch/press/PressReleases/Releases2008/PR17.08E.html|archive-date=1 फ़रवरी 2009|url-status=live}}</ref>
 
[[३० मार्च]], [[२०१०]] को इस मशीन में वैज्ञानिक दो प्रोटोन किरणों की आमने-सामने की महाटक्कर करवाने में सफल रहे। अब तक किसी मशीन से पैदा किए गए सबसे अधिक बल से करवाई गई इस टक्कर से रिकॉर्ड ऊर्जा पैदा हुई। इस प्रयोग के आंकडों का अध्ययन कर वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि [[बिग बैंग]] के बाद पदार्थ ठोस आधार में किस प्रकार बदल गये, तारों और ग्रहों की उत्पत्ति कैसे हुई!<ref>[http://www.rajasthanpatrika.com/news/31032010/home-news/97016.html ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के जल्द खुलेंगे राज !]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}। गुरुवार, ०१ अप्रैल २०१०। राजस्थान पत्रिका</ref><ref>[http://khabar.ndtv.com/2010/03/30221139/Mahaprayog.html ब्रह्मांड की गुत्थी सुलझाने के नजदीक पहुंचे वैज्ञानिक]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}। खबर-एनडीटीवी। जिनेवा। ३० मार्च २०१०</ref>
 
== इन्हें भी देखें ==